बदायूं: दलित बारातियों पर पिस्टल और डंडे से हमला, पुलिस पर गंभीर मामले को 'शांतिभंग' में निपटाने का आरोप

वायरल वीडियो में पिस्टल और डंडे के साथ दिखे आरोपी, अंबेडकर की मूर्ति देख की थी बदसलूकी; पुलिस पर एससीएसटी एक्ट दबाने का आरोप।
दलित दूल्हे की बारात/ फोटो - सांकेतिक
दलित दूल्हे की बारात/ फोटो - सांकेतिक
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बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र में दलित बारातियों के साथ हुई अभद्रता और हमले के गंभीर मामले में पुलिस पर 'लीपापोती' करने का आरोप लगा है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि आरोपियों के हाथ में हथियार थे और उन्होंने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया, इसके बावजूद पुलिस ने एससीएसटी (SC/ST) एक्ट में मामला दर्ज करने के बजाय आरोपियों का चालान महज शांतिभंग की धाराओं में कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

घटना 12 नवंबर की देर रात की बताई जा रही है। उघैती थाना क्षेत्र के मेवली गांव के रहने वाले धर्मपाल सिंह अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ कार से एक शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे। आरोप है कि रास्ते में दो अज्ञात व्यक्तियों ने उनकी कार को ओवरटेक करके जबरन रुकवा लिया।

धर्मपाल सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी गाड़ी में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगी थी। इसे देखते ही आरोपियों ने जातिसूचक गालियां देनी शुरू कर दीं और चाकू से हमला करने की कोशिश की।

वीडियो में कैद हुई गुंडई

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जो पुलिस के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि हमलावरों में से एक के हाथ में पुलिसिया स्टाइल का पारदर्शी डंडा है, जबकि दूसरे के हाथ में पिस्टल दिखाई दे रही है।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

आरोप है कि पुलिस ने इस मामले को दो दिनों तक ठंडे बस्ते में डाल रखा। 13 नवंबर की रात जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और उच्च अधिकारियों ने संज्ञान लिया, तब जाकर स्थानीय पुलिस हरकत में आई। आनन-फानन में पुलिस ने नीटू नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया, लेकिन उसे भी केवल शांतिभंग (धारा 151) के तहत पाबंद किया गया। वहीं, दूसरा आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है।

हथियार बरामदगी नहीं, गंभीर धाराएं गायब

हैरानी की बात यह है कि वीडियो में हथियार दिखने के बावजूद पुलिस ने अभी तक न तो वह पारदर्शी डंडा बरामद किया है और न ही पिस्टल। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि उन्होंने एससीएसटी एक्ट के तहत तहरीर दी थी, जिसे पुलिस ने दरकिनार कर दिया।

इस मामले में थानाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने पुष्टि की है कि एक आरोपी के खिलाफ शांतिभंग की कार्रवाई की गई है। हालांकि, गंभीर धाराओं को नजरअंदाज करने पर पुलिस की मंशा पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

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