अहमदाबाद। आदलज के रोहितवास गांव के रहने वाले 58 वर्षीय दलित चमड़ा उतारने वाले महेंद्र परमार पर रविवार को चार कथित ‘गोरक्षकों’ ने हमला कर दिया। घटना उस समय हुई जब परमार एक मरी हुई गाय की खाल उतार रहे थे। आरोप है कि, हमलावरों ने उन पर चाकू से वार किया और लाठियों व पाइप से पीटा।
महेंद्र परमार ने आदलज थाने में दर्ज एफआईआर में बताया कि वे अपने परिवार के साथ रोहितवास गांव में रहते हैं और ग्राम पंचायत से मृत पशुओं के निस्तारण की आधिकारिक अनुमति प्राप्त है। उन्होंने कहा कि रविवार दोपहर करीब 2 बजे नरेश परमार का फोन आया कि खोड़ियार गांव के पास एक गाय मृत पड़ी है। परमार मौके पर पहुंचे और गाय की खाल उतारने लगे। इस दौरान नरेश कुछ काम से वहां से चला गया।
एफआईआर के अनुसार, लगभग 3 बजे चार युवक वहां पहुंचे और परमार से पूछने लगे कि वह जीवित गाय को क्यों मार रहे हैं। परमार ने उन्हें समझाया कि वे अनुसूचित जाति के चमड़ा उतारने वाले समुदाय से हैं, और यह उनका परंपरागत काम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे केवल मृत पशुओं को ही उठाते हैं और उनके पास पंचायत का परमिट भी है।
शिकायत में दर्ज बयान के मुताबिक, इन्हीं युवकों में से एक, जिसकी पहचान सचिन सुथार के रूप में हुई है, ने परमार को जातिसूचक गालियां दीं और उनके दाहिने कंधे के नीचे चाकू से वार कर दिया। बाकी तीन हमलावरों ने डंडों और पाइप से उन पर हमला किया।
महेंद्र परमार ने पुलिस को बताया, “मैं ज़मीन पर गिर गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा।” तभी रास्ते से गुजर रहे विष्णु सोलंकी ने हस्तक्षेप कर उन्हें बचाया। बाद में परमार को गांधीनगर सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके जख्म पर टांके लगाए गए।
पुलिस ने परमार की शिकायत के आधार पर चारों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की गंभीर चोट और आपराधिक धमकी जैसी धाराओं के साथ-साथ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
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