"राम मंदिर चुनावी फायदे के लिए बन चुका है राजनीतिक अभियान... मैं नहीं जाऊंगा"- प्रकाश अम्बेडकर

बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रपौत्र सहित तमाम राजनेताओं ने भी 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से मना कर दिया है.
प्रकाश अम्बेडकर, बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रपौत्र
प्रकाश अम्बेडकर, बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रपौत्र

महाराष्ट्र। "राम मंदिर चुनावी फायदे के लिए बन चुका है राजनीतिक अभियान, बीजेपी और आरएसएस ने हथियाया, मैं नहीं जाऊंगा।" यह पत्र बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के प्रपौत्र ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट के आमंत्रण पत्र के जवाब में भेजा है। इस पत्र के बाद सियासत में भूचाल आ गया है। अब यह लेटर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में पीएम मोदी ने रामजन्मभूमि के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से पहले अनुष्ठान शुरू किया है। बड़ी बात यह है कि पीएम ने नासिक के उस मंदिर से शुरुआत की है, जहां बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया था। अब इसके सियासी मायने निकाले जा रहे है।

जानकारी के मुताबिक वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर को राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण मिला है। अंबेडकर ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट को इस न्योते का जवाब भेजा और कहा कि वो इसमें शामिल नहीं होंगे। वीबीए के अध्यक्ष ने कहा कि इस समारोह को बीजेपी और आरएसएस ने हथिया लिया है। ये धार्मिक समारोह चुनावी फायदे के लिए एक राजनीतिक अभियान बन चुका है। ट्रस्ट को भेजे जवाब में प्रकाश आंबेडकर ने लिखा, “श्री रामजन्मभूमि मंदिर, अयोध्या की प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रित करने के लिए आपका धन्यवाद। कथित समारोह में, मैं शामिल नहीं होऊंगा। मेरे शामिल न होने का कारण यह है कि बीजेपी और आरएसएस ने इस समारोह को हथिया लिया है। एक धार्मिक समारोह चुनावी फायदे के लिए एक राजनीतिक अभियान बन चुका है।” उन्होंने यह भी लिखा, “मेरे दादा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने चेताया था कि अगर राजनीतिक पार्टियां धर्म, पंथ को देश से ऊपर रखेंगी, तो हमारी आजादी दूसरी बार खतरे में आ जाएगी, और इसबार शायद हम उसे हमेशा के लिए खो देंगे। आज ये डर सही साबित हो गया है। धर्म, पंथ को देश से ऊपर रखने वाली भाजपा-आरएसएस अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस समारोह को हड़प चुकी है।”

इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार को भी राम मंदिर उद्घाटन का न्यौता मिला। उन्होंने ने भी जाने से इनकार कर दिया और कहा कि बाद में जाएंगे। शरद पवार ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ न्यास के महासचिव चंपत राय को लिखे एक पत्र में कहा कि वह 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए मिले निमंत्रण को लेकर आभारी हैं, लेकिन वह उस दिन इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, आस्था और भक्ति के प्रतीक हैं।बड़ी संख्या में रामभक्त समारोह में शामिल होंगे और उनके जरिए आनंद मुझ तक भी पहुंचेगा। 22 जनवरी के बाद रामलला के दर्शन सुगम हो जाएंगे। मैं अयोध्या जाने की योजना बना रहा हूं और रामलला की पूजा भी करूंगा। उस समय तक मंदिर निर्माण भी पूरा हो जाएगा।"

सपा अध्यक्ष ने भी जाने से किया इंकार

इससे पूर्व यूपी की राजनीति ने बड़ा चेहरा सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी पत्र लिखकर मंदिर के इस कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया था। अखिलेश यादव ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ न्यास के महासचिव चंपत राय को लिखे एक पत्र में कहा कि वह 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए मिले निमंत्रण को लेकर आभारी हैं, लेकिन वह उस दिन इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, आस्था और भक्ति के प्रतीक हैं। बड़ी संख्या में रामभक्त समारोह में शामिल होंगे और उनके जरिए आनंद मुझ तक भी पहुंचेगा। 22 जनवरी के बाद रामलला के दर्शन सुगम हो जाएंगे। मैं अयोध्या जाने की योजना बना रहा हूं और रामलला की पूजा भी करूंगा।"

आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने भी किया था इंकार

आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने राम मंदिर के उद्घाटन और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने को लेकर बड़ा बयान दिया था। यादव ने कहा कि हम राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जाएंगे।

मायावती ने बताई व्यस्तता, कहा- "समय मिलेगा तो जाऊंगी"

राम जन्म भूमि ट्रस्ट से आये आमंत्रण पत्र पर मायावती ने स्पष्ट कहा कि बहुजन समाज पार्टी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। हम सबका सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, मुझे जो भी निमंत्रण मिला है इसका स्वागत है। अगर मैं व्यस्त नहीं हुई तो फिर अयोध्या जा सकती हूं। लेकिन अभी इस मामले पर कोई भी निर्णय नहीं लिया है क्योंकि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के काम में व्यस्त हूं।

लेटर तो मिला, लेकिन निमंत्रण नहीं- अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गत बुधवार को कहा कि अभी तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर निमंत्रण पत्र नहीं मिला है। उन्होंने कहा, "उनको एक लेटर आया था। मैंने इसके बाद फोन किया तो मुझसे कहा गया कि निमंत्रण पत्र देने एक टीम आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।" उन्होंने आगे कहा, "बताया गया कि समारोह में वीआईपी और वीवीआईपी आएंगे। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक ही व्यक्ति के जाने की अनुमति है। मैं पत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ बाद में राम मंदिर जाऊंगा।"

ममता बनर्जी जाएंगी कालीघाट मंदिर

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी ने कहा कि 22 जनवरी के दिन कालीघाट मंदिर में देवी काली की पूजा करेंगी। इसके बाद वो दक्षिण कोलकाता के हाजरा चौराहे से जुलूस निकालेगी। इसके अलावा सभी धर्मों के लोगों लिए सद्भाव रैली करेंगी।

राहुल गांधी का क्या प्लान है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी 22 जनवरी को असम में स्थित शिव मंदिर और कामाख्या मंदिर जा सकते हैं। उन्होंने मंगलवार (16 जनवरी) को कहा था कि समारोह को पीएम मोदी, बीजेपी और आरएसएस का आयोजन बना दिया गया है।

मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी ने किया मना

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण अस्वीकार कर चुके हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि तीनों नेता कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे क्योंकि बीजेपी चुनावी लाभ के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है।

शंकराचार्य का राम मंदिर जाने से इंकार

राजनीतिक पार्टियों के चर्चित नेताओं के अलावा दो शंकराचार्यों ने भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इंकार किया है। ज्योतिर्मठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि देश के चारों शंकराचार्य 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में शामिल नहीं होंगे। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के मुताबिक, ये आयोजन शास्त्रों के अनुसार नहीं हो रहा है। हालांकि श्रृंगेरी मठ की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि शंकराचार्य भारतीतीर्थ की तस्वीर के साथ संदेश डाला जा रहा है, जिससे ये महसूस होता है कि श्रृंगेरी शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा का विरोध कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कोई संदेश शंकराचार्य की ओर से नहीं दिया गया है। ये गलत प्रचार है। वहीं श्रृंगेरी शंकराचार्य की ओर से अपील की गई है कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हों। हालांकि शंकराचार्य खुद अयोध्या जाकर शामिल होंगे या नहीं, इस बारे में बयान में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बताया गया है। वहीं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है। इस वीडियो में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद कहते दिखते हैं, "रामानंद संप्रदाय का अगर ये मंदिर है तो चंपत राय वहां क्या कर रहे हैं। ये लोग वहां से हटें। हटकर रामानंद संप्रदाय को प्रतिष्ठा से पहले सौंपे। हम एंटी मोदी नहीं हैं लेकिन हम एंटी धर्मशास्त्र भी नहीं होना चाहते।"

श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हाल ही में कहा था कि राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है। वो कहते हैं, चारों शंकराचार्य किसी राग या द्वेष के कारण नहीं, बल्कि शंकराचार्यों की दायित्व है कि वो शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। अब वहां शास्त्रविधि की उपेक्षा हो रही है। मंदिर अभी पूरा बना नहीं है और प्रतिष्ठा की जा रही है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है कि अचानक करना पड़े। कभी वहां रात में जाकर मूर्ति रख दी गई थी, वो एक परिस्थिति थी। 1992 में जब ढांचा ढहाया गया, तब कोई मुहूर्त थोड़ी देखा जा रहा था। तब किसी शंकराचार्य ने प्रश्न नहीं उठाया क्योंकि तब ऐसी परिस्थिति थी। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले, "आज हमारे पास मौका है कि हम मंदिर अच्छे से बनाकर प्रतिष्ठा करें। इसलिए हम बोल रहे हैं तो हमें एंटी मोदी कहा जा रहा है। धर्म शास्त्र के हिसाब से ही हम स्वयं चलना चाहते हैं, जनता को चलाना चाहते हैं। राम हैं, ये हमें धर्मशास्त्र ने ही बताया है। जिस शास्त्र से हमने राम को जाना, उसी शास्त्र से हम प्राण-प्रतिष्ठा भी जानते हैं। इसीलिए कोई शंकराचार्य वहां नहीं जा रहा है।"

गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी ने एक चैनल से कहा, "मेरा हृदय ऐसा नहीं कि प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण दें तो फूल जाऊं तो निमंत्रण ना दें तो कुपित हो जाऊं।" राम जी शास्त्रों के हिसाब से प्रतिष्ठित हों, ये जरूरी है। अभी प्रतिष्ठा शास्त्रों के हिसाब से नहीं हो रही है, इसलिए मेरा उसमें जाना उचित नहीं है। आमंत्रण आया है कि एक व्यक्ति के साथ आ सकते हैं।

निश्चलानंद स्वामी कहते हैं, "कौन मूर्ति का स्पर्श करे कौन ना करे, इसका ध्यान रखना चाहिए। पुराणों में लिखा है कि देवता (मूर्ति) तब प्रतिष्ठित होते हैं, जब विधिवत हों। अगर ये ढंग से ना किया जाए तो देवी देवता क्रोधित हो जाते हैं। ये खिलवाड़ नहीं है। ढंग से किया जाए तभी देवता का तेज सबके लिए अच्छा रहता है वरना विस्फोटक हो जाता है।" वो बोले, "मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे और मैं वहाँ ताली बजा के जय-जय करूंगा क्या? मुझे पद तो सबसे बड़ा प्राप्त ही है। मुझे अपने पद की गरिमा का ध्यान है। मैं वहां गया तो मोदी जी ज्यादा से ज्यादा नमस्कार कर देंगे। अयोध्या से मुझे परहेज नहीं है। वहां से मेरा संबंध टूटेगा नहीं। इस अवसर पर जाना उचित नहीं।" पीएम मोदी के प्राण प्रतिष्ठा किए जाने पर वो कहते हैं, "अगर दो साल बाद भी प्रतिष्ठा मोदी जी ही करते तो मैं प्रश्न उठाता कि मूर्ति की प्रतिष्ठा ढंग से होनी चाहिए। अभी अयोध्या में शास्त्रों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है और कोई कारण नहीं है। मैं किसी पार्टी का नहीं हूं। मैं नाराज होता ही नहीं हूं।"

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