मध्य प्रदेश: बस्तियों की टूटी नालियां, गलियों में कूड़े का ढेर और भोपाल को देश में सबसे स्वच्छ राजधानी का ख़िताब! ग्राउंड रिपोर्ट

भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में बड़े-बड़े पोस्टर बैनर लगाए गए हैं। लेकिन स्वच्छता कों लेकर जमीनी सच्चाई कुछ और ही है.
शहर में लगाए गए स्वच्छता के ख़िताब के पोस्टर
शहर में लगाए गए स्वच्छता के ख़िताब के पोस्टरफोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक
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भोपाल। हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के परिणाम सामने आए हैं। जिसमें भोपाल को देश की सबसे स्वच्छ राजधानी का पुरस्कार मिला है। स्वछता की रैकिंग जारी होने के बाद सरकार ने खुद की पीठ थपथपाना शुरू कर दिया है। भोपाल, इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में बड़े-बड़े पोस्टर बैनर लगाए गए हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण के रिजल्ट सामने आने के बाद द मूकनायक ने शहर में साफ-सफाई की पड़ताल की है। पेश है हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में देश के सबसे स्वच्छ शहर की श्रेणी में इंदौर फिर सरताज रहा तो भोपाल को देश की सबसे स्वच्छ राजधानी का पुरस्कार मिला है। वहीं भोपाल देश में पांचवा साफ -सुथरा शहर बना है। इन्हें मिलाकर स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में मध्य प्रदेश को छह पुरस्कार मिले हैं।

राजधानी भोपाल की चमचमाती सड़के, पार्क तालाब सबने देखें ही होंगे। इसी खूबसूरती के बीच राजधानी में झुग्गियों में रह रहे लोग गंदगी से परेशान हैं। नगर निगम ने झुग्गियों में रह रहे कुछ परिवारों को मल्टियों में भी शिफ्ट किया लेकिन यहां भी गंदगी से निजात नहीं मिल पाई। झुग्गी बस्ती और निगम की मल्टियों में टूटी पड़ी नाली और जगह-जगह कचरे के ढेर, स्वच्छता सर्वेक्षण की पोल खोल रहें हैं।

द मूकनायक की टीम राजधानी भोपाल के 12 नम्बर स्थित इंद्रा नगर मल्टी में पहुचीं। मल्टी के चारों तरफ इस कदर गंदगी का अंबार था, कि यहां बदबू के कारण एक मिनट खड़ा होना भी भारी पड़ रहा था। मल्टी में रह रहे लोगों ने कहा कि यहां नगर निगम साफ-सफाई नहीं करती, कोई देखने तक नहीं आता।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए इंद्रानगर मल्टी की रहवासी संतोषी ने बताया कि "यहां निगम के द्वारा साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा जबकि आगे वाली कॉलोनियों में नियमित सफाई की जाती है। पिछले छह महीने से हम चेम्बर से गंदा पानी बाहर निकलने की शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से करते चले आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं हैं।"

संतोषी ने कहा, "आगे वाली कॉलोनी में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए नियमित गाड़ी पहुँचती है। रोज सुबह झाड़ू लगती है, लेकिन हमारी मल्टी में ऐसा कुछ नहीं हो रहा। हमारे साथ निगम प्रशासन भेदभाव कर रहा है।"

झुग्गियों से हुए रहवासी

इंद्रानगर मल्टी नगर निगम भोपाल द्वारा साल 2015 में बनकर तैयार हुई थी। यहाँ करीब चार सौ परिवार रहतें हैं। इन परिवारों को झुग्गियों से यहां लाकर शिफ्ट किया गया था। लेकिन अब यहां चारों और गंदगी और सिर्फ गंदगी है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए भैयालाल ने कहा की यहां चारों ओर गंदगी है। निगम कर्मचारी यहां साफ-सफाई करने नहीं आते। कई बार शिकायत की लेकिन कोई नहीं सुनता।

इधर हम शहर के ही सरस्वती झुग्गी बस्ती में पहुँचें. यहाँ भी गंदगी से बुरा हाल था। सरस्वती झुग्गी बस्ती के सामने सड़क के उसपार साफ-सफाई ठीक दिख रही थी। लेकिन, यहां भी टूटी पड़ी नालियां, कचरे के अंबार से इस बस्ती की हालात भी खराब ही दिखी।

इस मामले में द मूकनायक ने भोपाल नगर निगम के एपीआरओ संजय शर्मा से बात की। उन्होंने कहा, "सभी जगह निगम द्वारा सफाई नियमित की जाती है। उसके लिए सुपरवाइजर, वार्ड दरोगा नियुक्त किए गए हैं। कचरा कलेक्शन की भी गाड़िया पर्याप्त हैं। इंद्रानगर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं, वहां की स्थिति पता करके बताऊंगा।"

प्रदेश को इन श्रेणियों में भी मिला पुरस्कार

भोपाल को स्वच्छ शहरों की सूची में गार्बेज फ्री सिटी (जीएफसी) में पांच स्टार रेटिंग के साथ पांचवा स्थान मिला। प्रदेश के 15 हजार से 20 हजार जनसंख्या वाले शहरों में बुदनी को पश्चिम जोन के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला। एक लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों में नौरोजाबाद और अमरकंटक को फास्ट मूविंग सिटी श्रेणी में प्रथम और द्वितीय स्थान मिला है। महू ने सबसे स्वच्छ कैंटोनमेंट बोर्ड का खिताब हासिल किया है।

सीएम मोहन यादव ने प्रधानमंत्री को दिया श्रेय

इधर मुख्यमंत्री ने स्वच्छता सर्वेक्षण में एमपी को मिले छह पुरस्कार के लिए प्रदेशवासियों, जनप्रतिनिधियों और स्वच्छता मित्रों को बधाई देते हुए उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इंदौर का लगातार सातवीं बार स्वच्छता के शिखर पर पहुंचने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन को जाता है। उनके नेतृत्व में प्रदेश स्वच्छता के संकल्प को साकार करने में निरंतर अपना योगदान देता रहेगा। उन्होंने आशा व्यक्त कि की आगामी सर्वेक्षण में प्रदेश और बेहतर प्रदर्शन करेगा। मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौरवासियों ने पुनः सिद्ध कर दिया है कि स्वच्छता न सिर्फ उनकी आदत बन चुकी है, बल्कि अब उनकी सोच में भी स्वच्छता ही है। उन्होंने आमजन से अपील की है कि स्वच्छता के प्रति उनका जुनून कभी कम न हो।

महाराष्ट्र से पिछड़ा मध्य प्रदेश

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहर को कचरा मुक्त बनाने पर मिलने वाली स्टार रेटिंग (एक, तीन, पांच और सात स्टार) में वर्ष 2023 में महाराष्ट्र के सौ नगरीय निकायों को स्टार रेटिंग मिली, जबकि मप्र के मात्र 96 को। हालांकि, कुल स्टार रेटिंग की बात करें तो अभी भी मप्र के 158 शहरों को स्टार रेटिंग मिली हुई है, जबकि महाराष्ट्र के 112 को। बता दें कि वर्ष 2022 के सर्वेक्षण में पहले स्थान पर मध्य प्रदेश, दूसरे पर छत्तीसगढ़ और तीसरे पायदान पर महाराष्ट्र रहा।

कचरा उठाने के पहले ही हर तरह के कचरा को अलग-अलग करने का काम अभी मप्र में मात्र 54.10 प्रतिशत जबकि महाराष्ट्र में 67.76 प्रतिशत हो रहा है। प्रदेश में कचरा मुक्त सिटी के मापदंड में पांच स्टार शहर मात्र भोपाल है, जबकि महाराष्ट्र में दो हैं। तीन स्टार शहर में मप्र में 24 और महाराष्ट्र में 28 हैं। सात स्टार शहर दोनों राज्यों में एक-एक हैं। खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) शहरों का अलग-अलग श्रेणी में मूल्यांकन किया गया। इसमें दोनों राज्य लगभग बराबर स्थिति में हैं.

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