NewsClick Raids: प्रेस की आजादी पर हमले का विरोध, पत्रकारों ने दिखाई एकजुटता

प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती द्वारा न्यूज़क्लिक के खिलाफ एफआईआर की एक प्रति की मांग करने वाली याचिका दायर करने के बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। समाचार पोर्टल ने एक बयान जारी कर कहा था कि पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर की प्रति दिए बिना छापेमारी की थी। न्यूज़क्लिक ने कहा, "हमें एफआईआर की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई है, या उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित नहीं किया गया है जिनके लिए हम पर आरोप लगाए गए हैं।"
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश से बातचीत करती द मूकनायक की फाउंडर मीना कोतवाल.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश से बातचीत करती द मूकनायक की फाउंडर मीना कोतवाल.

नई दिल्ली- दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक (Newsclick) के प्रधान संपादक प्रबीर पूरकायस्थ (Prabir purkayastha) और एचआर कर्मी अमित चक्रवर्ती को बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट के एएसजे हरजीत कौर की अदालत में पेश किया, अदालत ने स्पेशल सेल को दोनों की सात दिन की पुलिस कस्टडी प्रदान की। दोनों को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) के तहत मंगलवार देर शाम स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को विभिन्न पत्रकार संगठनों और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स(Civil rights activists) द्वारा दिल्ली पुलिस की छापेमारी और पत्रकारों को हिरासत में लेकर पूछताछ का कड़ा विरोध किया गया और इसे प्रेस की स्वतंत्रता का हनन बताया. इस कड़ी में बुधवार शाम को जंतर मंतर एव प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया में प्रदर्शन हुए. पत्रकारों ने दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की कार्रवाई को अनुचित और दमनात्मक बताया और न्यूज पोर्टल के विरुद्ध दर्ज मुकदमे को वापस लेने की भी मांग की.

द मूकनायक से मामले पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा- "न्यूज क्लिक और पत्रकारों पर की गई कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। पहले जहां कानून संविधान से नियंत्रित होता था अब राजनीति खास कर एक पार्टी विशेष से नियंत्रित हो रहा है जो ठीक नहीं है।"

2024 के आम चुनावों के मददेनजर स्वतंत्र मीडिया पर हुई कार्रवाई के सवाल पर उर्मिलेश ने कहा- "मुझे जनता और अपने समाज पर भरोसा है। वह इन घटनाओं को गंभीरता से ले रही है। सही समय पर किसान, मजदूर, दलित और पिछड़े सत्ता को इसका वाजिब जवाब देंगे।"

कानूनी जानकारों का कहना है कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रबीर और अमित को गिरफ्तार किए जाने के कारण उन्हें जल्द जमानत नहीं मिल सकेगी। इन दोनों से लंबी पूछताछ की जाएगी। उसके बाद सामने आए तथ्यों के आधार पर न्यूजक्लिक से जुड़े अन्य पत्रकारों को स्पेशल सेल पूछताछ के लिए दोबारा नोटिस भेजकर बुलाएगी।बुधवार को पुलिस ने छह घंटे की अवधि में कई लोगों से पूछताछ की।

इधर प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती द्वारा न्यूज़क्लिक के खिलाफ एफआईआर की एक प्रति की मांग करने वाली याचिका दायर करने के बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। समाचार पोर्टल ने एक बयान जारी कर कहा था कि पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर की प्रति दिए बिना छापेमारी की थी। न्यूज़क्लिक ने कहा, "हमें एफआईआर की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई है, या उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित नहीं किया गया है जिनके लिए हम पर आरोप लगाए गए हैं।"

पुरकायस्थ के वकीलों ने अदालत से कहा कि उन्हें एफआईआर की एक प्रति की आवश्यकता होगी क्योंकि वे इसे दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती देना चाहते हैं। अदालत ने मामले को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. अदालत पुरकायस्थ के वकीलों को पुलिस के रिमांड आवेदन की एक प्रति देने पर भी सहमत हुआ।

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दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को 100 से अधिक स्थानों की तलाशी लेने और कई पत्रकारों से पूछताछ करने के बाद न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार किया था. इन पर फॉरेन फंडिंग लेने का आरोप है। 

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के आधिकारिक आवास पं. रविशंकर शुक्ला लेन उन परिसरों में से एक था जिसकी पुलिस ने न्यूज़क्लिक के साथ काम करने वाले उनके कर्मचारी श्री नारायण के बेटे सुमित से पूछताछ करने के लिए तलाशी ली थी।

सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के मुंबई स्थित घर पर भी पुलिस पहुंची। तीस्ता न्यूजक्लिक वेबसाइट के लिए आर्टिकल लिखती रही हैं। हालांकि, पुलिस ने अब तक इस केस से तीस्ता के कनेक्शन के बारे में कुछ नहीं कहा है। तीस्ता को गुजरात दंगों से जुड़े एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को जमानत दी थी। उन्हें पिछले साल 25 जून को गिरफ्तार किया गया था।

इससे पहले न्यूजक्लिक से जुड़े पत्रकार अभिसार शर्मा, उर्मिलेश और परंजॉय गुहा ठाकुरता को पुलिस ले गई थी।

दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत की है। 5 अगस्त को न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि न्यूजक्लिक को एक अमेरिकी अरबपति नोवेल रॉय सिंघम ने फाइनेंस किया था। वे चीनी प्रोपेगैंडा को बढ़ावा देने के लिए भारत समेत दुनियाभर में संस्थाओं को फंडिंग करते हैं।

अधिकारियों ने मीडिया को कहा कि पुलिस ने दिल्ली में न्यूज़क्लिक के कार्यालय को सील कर दिया, 46 संदिग्धों से पूछताछ की गई और लैपटॉप और मोबाइल फोन सहित डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों को जांच के लिए ले जाया गया। तलाशी सुबह जल्दी शुरू हुई और दिल्ली-एनसीआर में केंद्रित थी।

उन्होंने कहा कि 37 पुरुष संदिग्धों से दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के कार्यालय में पूछताछ की गई, जबकि नौ महिला संदिग्धों से उनके रहने के स्थानों पर पूछताछ की गई। जिन लोगों से पूछताछ की जा रही है, उन्हें तीन श्रेणियों ए, बी और सी में बांटा गया है, लेकिन इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।

बुधवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करते लोग
बुधवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करते लोगफोटो - द मूकनायक

जिन लोगों से पूछताछ की गई उनमें पत्रकार उर्मिलेश, औनिंद्यो चक्रवर्ती, अभिसार शर्मा, परंजय गुहा ठाकुरता के साथ-साथ इतिहासकार सोहेल हाशमी, व्यंग्यकार संजय राजौरा और सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट के डी रघुनंदन शामिल थे।

“दिल्ली स्पेशल सेल द्वारा दिन भर की पूछताछ के बाद, मैं घर वापस आ गया हूँ। पूछे गए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दिया जाएगा. डरने की बात नहीं। और मैं सत्ता में बैठे लोगों से और खासकर उन लोगों से सवाल करता रहूंगा जो साधारण सवालों से डरते हैं। किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे,'' घर लौटने के बाद अभिसार शर्मा ने एक्स पर पोस्ट किया।

चीन से धन प्राप्त करने के आरोपों के बीच मीडिया फर्म दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में है।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा 17 अगस्त को समाचार पोर्टल के खिलाफ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी की धारा 153 ए (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 120 बी (आपराधिक) सहित अन्य धाराओं के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया था।

किसी ने कुछ गलत किया है, तो जांच एजेंसियां उस पर काम करती हैं- ठाकुर

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भुवनेश्वर में मंगलवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं और कानून के मुताबिक काम करती हैं।
ठाकुर ने कहा, "...अगर किसी ने कुछ गलत किया है, तो जांच एजेंसियां उस पर काम करती हैं... कहीं नहीं लिखा है कि अगर आपने अवैध तरीके से पैसा प्राप्त किया है या कुछ आपत्तिजनक किया है, तो जांच एजेंसियां उसकी जांच नहीं कर सकती हैं।"

प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर मुखरित स्वर

1.4 अरब लोगों की आबादी वाला भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और दुनिया के सबसे बड़े मीडिया बाजारों में से एक है। लेकिन मोदी सरकार पर बार-बार प्रेस को डराने, बोलने की आज़ादी को दबाने और स्वतंत्र समाचार संगठनों को सेंसर करने का आरोप लगाया गया है।

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में, भारत 2014 में 140वें स्थान से गिरकर 180 देशों में से 161वें स्थान पर आ गया है। उसी साल मोदी सत्ता में आये थे. यह रैंक भारत को लाओस, फिलीपींस और पड़ोसी पाकिस्तान जैसे देशों से नीचे रखता है।

भारतीय डिजिटल समाचार फाउंडेशन डिजीपब ने कहा कि वह मंगलवार की छापेमारी से "गहराई से चिंतित" है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि वह चिंतित है कि छापे "मीडिया को दबाने का एक और प्रयास" थे, जबकि सरकार से "उचित प्रक्रिया" का पालन करने और "कठोर कानूनों की छाया के तहत डराने-धमकाने का सामान्य माहौल नहीं बनाने" का आग्रह किया।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि वह "पत्रकारों के साथ एकजुटता रखता है और सरकार से विवरण सामने लाने की मांग करता है।"

विपक्ष ने सरकार को घेरा

इस मुद्दे ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी और कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ-साथ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी तलाशी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और सरकार की आलोचना की।

विपक्षी गुट इंडिया ने छापों की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की "जबरन" कार्रवाई केवल उन लोगों के खिलाफ है जो सत्ता के लिए सच बोलते हैं, न कि नफरत और विभाजन फैलाने वालों के खिलाफ।

INDIA ने एक विज्ञप्ति में कहा कि "सरकार ने मीडिया संगठनों को पूंजीपतियों द्वारा अपने कब्जे में लेने की सुविधा देकर मीडिया को अपने पक्षपातपूर्ण और वैचारिक हितों के लिए मुखपत्र में बदलने का भी प्रयास किया है"।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि न्यूज़क्लिक में योगदान देने वाले पत्रकारों पर सुबह-सुबह की गई छापेमारी "बिहार में जाति जनगणना के विस्फोटक निष्कर्षों और देश भर में जाति जनगणना की बढ़ती मांग से एक ताज़ा ध्यान भटकाने वाली घटना" है।
खेड़ा ने एक्स पर कहा, "जब उन्हें पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्नों का सामना करना पड़ता है, तो वे अपने पूर्वानुमानित पाठ्यक्रम में मौजूद एकमात्र काउंटर - व्याकुलता - का सहारा लेते हैं।"

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक और उसके पत्रकारों से जुड़े कई स्थानों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी की निंदा करते हुए कहा कि यह कार्रवाई दर्शाती है कि "नया भारत प्रेस को गंभीरता से लेता है"।

2021 में शुरू की थी जांच

2021 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने संदिग्ध विदेशी फंडिंग को लेकर न्यूज़क्लिक के खिलाफ जांच शुरू की थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर भी दर्ज की थी. ईडी ने 2022 में इस मनी लॉन्ड्रिंग जांच के हिस्से के रूप में 41 लाख रुपये की सावधि जमा के अलावा पुरकायस्थ से जुड़े दक्षिण दिल्ली के 4.52 करोड़ रुपये के एक फ्लैट को जब्त कर लिया था।

सितंबर 2021 में इनकम टैक्स विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल न्यूज लॉन्ड्री और न्यूजक्लिक के ऑफिस में रेड डाली भी। टैक्स चोरी की जांच के लिए यह कार्रवाई की गई थी। इनकम टैक्स विभाग ने इस बात की पुष्टि की थी कि उसकी टीम साउथ दिल्ली में इन दोनों वेबसाइट के ऑफिस पहुंची थीं। हालांकि आयकर विभाग की तरफ से इस कार्रवाई को रेड की जगह सर्वे कहा गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जुलाई 2021 को प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार न करने का आदेश दिया था। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि पुरकायस्थ को अधिकारियों के निर्देशों के मुताबिक जांच में सहयोग करना होगा। दिल्ली पुलिस की याचिका के बाद कोर्ट ने पुरकायस्थ से इस मामले में जवाब तलब किया था।

क्या थी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट?

5 अगस्त 2023 को न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी। रिपोर्ट में बताया गया कि ब्रिटेन और अमेरिका में कुछ ग्रुप चीन के प्रोपेगैंडा को प्रमोट करने में जुटे हैं। इन संगठनों की जांच की गई तो सामने आया कि इसकी फंडिंग एक अमेरिकन मिलियनेयर नेविल रॉय सिंघम कर रहे हैं।

टाइम्स के मुताबिक नेविल रॉय सीधे तौर पर चीन सरकार के निर्देशों पर काम नहीं करते। हालांकि वो उन संस्थाओं के साथ जुड़े हैं, जो दुनिया में चीन की उपलब्धियों का बखान करती हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि सिंघम के साथ मैसाचुसेट्स में एक थिंक टैंक, मैनहटन की संस्था, दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल, भारत और ब्राजील में न्यूज ऑर्गेनाइजेशन सहित कई ग्रुप जुड़े हैं। इनके पास अरबों डॉलर के साधन हैं।

सिंघम शिकागो में स़ॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी कंपनी थॉटवर्क्स चलाते हैं। इससे एक भारतीय न्यूज वेबसाइट भी जुड़ी है। 69 साल के सिंघम शंघाई में बैठते हैं। वहां उनका नेटवर्क यूट्यब पर एक शो चलाता है। इसके लिए शंघाई का प्रोपेगैंडा विभाग भी कुछ पैसा देता है।

सिंघम से जुड़ा कोई भी ग्रुप विदेशी एजेंट रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं है। दूसरे देशों की ओर से जनमत को प्रभावित करने के अभियान चलाने वाले ग्रुपों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है।

मानसून सत्र के दौरान 7 अगस्त को लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट का हवाला देकर न्यूजक्लिक को मिलने वाली चीनी फंडिंग का मुद्दा उठाया था।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि 'कांग्रेस, चीन और विवादित न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक एक ही गर्भनाल से जुड़े हैं। राहुल गांधी की 'नकली मोहब्बत की दुकान' में पड़ोसी सामान साफ देखा जा सकता है। चीन के प्रति उनका प्रेम नजर आ रहा है। वे भारत विरोधी अभियान चला रहे हैं।'

22 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने पुरकायस्थ को नोटिस दिया था। यह नोटिस दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग (EOW) की याचिका पर दिया गया था। पुलिस ने याचिका में कोर्ट के अंतरिम आदेश को वापस लेने की अपील की थी, जिसमें न्यूज साइट के खिलाफ सख्त एक्शन लेने पर रोक लगाई गई थी।

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