MP: भोपाल गैस कांड पीड़ित 153 परिवारों के सिर पर छत की जगह तिरपाल! जानिए क्या है कारण?-ग्राउंड रिपोर्ट

यूनियन कार्बाइट फैक्ट्री के समीप पिछले 30 सालों से रह रहे लोगों के मकानों पर रेलवे प्रशासन ने चलाया था बुलडोजर, लेकिन अभी तक इन परिवारों को विस्थापित नहीं किया।
मकानों के ध्वस्तीकरण के बाद मलबे पर तिरपाल तानकर बनाए गए अस्थायी आवास।
मकानों के ध्वस्तीकरण के बाद मलबे पर तिरपाल तानकर बनाए गए अस्थायी आवास।The Mooknayak

भोपाल। "14 महीने बीत चुके हैं, लेकिन हमें जमीन नहीं मिली। जब हमारा मकान तोड़ रहे थे तो प्रशासन ने कहा था, दूसरी जगह देंगे या फिर दो लाख दोगे तो पीएम आवास योजना का पक्का मकान मिल जाएगा। उस वक्त तहसीलदार ने टोकन दिया था। कह रहे थे दो-चार दिन में जगह बता देंगे, लेकिन अब हमारे नम्बर का कोई अता-पता नहीं हैं। परिवार में मेरी पत्नी तीन बच्चे और माँ हैं, एक साल से यहीं तिरपाल बांध कर रह रहे हैं। टोकन लेकर कई बार तहसील गए मगर अब कोई कुछ नहीं बता रहा।"

यह पीड़ा भोपाल के अन्नू नगर के रहवासी रफीक के साथ 153 परिवारों की है, जिनके घरों पर एक साल पहले बुलडोजर चला, लेकिन इन्हें कोई दूसरी जगह आज तक नहीं मिल पाई। राजधानी में भोपाल गैस और पानी पीड़ित 153 परिवार विस्थापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 14 महीने से अपने मकानों के मलवे पर तिरपाल बांध कर यह परिवार किसी तरह गुजर बसर करने को मजबूर हैं। 

तिरपाल की छत डालकर बनाए गए अस्थायी मकान में रफीक।
तिरपाल की छत डालकर बनाए गए अस्थायी मकान में रफीक।The Mooknayak

द मूकनायक की टीम भोपाल के अन्नू नगर और श्रीराम नगर पहुंची। यह बस्ती मुस्लिम और दलित बाहुल्य है। पिछले एक साल से यहां लोग बिना बिजली, शौचालय और अन्य संसाधनों के अपने परिवार का पालन कर रहे हैं। प्रशासन के वादों के बाद भी इन्हें कोई राहत नहीं मिली। 

दरअसल, रेलवे और जिला प्रशासन ने 22 दिसंबर 2022 को संयुक्त कार्रवाई कर यूनियन कार्बाइट फैक्ट्री के समीप रेलवे की भूमि पर बने 250 अवैध मकान को तोड़ा था। लेकिन यहां रह रहे 153 परिवारों को विस्थापित नहीं किया , जिसकी वजह से अन्नूनगर और श्रीराम नगर के लोग ठंड, बारिश और गर्मी में तिरपाल के नीचे रहने को मजबूर हैं। शेष परिवार यहां से पलायन कर शहर के दूसरे हिस्सों में चले गए है।

नफीस.
नफीस.The Mooknayak

द मूकनायक से बातचीत करते हुए अन्नू नगर के निवासी नफीस ने बताया कि जब बुलडोजर की कार्रवाई में उनका घर तोड़ा था, तो प्रशासन ने उन्हें दूसरी जगह विस्थापित करने का वादा किया था, एसडीएम और तहसीलदार ने मौके पर हम लोगों को टोकन दिए थे। कहाँ था जैसे-जैसे व्यवस्था होती जाएगी हम जगह देंगे, लेकिन अब 14 महीने बाद भी हमें जगह नहीं मिल पाई। नफीस ने कहा- "मजदूरी करके अपने परिवार को पाल रहा हूँ, माँ बीमार है रहने तक को जगह नहीं है। बिजली नहीं है, शौचालय की व्यवस्था नहीं है। 

अन्नूनगर की एक और रहवासी नजमा ने कहा-  "जब हमारे घर तोड़े तब हम चिल्लाते रह गए किसी ने नहीं सुना। अफसरों ने कहा जगह देंगे, लेकिन एक साल के इंतजार के बाद भी कुछ नहीं मिला। हमने तिरपाल और कपड़े बांध कर टपरे बना लिए है, लेकिन थोड़ी सी तेज हवा चलती है तो डर लगता है। मंगलवार को तेज आँधी बारिश के कारण हम टपरों से बाहर निकल कर खड़े हो गए, आँधी इतनी तेज थी कि कई घरों के टीन और तरपाल उड़ गई। हमारी परेशानी को अफसर क्या समझेंगे" 

वोटर लिस्ट से नाम काटे

अन्नू नगर रहवासी नजब खां ने बताया कि हम सभी परिवार यहां पिछले 30 सालों से रह रहे हैं। लेकिन अब सभी के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए। पिछले विधानसभा चुनाव में हम लोग वोट नहीं डाल सके। पहले तो प्रशासन ने हमें बेघर किया बाद में हमारा वोट डालने का अधिकार भी हमसे छीन लिया। नजब ने कहा- "मुझे 178 नम्बर का टोकन दिया गया है, मेरे परिवार में छह सदस्य है, एक साल हो गया कोई सुनने वाला नहीं आया, घर बनाने को थोड़ी सी ही जगह मिल जाए तब भी ठीक है." 

टोकन दिखाते हुए नजब खां.
टोकन दिखाते हुए नजब खां. The Mooknayak

गैस पीड़ितों की समस्याओं पर काम कर रहीं भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की संचालक रचना ढिंगरा ने बताया की अन्नूनगर, श्रीराम नगर गैस और पानी पीड़ित रहवासियों की बस्ती है। यहां गरीब मजदूर लोग बड़ी मुश्किलों में रह रहे हैं। रचना ने कहा- "अन्नूनगर बस्ती में एक साल पहले बुलडोजर चलाकर बेघर किए गए परिवारों को आज तक विस्थापित नहीं किया गया। उन्हें टोकन दिए गए, लेकिन जमीन नहीं मिली." 

आश्वासन मिला पर कार्रवाई नहीं हुई

गैस पीड़ित संगठनों ने पिछले महीने ही कलेक्टरेट पहुंचकर 153 परिवारों को विस्थापित किए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया था। पीड़ित परिवारों की सूची भी सौंपी गई थी। भोपाल कलेक्टर ने पीड़ितों को आश्वासन दिया था कि इन्हें पीएम आवास एवं अन्य जगह पर विस्थापित कर दिया जाएगा, लेकिन अब तक एक भी परिवार को जगह नहीं मिल पाई। 

इस संबंध में प्रशासन का पक्ष जानने के लिए द मूकनायक प्रतिनिधि ने भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह को कई बार फोन किए। मैसेज भी किए, लेकिन उनका उत्तर नहीं मिला। इधर, भोपाल कमिश्नर डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कहा कि मामले की जानकारी नहीं है। मैं दिखवाता हूँ।

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