विश्व के पहले महिला पुलिस स्टेशन की प्रभारी ने साइन करने के लिए इंदिरा गांधी से लिया था पेन, जानिए कहां है ये थाना!

27 अक्टूबर,1973 को हुआ था उद्घाटन, नीले बॉर्डर की सफेद साड़ी थी तब यूनिफार्म, निडर होकर महिलाएं कर सके शिकायत इसलिए हुई स्थापना
विश्व के पहले महिला पुलिस स्टेशन की प्रभारी ने साइन करने के लिए इंदिरा गांधी से लिया था पेन, जानिए कहां है ये थाना!

कोझिकोड, केरल- 27 अक्टूबर,1973 वह ऐतिहासिक दिन था जब तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने देश के पहले 'केवल महिला पुलिस स्टेशन' का उद्घाटन किया।  पीएम ने स्टेशन की पहली इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर एम पद्मिनीअम्मा को रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए एक पेन सौंपा। इस वनिता (महिला) पुलिस स्टेशन की स्थापना के पीछे उद्देश्य प्रगतिशील और मानवीय दोनों था। 

यूं तो इस पुलिस स्टेशन को भारत ही नहीं एशिया का पहला ओनली वुमन स्टेशन होने का दर्जा प्राप्त है. केरल पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर इसे महिलाओं के लिए एशिया का पहला पुलिस स्टेशन उल्लेखित किया है  लेकिन हाल ही में जब पुलिस स्टेशन की गोलडन जुबिली मनाने की तैयारियों के चलते इतिहास खंगाला गया या यूं कहें कि जब अधिकारियों ने कौतुकतावश गूगल सर्च कर दुनिया के पहले महिला थाने को जानने का प्रयास किया तो उनकी खुशी और अचरज का पारावार नहीं रहा। इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार ब्राजील के Sao Paulo पुलिस विभाग द्वारा 6 अगस्त 1985 को Delegacia de Polícia de Defesa da Mulher (Police Station in Defense of Women) पहला महिला सुरक्षा पुलिस स्टेशन स्थापित किया जाना बताया गया है। 

उद्घाटन के बाद स्टेशन की पहली इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर एम पद्मिनीअम्मा को रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने एक पेन सौंपा।
उद्घाटन के बाद स्टेशन की पहली इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर एम पद्मिनीअम्मा को रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने एक पेन सौंपा।( पुलिस थाने की दीवार पर लगी फ्रेम तस्वीर )

कोझिकोड शहर के एसीपी (ACP) बिजुराज पी ने बताया यह वास्तव में दुनिया का पहला महिला पुलिस स्टेशन है, लेकिन पहले कभी डॉक्यूमेंटेशन नहीं होने के कारण लोगों को इसकी जानकारी नहीं हुई। वे कहते हैं,  "जब हमने ऑनलाइन खोज की, तो ऐसी रिपोर्ट थीं जिनमें दावा किया गया था कि इस तरह का पहला पुलिस स्टेशन ब्राजील में 1985 में शुरू किया गया था। हालांकि, कोझिकोड में स्टेशन का उद्घाटन 1973 में किया गया था। यह निश्चित रूप से एशिया में पहला है, और हमारे शोध से पता चलता है कि यह दुनिया का पहला है "। 

केरल पुलिस द्वारा कोझिकोड वनिता पुलिस स्टेशन के स्वर्ण जयंती समारोह के तहत 16 अक्टूबर से विभिन्न आयोजन शुरू किये गए जिसका समापन शुक्रवार को होगा। उत्सव की गतिविधियों में महिलाओं और बच्चों के लिए रक्तदान कैम्प,  कैंसर रोगियों के लिए केशदान, और सामाजिक मुद्दों पर नशीली दवाओं और बाल शिक्षा के खिलाफ जागरूकता अभियान शामिल थे। एसीपी बिजुराज ने कहा कि समारोह में पुलिस स्टेशन के पूर्व स्टेशन हाउस अधिकारियों के सम्मान के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण पर सेमिनार और कार्यक्रम भी शामिल हैं।

तुलसी उप-निरीक्षक के रूप में सीधे भर्ती के बाद स्टेशन का प्रभार संभालने वाली पहली महिला अधिकारी हैं।
तुलसी उप-निरीक्षक के रूप में सीधे भर्ती के बाद स्टेशन का प्रभार संभालने वाली पहली महिला अधिकारी हैं।

द मूकनायक ने थाने की वर्तमान इंचार्ज तुलसी केके ( Thulasi KK) से बात की।  गोल्डन जुबिली कार्यक्रमों के कारण वे बहुत व्यस्त थी लेकिन उत्सुकता भी इतनी थी कि उन्होंने थोड़ा समय निकाल कर थाने के बारे में जानकारी साझा की। 

तुलसी उप-निरीक्षक के रूप में सीधे भर्ती के बाद स्टेशन का प्रभार संभालने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। इससे पहले तक सभी इंचार्ज प्रमोटी उप-निरीक्षक रहे हैं।  तुलसी ने बताया इस वनिता थाने में प्रति माह औसतन 10 से 20 तक केसेज दर्ज होते हैं जिसमें अधिकतर मामले मद्यपान के कारण घरेलू हिंसा, पड़ोसियों के बीच विवाद, दाम्पत्य  मामलों से जुड़े होते हैं।  यहां सिर्फ महिलाएं शिकायत लेकर आती हैं, हम ऐसे मामले भी दर्ज करते हैं जहां महिलाएं आरोपी हैं। ज्यादातर मामले पारिवारिक मुद्दों और घरेलू हिंसा से संबंधित होते हैं जिन्हें महिला अधिकारी ( सिविल पुलिस ऑफ़िसर) सहानुभूतिपूर्ण अप्रोच के साथ दोनो पक्षों को समझाबुझा कर विवाद खत्म करने का प्रयास करती हैं। अगर काउंसिलिंग से मामला नहीं सुलझता, तब केस रजिस्टर किया जाता है।

तुलसी ने बताया कि थाने में 25 का स्टाफ है जिसमे प्रभारी के अलावा 11 महिलाएं सीनियर सिविल पुलिस ऑफिसर (Sr CPO) , 13 सीपीओ हैं। तीन जीप ड्राइवर्स हैं जो पुरुष हैं। तुलसी कहती हैं हालांकि उन्हें इस पोस्ट पर आए दो-तीन महीने ही हुए हैं लेकिन उन्हें इस बात का फख्र है कि वे इस थाने का हिस्सा हैं जो ना केवल देश या एशिया बल्कि विश्व का पहला ओनली लेडीज पुलिस स्टेशन होने की विशिष्टता रखता है। तुलसी ने बताया कि वे हाल ही में स्टेशन की पहली इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर रहीं एम पद्मिनीअम्मा से मुलाक़ात करके आईं हैं। पद्मिनीअम्मा 1995 सेवानिवृत्त होने के बाद अपने पुत्र के साथ त्रिवेंद्रम में निवास करती हैं। 

स्वर्ण जयंती समारोह के तहत आयोजित हुई  बाइक रैली में उल्लासित पुलिस कर्मी
स्वर्ण जयंती समारोह के तहत आयोजित हुई बाइक रैली में उल्लासित पुलिस कर्मी सोशल मीडिया

नन्हें बच्चे घर में, माएं करती हैं नाईट ड्यूटी

इसी थाने की सीपीओ Thulasi CT से द मूकनायक ने थाने के कामकाज और व्यवस्था को समझने का प्रयास किया। तुलसी ने बताया कि वे पांच माह से यहां तैनात हैं और अभी उनकी नाईट ड्यूटी है। तुलसी की नन्हीं बेटी है जो सिर्फ 2 साल की है। पुलिस जैसी मुश्किल सेवा खासकर महिलाओं के लिए गृहस्थी के साथ सामंजस्य बिठाना कितना कठिन है- इस सवाल पर तुलसी कहती हैं यह चुनौती पूर्ण है लेकिन जब यह मुश्किल राह चुन ली है तो पूरी निष्ठा के साथ इसे हम सभी निभाते हैं।

तुलसी ने बताया , " महिला पुलिसकर्मी मेटरनिटी लीव प्राप्त करती हैं और बच्चा जब तक डेढ़ साल का नहीं हो जाता, तब तक महिला स्टाफ को रात्रिकालीन ड्यूटी से मुक्त रखा जाता है। मेरी बेटी दो साल की हो चुकी है इसलिए अभी हाल ही मुझे नाईट ड्यूटी मिली है। अभी भी वह छोटी है तो ड्यूटी के दौरान एकाध बार उसे देखने और फीड करने जाती हूँ, सभी मिलकर काम संभालते हैं।" तुलसी यह भी कहती हैं कि यह हम सभी स्टाफ के लिए अत्यधिक गौरव की बात है कि हम ऐसे ऐतिहासिक पलों के साक्षी बन रहे हैं जब यह थाना अपनी गोल्डन जुबिली मना रहा है। 

थाने के साथ एक हेल्पलाइन अटैच्ड है जो शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे तक प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए प्रयत्नरत रहता है। इसके अलावा ' पाराव ' व्यवस्था है जिसमे स्टेशन संतरी होते हैं ,  24 घण्टे इसमें महिला पुलिसकर्मी शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं, स्टेशन की जीप में पेट्रोलिंग करते हैं। इस थाने में जिले के अन्य थानों से महिला पुलिस कर्मियों की ड्यूटी बारी बारी से लगती है.

थाने की पहली इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर एम पद्मिनीअम्मा  1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद से अपने पुत्र के साथ त्रिवेंद्रम में निवास करती हैं।
थाने की पहली इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर एम पद्मिनीअम्मा 1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद से अपने पुत्र के साथ त्रिवेंद्रम में निवास करती हैं। सोशल मीडिया

...ताकि महिलाएं निडर होकर पहुंचे थाने

आज भी देश की आधी आबादी पुरुष प्रधान समाज मे अपने हक के लिए संघर्ष कर रही है। सोचिए पांच दशक पहले क्या स्थिति रही होगी जब समाज मे खासकर ग्रामीण इलाकों में महिला साक्षरता और शिक्षा का प्रतिशत काफी कम था। 

न्याय के लिए गुहार लगाने वाली महिलाओं को मुख्य रूप से पुलिस स्टेशनों के अंदर पुरुष-प्रधान माहौल का सामना करना पड़ता है। कई लोगों के लिए यह एक विकट बाधा थी, विशेषकर उनके लिए जिनके पास शैक्षिक सशक्तिकरण का अभाव था। प्रथम उप-निरीक्षक एम पद्मिनीअम्मा बताती हैं -थाना स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य ऐसी महिलाओं के लिए अपनी शिकायतें दर्ज करना आसान बनाना था।वे पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि तब खाकी वर्दी नहीं हुआ करती थी, शुरू में नीले बॉर्डर वाली एक सफेद साड़ी थी, जो बाद में हरे बॉर्डर वाली साड़ी में बदल गई।  पद्मिनीअम्मा की सेवानिवृत्ति तक साड़ियाँ खाकी रंग में परिवर्तित नहीं हुईं थी। बाद में बदलते समय के साथ महिला पुलिसकर्मियों का यूनिफॉर्म भी पेंट्स-शर्ट में बदल गया। 

यह भी पढ़ें-

विश्व के पहले महिला पुलिस स्टेशन की प्रभारी ने साइन करने के लिए इंदिरा गांधी से लिया था पेन, जानिए कहां है ये थाना!
समलैंगिक विवाह पर देश में पहली याचिका लगाने वाले युगल बोले- " शशि थरूर का मज़ाक उड़ाने वाली संसद से कानून की कोई आस नहीं ! "
विश्व के पहले महिला पुलिस स्टेशन की प्रभारी ने साइन करने के लिए इंदिरा गांधी से लिया था पेन, जानिए कहां है ये थाना!
उत्तर प्रदेश: "हम लोग दलित हैं, विरोध नहीं कर सकते, इसलिए पुलिस भी हमारी जमीन पर कब्जा कर ले रही है"- पीड़ित परिवार
विश्व के पहले महिला पुलिस स्टेशन की प्रभारी ने साइन करने के लिए इंदिरा गांधी से लिया था पेन, जानिए कहां है ये थाना!
डॉ अंबेडकर समलैंगिकता को मानते थे 'प्राकृतिक', 90 साल पहले कोर्ट में दिए ये तर्क

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
logo
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com