
भोपाल। मध्य प्रदेश में आईएएस संतोष वर्मा का विवाद शांत होने के बजाय लगातार नया मोड़ ले रहा है। मामला सिर्फ एक नोटिस या विभागीय कार्यवाही तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह जातीय संगठनों, राजनीतिक बयानबाज़ी और प्रशासनिक विश्वसनीयता से जुड़ा बड़ा मुद्दा बन गया है। एक ओर अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) संतोष वर्मा के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है, वहीं ब्राह्मण समाज के कई संगठन सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाए।
यह पूरा विवाद अब “नोटिस की वैधता बनाम जातीय अस्मिता” का रूप ले चुका है। नीचे समझिए, आखिर क्यों यह मामला लगातार बढ़ता जा रहा है।
अजाक्स संघ ने इसे एकतरफा और गलत कार्रवाई बताते हुए राज्यभर में जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन सौंपना शुरू कर दिया है। संघ का कहना है कि यह कदम न सिर्फ संतोष वर्मा को निशाना बनाता है, बल्कि एससी-एसटी वर्ग के अधिकारियों के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण रवैये को भी दर्शाता है।
अजाक्स के प्रवक्ता विजय शंकर श्रवण ने द मूकनायक से बातचीत में कहा- “सरकार ने बिना ठोस तथ्य और बिना संतोषजनक जांच के संतोष वर्मा पर मनमानी कार्रवाई की है। इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है। इस प्रकार की कार्रवाई सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती है। हमारी साफ मांग है कि तत्काल नोटिस वापस लिया जाए और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो।”
अजाक्स का कहना है कि संतोष वर्मा एक सक्षम अधिकारी हैं और उन पर की गई कार्रवाई पूर्वाग्रह आधारित है। संघ ने आरोप लगाया कि जिस तरीके से मामले को उछाला गया, वह “वर्ग विशेष के अधिकारियों को टारगेट करने” जैसा है।
उधर, ब्राह्मण समाज के प्रमुख संगठन इस मुद्दे पर नाराज़ हैं। उनका आरोप है कि संतोष वर्मा ने कथित रूप से ऐसे बयान, निर्देश या कार्रवाई की हैं जिनसे उनके समाज की ‘मानहानि’ हुई है।
इसी क्रम में रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखकर संतोष वर्मा के प्रमोशन और पूरे करियर की जांच की मांग की है। कई ब्राह्मण संगठन इसे “समाज के आत्मसम्मान का मुद्दा” बताते हुए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
उनका तर्क है कि, मामला केवल प्रशासनिक त्रुटि नहीं है,यह सामाजिक असहमति और पक्षपात का प्रतीक है, इसलिए इसकी जांच राज्य सरकार नहीं, बल्कि केंद्र सरकार से हो। सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी संतोष वर्मा पर कार्रवाई की मांग की है।
अजाक्स का प्रांतीय अधिवेशन 23 नवंबर को भोपाल के अंबेडकर मैदान में हुआ था, जहां वरिष्ठ IAS संतोष वर्मा को प्रांताध्यक्ष चुना गया। इसी दौरान उनकी एक टिप्पणी सामने आई जिसमें उन्होंने कहा, “एक परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण तब तक देना चाहिए, जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता।”
इस बयान का वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर विरोध की लहर फैल गई। कई संगठनों, राजनीतिक नेताओं और महिलाओं ने इसे महिलाओं और जाति विशेष के प्रति अपमानजनक बताया। वहीं, विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन देने का सिलसिला भी तेज हो गया। हालांकि संतोष वर्मा और उनके समर्थक इसे “बिना आधार की शिकायत” बताते हैं।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने 27 नवंबर की देर रात संतोष वर्मा को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब देने का निर्देश दिया है। नोटिस में कहा गया है, जिसमें 23 नवंबर को अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में दिया गया बयान, अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1967 का उल्लंघन बताया है। जिसपर संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई हो सकती है। नोटिस में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय में जवाब नहीं दिया गया, तो सरकार एकपक्षीय कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होगी।
विवाद बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों की कैंपेनिंग तेज हो गई है। एक ओर कई यूज़र्स संतोष वर्मा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोग उनके समर्थन में उतर आए हैं। समर्थकों का कहना है कि संतोष वर्मा से जुड़ा वीडियो तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और बिना सत्यापन के उनके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। इस डिजिटल खींचतान ने पूरे विवाद को और अधिक गर्मा दिया है।
जिस 7 सेकंड के वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है, वह वास्तव में संतोष वर्मा के लगभग 12 मिनट के पूरे भाषण का एक छोटा-सा अंश है। पूरे वीडियो को सुनने पर यह स्पष्ट होता है कि वर्मा आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू करने की चल रही बहस का उदाहरण देते हुए अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा, सामाजिक समरसता और समाज में बराबरी की बात कर रहे थे।
हालांकि, भाषण के इसी छोटे हिस्से को अलग कर के वायरल कर दिया गया, जबकि संदर्भ हटते ही उसका अर्थ पूरी तरह बदल गया। यही 7 सेकंड का एडिटेड अंश विवाद बढ़ने की सबसे बड़ी वजह बन गया है।
एक ओर अजाक्स नोटिस वापस लेने की मांग कर रहा है और कह रहा है कि ऐसा नहीं किया तो प्रदेशभर में आंदोलन होगा।दूसरी ओर ब्राह्मण समाज बार-बार कार्रवाई पर जोर दे रहा है। सरकार दोनों पक्षों को शांत रखना चाहती है, लेकिन फिलहाल कोई स्पष्ट समाधान दिखाई नहीं दे रहा।
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