MP के खंडवा में प्याज के दाम को लेकर किसानों का प्रदर्शन: रेल रोकने की चेतावनी के लिए आगे बढ़े और फिर धरने पर बैठे

धरने के दौरान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने आंदोलन प्रमुख सुभाष पटेल की फोन पर प्रदेश के कृषि मंत्री से बात कराई। इसके बाद किसान मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधे फोन पर बात कराने पर अड़ गए।
MP के खंडवा में प्याज के दाम को लेकर किसानों का प्रदर्शन
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भोपाल। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में शनिवार को प्याज के दाम और खरीदी से जुड़े मसलों पर किसानों का गुस्सा जमकर फूटा। जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर टिगरिया गांव में सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक किसानों का विशाल धरना-प्रदर्शन चलता रहा। हजारों किसान रेलवे ट्रैक के पास एकत्र हुए और रेल रोकने का ऐलान किया। तनाव को देखते हुए रेलवे और जिला प्रशासन ने रेलवे ट्रैक से किसानों को लगभग 200 मीटर दूर रोकने के लिए तीन लेयर की सुरक्षा बैरिकेडिंग लगा दी थी। पुलिस बल, रेलवे सुरक्षा बल और प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती पूरे समय भारी रही।

सुबह से उमड़े 40 गांवों के 5 हजार किसान

शनिवार सुबह करीब 9 बजे से ही टिगरिया स्थित गुर्जर समाज की धर्मशाला में स्वतंत्र किसान जन आंदोलन के बैनर तले किसानों का जुटान शुरू हो गया था। धीरे-धीरे संख्या बढ़कर 40 गांवों से आए 5 हजार से अधिक किसानों तक पहुंच गई। इसी भीड़ के बीच सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, विधायक कंचन तनवे, छाया मोरे, तथा भाजपा जिलाध्यक्ष राजपालसिंह तोमर मौके पर पहुंचे। किसानों ने नेताओं को जमीन पर बैठाकर अपनी समस्याओं और मांगों को विस्तार से बताया। प्याज की लगातार गिरती कीमतें किसानों के लिए बड़ा संकट बन चुकी हैं।

किसान नेता सुभाष पटेल, जय पटेल और त्रिलोक पटेल ने कहा कि प्याज की कीमतें उत्पादन लागत से भी नीचे पहुंच गई हैं, जिससे किसान भारी नुकसान में हैं।

किसान नेताओं ने बैठक में स्पष्ट और कड़े शब्दों में अपनी मांगें रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार तत्काल प्याज का निर्यात शुरू करे, ताकि बाजार में कीमतों को स्थिरता मिल सके और किसानों को राहत मिल सके। किसानों का कहना था कि यदि सरकार निर्यात नहीं खोलती है, तो उसे महाराष्ट्र की तर्ज पर 24 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज की सरकारी खरीदी शुरू करनी चाहिए।

उनका तर्क था कि वर्तमान हालात में उत्पादन लागत भी नहीं निकल रही है, ऐसे में यह कदम किसानों को बड़े नुकसान से बचा सकता है। वहीं, यदि इन दोनों विकल्पों पर भी सरकार कोई निर्णय नहीं लेती, तो किसानों ने मांग की कि उन्हें प्रति एकड़ 70 से 80 हजार रुपये फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाए, क्योंकि इस समय प्याज की खेती करने वाले किसान भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

इसके साथ ही किसानों ने सोयाबीन फसल की राहत राशि का शीघ्र वितरण, जिले में मक्का की खरीदी को समर्थन मूल्य या भावांतर योजना में शामिल करने, और कपास की खरीदी भारतीय कपास निगम (CCI) द्वारा करवाने की मांग भी जोरदार तरीके से रखी।

सांसद पाटिल ने दिलाया आश्वासन

धरने के दौरान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने आंदोलन प्रमुख सुभाष पटेल की फोन पर प्रदेश के कृषि मंत्री से बात कराई। इसके बाद किसान मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधे फोन पर बात कराने पर अड़ गए। सांसद ने किसानों को भरोसा दिलाया कि वे दो घंटे के भीतर वापस आकर दोनों नेताओं से बात कराएंगे। इसी बीच वे बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पंधाना चले गए।

लेकिन दोपहर 3 बजे तक सांसद नहीं लौटे, जिसके बाद किसानों में आक्रोश बढ़ने लगा। नाराज किसानों ने फैसला किया कि अब वे सीधे बड़गांव गुर्जर रेलवे स्टेशन हॉल्ट पहुंचकर ट्रेन रोकेंगे। बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और किसान भगवान बलराम की प्रतिमा के साथ सड़क पर उतर आए।

पुलिस ने रोकने की कोशिश की, लेकिन किसान नहीं माने

प्रशासन की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट बजरंग बहादुर सिंह और तहसीलदार महेश सिंह सोलंकी पुलिस बल के साथ किसानों को रोकने पहुंचे। काफी समझाइश दी गई, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे। आखिरकार पुलिस और रेलवे ने सुरक्षा को देखते हुए किसानों को रेलवे लाइन से दूर रखने के लिए तीन स्तरीय बैरिकेडिंग कर दी, जिसके सामने किसान लगभग तीन घंटे तक बैठे रहे।

करीब शाम 6 बजे सांसद पाटिल दोबारा मौके पर लौटे। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि वे तीन दिनों के भीतर केंद्रीय कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनके मुद्दों के समाधान के लिए पहल करेंगे। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि तीन दिन में मांगों का हल नहीं निकला, तो वे दोबारा आंदोलन करेंगे और इस बार आंदोलन और उग्र होगा।

आश्वासन के बाद शनिवार शाम 6 बजे आंदोलन स्थगित कर दिया गया, लेकिन किसानों का गुस्सा और संघर्ष की चेतावनी साफ संकेत दे रही है कि यदि प्याज और अन्य फसलों के दामों को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो खंडवा में हालात फिर बिगड़ सकते हैं।

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