बागेश्वर बाबा की यात्रा रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा DPSS, धीरेंद्र शास्त्री की कथाओं में गलत भाषा समाज में नफरत, अंधविश्वास और जातिगत विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप!

दामोदर यादव ने घोषणा की कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस, 06 दिसंबर को ग्वालियर में एक विशाल महारैली आयोजित की जाएगी।
बागेश्वर बाबा की यात्रा रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा DPSS
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भोपाल। दलित पिछड़ा समाज संगठन (DPSS) ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री द्वारा निकाली जा रही यात्राओं को ग़ैर-संवैधानिक बताते हुए इन पर रोक लगाने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। संगठन का आरोप है कि शास्त्री की कथाओं में प्रयुक्त भाषा समाज में नफरत, अंधविश्वास और जातिगत विभाजन को बढ़ावा देती है। DPSS के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं आज़ाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) के वरिष्ठ नेता दामोदर सिंह यादव ने रविवार को भोपाल में कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय देश की एकता और संविधान की गरिमा की रक्षा करते हुए इस मामले में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल सामाजिक सौहार्द को कमजोर करते हैं, बल्कि लोगों में अंधानुकरण और अवैज्ञानिक प्रवृत्तियों को भी बढ़ाते हैं, जो आधुनिक भारत की भावना के प्रतिकूल है।

दामोदर यादव ने घोषणा की कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस, 06 दिसंबर को ग्वालियर में एक विशाल महारैली आयोजित की जाएगी। इस रैली का नेतृत्व आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भीम आर्मी प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद करेंगे। यादव ने बताया कि यह केवल एक विरोध रैली नहीं होगी, बल्कि इससे पूरे प्रदेश में संविधान बचाओ यात्रा की शुरुआत की जाएगी, जिसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक संवैधानिक अधिकारों, समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों को पहुँचाना है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उन ताकतों के खिलाफ जनजागरण अभियान होगी, जो संविधान, बहुजन समाज और सामाजिक समरसता पर आघात कर रही हैं।

सिविल जज भर्ती पर सवाल!

दामोदर यादव ने मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती के ताज़ा परिणामों पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले घोषित परिणामों में अनुसूचित जनजाति वर्ग को 121 रिक्त पदों में से एक भी चयन नहीं मिला, जो अपने आप में चौंकाने वाला और चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बिरसा मुंडा जयंती मनाने के बड़े-बड़े कार्यक्रम कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश में आदिवासी युवाओं के अधिकारों को लेकर संवेदनशीलता क्यों नहीं दिखती? “क्या यही बिरसा मुंडा जी को सच्ची श्रद्धांजलि है?” यादव ने सवाल उठाया। इसी प्रकार SC वर्ग के 18 में से केवल 1 और OBC वर्ग के 9 में से केवल 5 पद ही भरे गए। इसके विपरीत अनारक्षित वर्ग के 43 में से 41 पद भर दिए गए, जिससे चयन प्रक्रिया पर कई गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।

यादव ने कहा कि वर्ष 2007 से सिविल जज परीक्षा हाई कोर्ट की चयन समिति द्वारा कराई जा रही है, जबकि देश के अधिकांश राज्यों में यह जिम्मेदारी आज भी लोक सेवा आयोग के पास है। MPPSC के समय आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों का चयन होता था, लेकिन चयन प्रक्रिया हाई कोर्ट के हाथ में जाने के बाद स्थिति लगातार प्रतिकूल हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि चयन समिति द्वारा बनाए गए नियम और प्रक्रिया इस तरह के हैं कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अवसर ही न मिल सके। उन्होंने कहा, “जब UPSC जैसी कठिन परीक्षा में आरक्षित वर्ग बड़ी संख्या में सफल हो सकता है, तो मध्य प्रदेश में ST, SC, OBC के पद रिक्त क्यों छोड़ दिए जाते हैं?”

यादव ने मांग की कि प्रदेश सरकार तुरंत इस परीक्षा परिणाम को निरस्त करे और परीक्षा आयोजन की जिम्मेदारी पुनः अपने हाथ में लेकर पारदर्शी चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करे।

इसके साथ ही उन्होंने OBC आरक्षण के मुद्दे पर भी प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि सरकार की दोहरी नीति के कारण 27 प्रतिशत OBC आरक्षण वर्तमान में कोर्ट में लंबित है और 13 प्रतिशत पर लगी रोक के चलते हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। यादव ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं पिछड़ा वर्ग से आते हैं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा SC वर्ग से हैं, फिर भी आरक्षित वर्गों को न्याय क्यों नहीं मिल रहा?

उन्होंने सवाल किया, “जब सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे प्रतिनिधि ही अपने समाज के मुद्दों पर सक्रिय नहीं होंगे तो सामाजिक न्याय कैसे स्थापित होगा?”

मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष का करेंगे घेराव

यादव ने कहा कि DPSS आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और उपमुख्यमंत्री का घेराव करेगा और राज्यपाल (जो स्वयं ST वर्ग से आते हैं) को ज्ञापन सौंपकर उनसे हस्तक्षेप की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल आरक्षण या चयन प्रक्रिया की नहीं, बल्कि संविधान में निहित समता, सम्मान और प्रतिनिधित्व के अधिकार की लड़ाई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग अब चुप नहीं रहेगा, और DPSS समाज के अधिकारों की रक्षा हेतु सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष करेगा।

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