आइआइटियन ने कहा- "जाति के आधार पर होता है भेदभाव, मेरिट से नहीं!" | ABCF सम्मेलन में युवा वक्ता की दमदार स्पीच

बिहार के दरभंगा में आयोजित ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फेडरेशन के सम्मेलन में जातिगत भेदभाव पर जोरदार भाषण
बिहार में जनरल कैटेगरी में गरीबी का स्तर लगभग 15% है, जबकि OBC में 35% और SC/ST में 43-44% है। इस अंतर का कारण ऐतिहासिक विशेषाधिकार हैं।
बिहार में जनरल कैटेगरी में गरीबी का स्तर लगभग 15% है, जबकि OBC में 35% और SC/ST में 43-44% है। इस अंतर का कारण ऐतिहासिक विशेषाधिकार हैं।Instagram
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दरभंगा, बिहार- ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फेडरेशन (AIBCF) के पहले राज्य सम्मेलन में एक युवा वक्ता, आनंद कुमार ने जातिगत भेदभाव और संविधान की महत्ता पर एक मार्मिक और तथ्यपूर्ण भाषण दिया। आईआईटी स्नातक आनंद कुमार ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर समाज में व्याप्त जातिवाद की पड़ताल की।

कुमार ने बताया कि उनका पहला सामना जातिवाद से चौथी कक्षा में तब हुआ जब एक शिक्षक, जो एक बड़े मंदिर के पुजारी भी थे, ने उनकी पिछड़ी जाति का पता चलने पर लगातार एक साल तक उन्हें स्टेज पर बुलाकर अपमानित किया। इसका नतीजा यह हुआ कि गणित जैसे विषय में उनके अंक कम हो गए।

उन्होंने आईआईटी में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि देश के इस प्रतिष्ठित संस्थान में भी अधिकांश शिक्षक एक विशेष जाति और वर्ग से थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछड़े और दलित वर्ग के शिक्षकों को 'नॉट फाउंड सूटेबल' (NFS) कहकर प्रोफेसर बनने से वंचित रखा जाता है।

प्राइवेट क्षेत्र और सरकारी दफ्तरों में काम करने के अपने अनुभवों में भी उन्होंने यही पैटर्न देखा। उन्होंने कहा, "जो मेरे मैनेजर हैं, वो उच्च वर्ग से आते हैं। उनके मैनेजर भी उच्च वर्ग से आते हैं। यह कैसी व्यवस्था है? क्या 80-90 करोड़ पिछड़े और दलित लोगों में इतना टैलेंट नहीं है?" उन्होंने जोर देकर कहा कि यह भेदभाव मेरिट के आधार पर नहीं, बल्कि जाति और वर्ग के आधार पर होता है।

आनंद कुमार ने एक चौंकाने वाला उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे एक सहकर्मी ने उन्हें गुपचुप तरीके से यह बताते हुए खुशी जताई कि उनके आवासीय परिसर में कोई पिछड़ा या दलित नहीं रहता। यह सुनकर उन्हें बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।

इन अनुभवों के आधार पर आनंद कुमार ने कहा कि संविधान ही वह माध्यम है जो पिछड़े वर्गों को उनका हक दिला सकता है। उन्होंने कहा, "अगर संविधान पर चर्चा करना एक फैशन है, तो यह एक बहुत अच्छा फैशन है, क्योंकि इससे हमें हमारे अधिकार मिलेंगे।" आनंद कुमार ने स्पष्ट किया कि जो लोग आरक्षण और संविधान का विरोध करते हैं, वे वही हैं जिन्हें ऐतिहासिक रूप से 100% आरक्षण प्राप्त था। उन्होंने कहा कि ये लोग 'मेरिट खराब होगी' जैसे तर्क देते हैं, लेकिन वास्तव में वे संविधान के विरोधी हैं।

उन्होंने जातिगत जनगणना पर जोर देते हुए कहा कि जिस तरह बीमारी का पता लगाने के लिए टेस्ट जरूरी है, उसी तरह देश में जातिगत असमानता का पता लगाने के लिए जनगणना जरूरी है। उन्होंने बिहार के आंकड़े देते हुए बताया कि जनरल कैटेगरी में गरीबी का स्तर लगभग 15% है, जबकि OBC में 35% और SC/ST में 43-44% है। इस अंतर का कारण ऐतिहासिक विशेषाधिकार हैं।

उन्होंने न्यायपालिका में विविधता की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि वर्तमान में 60% न्यायाधीश या तो पूर्व न्यायाधीशों के परिवारों से आते हैं या उच्च न्यायालयों/सर्वोच्च न्यायालय के वकीलों के परिवारों से। उन्होंने कहा कि यह स्थिति लोकतंत्र के विरुद्ध है और इसे बदलने की जरूरत है। कार्यक्रम में अन्य  वक्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए सामाजिक, आर्थिक और जातिगत सर्वेक्षणों को पूरा करने का भी आग्रह किया. शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक संस्थानों में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग की. 

बिहार में जनरल कैटेगरी में गरीबी का स्तर लगभग 15% है, जबकि OBC में 35% और SC/ST में 43-44% है। इस अंतर का कारण ऐतिहासिक विशेषाधिकार हैं।
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बिहार में जनरल कैटेगरी में गरीबी का स्तर लगभग 15% है, जबकि OBC में 35% और SC/ST में 43-44% है। इस अंतर का कारण ऐतिहासिक विशेषाधिकार हैं।
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