वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हाइजीन-डे: पीरियड्स के दिनों में महिलाएं क्यों इस्तेमाल कर रहीं हैं गंदा कपड़ा, जागरूकता में कहां हुई चूक!

"मौत के पैसे से दो जिंदगी खरीद सकता है, एक अपनी और दूसरी अपनी बीवी की" — अभिनेता अक्षय कुमार का विज्ञापन भी नहीं आया काम। 50 फीसदी महिलाएं इस्तेमाल कर रही गंदा कपड़ा।
मूकनायक टीम की ओर से जागरूकता के साथ-साथ महिलाओं में बांटें गए सेनेटरी पैड
मूकनायक टीम की ओर से जागरूकता के साथ-साथ महिलाओं में बांटें गए सेनेटरी पैडफोटो- सत्य प्रकाश भारती

नई दिल्ली। भारत के सिनेमाघरों की स्क्रीनों में लगने वाली फिल्मों से पूर्व आप सभी ने अक्षय कुमार का नशा मुक्ति और महिला स्वास्थ्य सुरक्षा पर बना विज्ञापन जरूर देखा होगा। इसके  साथ ही समय-समय पर अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन भी सरकार द्वारा किया जाता है। बावजूद इसके आज भी 50 फीसदी महिलाएं माहवारी के दौरान गंदा कपड़ा इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं। कई स्थानों पर महिलाएं पीरियड के दौरान कागज, राख और रेत तक इस्तेमाल करती हैं। यही कारण है कि माहवारी के दौरान अधिकांश महिलाएं कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। विश्व में हर साल 28 मई को वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हाइजीन-डे के तौर पर मनाया जाता है। इसे मासिक धर्म स्वच्छता दिवस भी कहा जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य पीरियड्स के प्रति महिलाओं को हाइजीन, साफ-सफाई, इंफेक्शन आदि के प्रति जागरूक करना है। यदि महिलाएं पीरियड्स के दिनों में हाइजीन का ख्याल नहीं रखेंगी तो कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

आइये विस्तार से जानें

देश में करीब 50 फीसदी महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 15-24 साल की उम्र की 50 फीसदी महिलाएं पीरियड्स के दौरान सेनेटरी पैड्स का नहीं बल्कि कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। एनएफएचएस-5 में 15-24 उम्र की महिलाओं से पूछा गया कि वे पीरियड्स के दौरान प्रोटेक्शन के लिए किस तरीके का इस्तेमाल करती हैं। रिपोर्ट के अनुसार 50 प्रतिशत महिलाएं कपड़े और 15 प्रतिशत स्थानीय तौर से तैयार नैपकिन का इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि, कपड़े का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में आंकड़ों में कमी भी आई है। 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 62 प्रतिशत महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती थीं। साथ ही इस सर्वे में यह भी पता चला था कि देश की 16 प्रतिशत युवतियां स्थानीय रूप से तैयार किए गए पैड्स का इस्तेमाल करती थी।  2018 के मुकाबले 2022 में पैड्स का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के आंकड़े में इजाफा हुआ है।

माहवारी के दिनों में महिलाएं क्या सच में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, इस बात की तसदीक करने द मूकनायक की टीम लखनऊ के विभिन्न स्थानों पर पहुंचा। इस दौरान चौका देने वाली जानकारियां सामने आई। 

द मूकनायक सबसे पहले जानकीपुरम विस्तार और सीतापुर रोड के बीच बिठौली क्षेत्र के पास मौजूद मजदूरों की झुग्गियों में पहुंची। यहां महिलाओं ने बताया कि उन्हें इस विषय पर लोगों से बात करने में शर्म आती है। वह माहवारी के दिनों में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। 

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मूलरूप से सीतापुर के रहने वाले मजदूर रेलवे ट्रैक के किनारे झुग्गियां बनाकर रह रहे मजदूर परिवार से आने वाली रूबी ने बताया, "सैनिटरी पैड को बस मोबाईल और टीवी में ही देखा है।"

मूकनायक की तरफ से बांटे गए सैनेटरी पैड को पाकर खुश हुई महिलाएं
मूकनायक की तरफ से बांटे गए सैनेटरी पैड को पाकर खुश हुई महिलाएंफोटो- सत्य प्रकाश भारती

द मूकनायक की टीम प्रधानमंत्री जनऔषधि पर मिलने वाली सैनेटरी पैड के पैकेट भी लेकर गई थी। जब उस पैकेट को रूबी को दिखाया तो वह बोली, “हमने यह पैकेट बस्ती में रहने वाले पड़ोसियों के घर पर टीवी में देखा था। लेकिन यह क्या है, हमको नहीं पता। यहां तक कि इसे इस्तेमाल कैसे किया जाता है इसकी भी जानकारी नहीं है।”

रूबी बताती है, "मुझे करीब 1 साल से पीरियड्स आ रहे हैं। जब पहली बार हुआ, तो मां ने समझाया था कि लड़कियों को ऐसा होता है। उस वक्त मां ने अपने पुराने सूट को फाड़ा और उसका एक हिस्सा दिया था। मैं उन दिनों में उसी चिथड़े को फाड़-फाड़ कर इस्तेमाल कर लेती हूं। जो टुकड़ा ज्यादा गंदा हो जाता है, तो फेंक देते हैं। बाकी को धो करके अगले महीने इस्तेमाल कर लेते हैं।"

द मूकनायक की टीम विकासनगर सेक्टर 4 स्थित बस्ती में भी पहुंची। यहां भी महिलाओं को इसके विषय मे ज्यादा जानकारी नहीं थी। झुग्गी में रहने वाली शबनम बताती हैं, “मैं घर में अकेली महिला हूं। घर का कुछ भी सामान हो तो मेरे पति या देवर ही लाते हैं। मैं उनसे पैड कैसे मंगवाऊं। उनसे कैसे कहूं कि क्या लाना है। मुझे शर्म आती है। अगर मैं खुद जाकर ले भी आऊं तो उन्हें क्या बताएंगे, उसका हिसाब कैसे देंगे। इसलिए हम कपड़ा ही इस्तेमाल करते हैं।”

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शबनम ने बताया पिछले साल दो महिलाएं आई थी और सभी महिलाओं को पैड देकर गई थीं। लेकिन हमारे पास वो रखे-रखे ही बेकार हो गए, क्योंकि हम लोगों को उसे इस्तेमाल करना ही नहीं आता था। हमको कपड़े का इस्तेमाल करना आसान लगता है। कोई पैड फ्री में दे भी जाए तो हम इस्तेमाल नहीं कर पाते।

पीरियड के दौरान इस्तेमाल करने वाला कपड़ा दिखाती युवती
पीरियड के दौरान इस्तेमाल करने वाला कपड़ा दिखाती युवती

एनएफएचएस-5 के अनुसार देश में जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अभी भी कपड़े का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि, हर सरकार इस संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करती आई है। फिर चाहे वो स्कूलों में 12वीं कक्षा तक लड़कियों को सेनेटरी पैड्स बांटना हो, जगह-जगह पोस्टर लगाकर महिलाओं को जागरूक करना हो या टीवी में विज्ञापन के जरिये लोगों को जागरुक करना हो। 2018 में महिलाओं के पीरियड्स और उनके स्वास्थ्य पर आधारित फिल्म ‘पैडमैन‘ काफी चर्चा में रही। इस फिल्म ने भी महिलाओं को जागरूक बनाने में खासी भूमिका निभाई। 

धार्मिक नजरिए से पीरियड्स में पूजा और नमाज करने की मनाही

परंपरागत रूप से, एक लंबे समय से पीरियड के दौरान महिलाओं को पूजा और नमाज की होती है। कथित तौर पर, इस दौरान उन्हें अशुध्द माना जाता है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को आज भी पीरियड के दौरान रसोई में घुसने की मनाही होती है। इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान वह अचार (पिकल) तक नही छू सकती। कई स्थानों में महिलाओं को माहवारी के दौरान पति से दूर रहने के नियम आज भी प्रचलन में हैं।

पीरियड्स एक जैविक प्रक्रिया ऐसे रख सकते हैं अपना ख्याल

महिला डाक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार, मासिक धर्म जिसे “पीरियड” भी कहा जाता है, एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है, जिसका अनुभव हर महीने दुनिया भर में लाखों महिलाएं करती हैं। बेहतर मासिक धर्म हेल्थ और हाइजीन प्रैक्टिस से संक्रमण को रोका जा सकता है। इस दौरान आने वाली दुर्गंध को भी कम किया जा सकता है। पीरियड्स के दौरान आप ब्लड एब्जॉर्ब करने के लिए बेहतर क्वालिटी का पैड यूज करें। रक्त को एब्जॉर्ब करने के लिए सैनिटरी पैड, टैम्पोन, मेंस्ट्रुअल कप, मेंस्ट्रुअल डिस्क और पीरियड अंडरवियर का इस्तेमाल कर सकती हैं। प्रोडक्ट्स के यूज के साथ ही आप पीरियड्स के दौरान नीचे बताए गए हाइजीन टिप्स को फॉलो कर सकती हैं।

1- जब भी पीरियड्स के दौरान आप सैनिटरी पैड बदलें तो अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। इससे आप इंफेक्शन से बची रह सकती हैं।

2- अपने पीरियड्स के दौरान आप जो भी प्रोडक्ट यूज करती हैं, उसे टॉयलेट पेपर में अच्छी तरह से लपेट कर डस्बिन में फेंके। टॉयलेट में मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स को फेंकने से बचें।

3- आप एक ही पैड को लगातार 5-6 घंटे लगाने से बचें। 3-4 घंटे में पैड को बदल दें। फिर चाहे ब्लड फ्लो बहुत हल्का ही क्यों ना हुआ हो। यदि पीरियड अधिक हो रहा है तो आप इसे जल्दी बदल दें।

4- टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं तो इसे प्रत्येक 4 से 8 घंटे में बदलें। एक ही सिंगल टैम्पोन को 8 घंटे से अधिक देर के लिए ना लगाए रहें। इससे आपको इंफेक्शन हो सकता है। वहीं, मेंस्ट्रुअल कप को प्रत्येक दिन इस्तेमाल के बाद साफ करें। पीरियड्स खत्म होने के बाद इसे अच्छी तरह से साफ करने के बाद उबले पानी में दो मिनट के लिए साफ करें।

5- अपने प्राइवेट पार्ट को अच्छी तरह से पानी से साफ करें, जब भी टॉयलेट जाएं। सिर्फ पानी का ही इस्तेमाल करें। किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल वेजाइना को साफ करने के लिए ना करें। इससे यीस्ट इंफेक्शन या फिर बैक्टीरियल वेजिनोसिस होने का रिस्क बढ़ जाता है।

6- मासिक धर्म के दौरान अंडर गार्मेंट्स अच्छी क्वालिटी का पहनें। फैब्रिक भी सही हो, कॉटन बेस्ट होता है। इससे पसीना अधिक होगा तो एब्जॉर्ब कर लेगा। आपको दिनभर आराम महसूस होगा।

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