महाराष्ट्र: बाबा साहब की विरासत बचाने के लिए 128 दिनों से धरने पर बैठी महिलाएं!

नागपुर स्थित सांस्कृतिक भवन के बाहर चल रहा धरना, राज्य सरकार के निर्णय का विरोध
महाराष्ट्र: बाबा साहब की विरासत बचाने के लिए 128 दिनों से धरने पर बैठी महिलाएं!

नागपुर। महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में बनाए गए स्मृति एवं सांस्कृतिक भवन को कोरोना काल की तालाबन्दी के दौरान सरकारी संरक्षण में ढहा दिया गया। इसकी भनक लगने पर अम्बेडकरवादियों ने महाराष्ट्र सरकार से शिकायत भी की, लेकिन सरकार ने एक नहीं सुनी। बाबा साहब के सम्मान में बने सांस्कृतिक भवन गिराने वाली निजी कम्पनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ तो शहर भर में आंदोलन किए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

हर तरफ से निराशा हाथ लगी तो कुछ महिलाओं ने मिलकर डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर सांस्कृतिक भवन बचाओ कृति समिति का गठन किया। इस संगठन के बैनर तले सैकड़ों महिलाएं 20 जनवरी 2023 को बाबा साहब के स्मृति में बने सांस्कृतिक भवन के गेट के सामने धरने पर बैठ गई। तब से यह धरना निरन्तर चल रहा है। 128 दिन हो गए। इस धरने में नागरपुर शहर सहित ग्रामीण इलाकों से भी दलित और बहुजन समाज से जुड़ी सैकड़ों महिलाएं शामिल हो रही है। फिर भी सरकार नहीं सुन रही है।

आंदोलन की अगुवाई कर रही छाया खोबरगड़े ने द मूकनायक से कहा कि नागपुर में यह सांस्कृतिक भवन बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान की विरासत है। बाबा साहब की विरासत बचाने के लिए प्राणों की आहुति भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे।

इसलिए बनाया गया था सांस्कृतिक भवन

छाया खोबरागड़े कहती हैं कि 14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने नागपुर शहर में पांच लाख हिन्दू दलितों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दिलाई थी। नागपुर में हुआ बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह आज भी देश की बड़ी घटना के रूप में याद किया जाता है।

उस वक्त महाराष्ट्र में और नागपुर उप-महानगर कॉर्पोरेशन में कांग्रेस की सरकार थी। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा इतनी बड़ी संख्या में बौद्ध धम्म दीक्षा को जनजागृति के क्षेत्र में बड़ा कदम माना गया।

खोबरागड़े ने बताया कि उस वक्त स्थानीय निकाय सरकार का मानना था कि धम्म दीक्षा में लाखों की तादाद में लोगों के आने से नागरपुर की दुनिया भर में ख्याति हुई है। उप महानाहर सरकार ने इस लिए बाबा साहब को सम्मानित करने का निर्णय लिया।

बाबा साहब को सम्मान पत्र देने के साथ लोगों के दिलों में बाबा साहब को हमेशा जीवित रखने के मकसद और नागपुर की बौद्ध धम्म दीक्षा की इस घटना को याद रखने के लिए नागपुर में बाबा साहब का स्मारक बनाने का निर्णय लेकर सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।

उन्होंने आगे कहा स्मारक बनाने के लिए नागपुर उप महानगर सरकार के पास भूमि नहीं थी। इस पर महाराष्ट्र सरकार से बाबा साहब के स्मारक के लिए भूमि आवंटन की सिफारिश की गई।

उप महानगर नागपुर सरकार की सिफारिश पर महाराष्ट्र सरकार ने सौ एकड़ जमीन आवंटित की, लेकिन स्थानीय निकाय सरकार ने 20 एकड़ में बाबा साहब का स्मारक बनाने का निर्णय लेकर उसे विकसित किया। इस परिसर में सांस्कृतिक भवन भी बनाया गया।

1972 में बन गया था बाबा साहब का स्मारक

1972 में नागपुर शहर में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का स्मारक बनाया गया था। इस परिसर में सांस्कृतिक भवन भी बना था। सांस्कृतिक भवन सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों की बैठकें होती थीं। दलितों और बहुजन संगठनों के बड़े कार्यक्रम भी इसी सांस्कृतिक भवन और परिसर में होने लगे थे। यहां तक की निर्धन परिवार के लोग इसी भवन में शादी समारोह भी करते थे।

खोबरागड़े ने बताया कि इस सांस्कृतिक भवन में ही बैरिष्टर राजा भाऊ खोबरागड़े ने भी रिपब्लिकन पार्टी की ऐतिहासिक कॉन्फ्रेंस की थी। बहुजन समाज पार्टी के नेता कांशीराम ने भी यहां सभाएं की। इसी भवन में बौद्ध भिक्षुओं का बड़ा सम्मेलन हुआ था। उन्होंने कहा कि हमारा दलित रंग भूमि फाउंडेशन भी इसी परिसर में कार्यक्रम करता था। यहां से बहुजन समाज के उत्थान को लेकर तरह तरह के कार्यक्रमों का संचालन होता था। यही बात भाजपा को खल रही थी।

सत्ता परिवर्तन के साथ ही सांस्कृतिक भवन की भूमि हड़पने की साजिश हुई शुरू

दलित रंग भूमि फाउंडेशन की फाउंडर और डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर सांस्कृतिक भवन बचाओ कृति समिति की प्रमुख छाया खोबरागड़े ने बताया कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही 2015 से पहले ही उप महानगर नागपुर कॉर्पोरेशन ने बाबा साहब की स्मृति में बने सांस्कृतिक भवन का रख-रखाव बन्द कर दिया।

छाया ने आरोप लगाया कि भाजपा शासन के संरक्षण में पार्टी से जुड़े लोगों ने इस बेशकीमती भूमि को हड़पने की ठान ली। उन्होंने कहा कि यहां सांस्कृतिक भवन का रखरखाव ठीक से होगा तो बहुजन संगठन कार्यक्रम करते रहेंगे। इसी सोच के साथ रखरखाव बन्द कर दिया।

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आगे कहा कि 2017 में उप महानगर शासन ने प्रस्ताव पारित कर उक्त भूमि को सरकारी उपक्रम महाराष्ट्र ट्यूरिज्म डवलपमेंट कारपोरेशन को कुछ शर्तों के साथ रख रखाव के लिए हस्तगत कर दी। इसमें यह भी तय हुआ कि यहां से एमटीडीसी को प्राप्त होने वाली आमदनी का 25 प्रतिशत हिस्सा उप महानगर शासन को दिया जाएगा।

छाया ने बताया कि रख-रखाव का जिम्मा आने के बाद एमटीडीसी ने उक्त परिसर व भवन को एक निजी कम्पनी को सौंप दिया। इस कम्पनी की महाराष्ट्र में कोई खास कार्य नहीं है। आरोप यह भी है कि यह कम्पनी ब्लैक लिस्टेड है। इसके बावजूद इसी कम्पनी के साथ करार किया गया। इस बात की अंतिम समय तक किसी को भनक नहीं लगने दी। निजी कम्पनी ने पूरी 20 एकड़ जमीन को कब्जे में ले कर कवर्ड कर दिया। बहुजन संगठनों की आवाजाही बन्द कर दी गई। ऐसे में यहां बहुजन संगठनों के कार्यक्रम भी बंद हो गए।

कोरोना काल की तालाबन्दी में गिरा दिया भवन?

आंदोलित महिला छाया खोबरागड़े ने बताया कि कोरोना काल में तालाबन्दी के दौरान जब लोग घरों से निकलने पर पाबंदी थी।

ऐसे वक्त में मेंटिनेंस करने वाली निजी कम्पनी ने रात के अंधेरे में बाबा साहेब की स्मृति में बने भवन को बुलडोजर से गिरा दिया। रात भर मशीनें चली। सांस्कृतिक भवन के आस-पास बसी दलितों और बहुजनों की बस्ती में रहने वाले लोगों को मशीनें चलने की आवाज भी आई, लेकिन रात में कोई नहीं गया।

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छाया ने बताया कि सुबह देखा तो स्मृति भवन को गिरा दिया गया था। कुछ लोगों ने बुल्डोज किए गए भवन की फोटो और वीडियोग्राफी भी की थी। उन्होंने कहा सुबह नागपुर शहर को इस बात का पता चला तो हजारों की संख्या में शहर भर में अम्बेडकर वादियों ने आंदोलन किया। ज्ञापन दिए गए। सांस्कृतिक भवन को अवैधानिक तरीके से गिरा कर कीमती भूमि हड़पने का आरोपों के साथ सरकार को ज्ञापन दिए गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

संघर्ष समिति का गठन कर किया आंदोलन शुरू

छाया ने बताया कि जब सरकार ने सांस्कृतिक भवन के ध्वस्तीकरण के मसले को गम्भीरता से नहीं लिया तो नागपुर में डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर सांस्कृतिक भवन बचाव कृति समिति का गठन किया गया। समिति सदस्यों ने शहर भर की दलित और बहुजन बस्तियों में जन जागरूकता आंदोलन शुरू किया।

आंदोलन के दौरान दिसम्बर में महाराष्ट्र सरकार के नागपुर में होने वाले विंटर अधिवेशन, जिसमें पूरा मंत्रिमंडल शामिल होता है। तब हमारे संगठन डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर सांस्कृतिक भवन बचाओ कृति समिति ने 10 हजार की भीड़ के साथ 20 दिसम्बर 2022 को नागपुर में मोर्चा निकाला। उन्होंने बताया कि बाबा साहब के सम्मान को बचाने के लिए हजारों की भीड़ सरकार के सामने दिन भर डटी रही। ताकि सरकार हमसे बात करें, लेकिन सरकार से आकर किसी ने भी हमसे बात नहीं की।

न्यायालय के आदेश पर हुई एफआईआर, अब गिरफ्तारी नहीं

उन्होंने बताया महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के क्षेत्र में ही बाबा साहब के स्मृति में बने सांस्कृतिक भवन को ढहाया गया है। हम डिप्टी सीएम से मिलकर सांस्कृतिक भवन को गिराने वाली निजी कम्पनी का कॉन्ट्रेक्ट निरस्त कर एफआईआर दर्ज करने और दोषी की गिरफ्तारी करने की मांग करते रहे, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी।

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इस घटना को लेकर पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं कि। पुलिस ने सुनवाई नहीं कि तो न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने 12 मई को पुलिस को सांस्कृतिक भवन ध्वस्त करने वाली कम्पनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। इस पर कम्पनी ने अपर न्यायालय में एफआईआर निरस्त करने की अर्जी दी। अर्जी खारिज होने पर पुलिस ने 15 मई को एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया।

न्यायालय के आदेश पर किया कार्यक्रम

छाया खोबरागड़े ने बताया कि हमेशा 14 अप्रैल को सांस्कृतिक भवन में बाबा साहब जन्म जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम होते रहे हैं। इस बार सांस्कृतिक भवन व परिसर पर निजी कम्पनी का कब्जा होने से उन्होंने परिसर में कार्यक्रम के आयोजन से रोक दिया। इस पर हमारे संगठन ने 11 अप्रैल को न्यायालय की शरण ली। न्यायालय से निवेदन किया कि यह हमारी आस्था से जुड़ा भवन है। हम यहां हमेशा से कार्यक्रम करते आए हैं। 14 अप्रैल को कार्यक्रम करने दिया जाए।

इस पर न्यायालय ने कार्यक्रम की अनुमति दी थी। 14 व 15 अप्रैल को वहां कार्यक्रम हुआ। देश भर से बहुजन नेता आए। सामाजिक सरोकार से जुड़े योगेंद्र यादव सहित कई वक्ताओं ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया था।

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