भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की वापसी?नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने पद संभाला | पहली महिला PM

शहीदों को दी श्रद्धांजलि: जेन-जी आंदोलन में जान गंवाने वालों को मिलेगा 10 लाख मुआवजा
रविवार सुबह सुशीला कार्की ने हिंसा घटना स्थल महाराजगंज पुलिस सर्कल का दौरा किया।
रविवार सुबह सुशीला कार्की ने हिंसा घटना स्थल महाराजगंज पुलिस सर्कल का दौरा किया।IANS
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काठमांडू- नेपाल में हाल के दिनों में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उबल पड़े जेन-जी आंदोलन ने एक नया मोड़ ले लिया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के लिए मशहूर हैं, ने रविवार को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। पद संभालते ही उन्होंने आंदोलन में जान गंवाने वाले 72 लोगों को 'शहीद' का दर्जा देने और उनके परिवारों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की। यह कदम न केवल आंदोलनकारियों की मांगों को मान्यता देता है, बल्कि नेपाल की राजनीति में एक नई शुरुआत का संकेत भी है।

नेपाल में पिछले कुछ हफ्तों से भ्रष्टाचार के आरोपों और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ युवा-प्रधान जेन-जी आंदोलन चल रहा था। यह आंदोलन इतना उग्र हो गया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा। आंदोलनकारियों ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में मतदान किया, जिसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 12 सितंबर को उन्हें शपथ दिलाई। कार्की की नियुक्ति को आंदोलन की एक बड़ी जीत माना जा रहा है, क्योंकि वे न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं।

आंदोलन के दौरान हिंसक प्रदर्शनों में कुल 72 लोगों की मौत हुई, जिनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और 3 पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा, 134 प्रदर्शनकारी और 57 पुलिसकर्मी घायल हुए। आंदोलनकारियों का मुख्य आरोप था कि मौजूदा संसद भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और वास्तविक सुधार करने में असमर्थ है। इसी मांग पर अमल करते हुए, कार्की की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) को भंग कर दिया। अब अगले साल 5 मार्च को नए चुनाव होने वाले हैं।

रविवार सुबह सुशीला कार्की ने हिंसा घटना स्थल महाराजगंज पुलिस सर्कल का दौरा किया।
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शपथ ग्रहण के दो दिन बाद, रविवार सुबह सुशीला कार्की ने अपनी जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने सबसे पहले लैंचौर स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो आंदोलन में मारे गए लोगों की याद में एक भावुक शुरुआत थी। इसके बाद वे सिंह दरबार गईं, लेकिन पिछले मंगलवार को हुई हिंसा और आगजनी से मुख्य परिसर क्षतिग्रस्त होने के कारण, उन्होंने गृह मंत्रालय के भवन से अपने आधिकारिक कर्तव्य शुरू किए। प्रधानमंत्री कार्यालय को अस्थायी रूप से स्थानांतरित कर दिया गया है।

पद संभालते ही कार्की ने तत्काल राहत उपायों की घोषणा की:

  • शहीद का दर्जा और मुआवजा: आंदोलन में मारे गए सभी लोगों को 'शहीद' माना जाएगा। उनके परिवारों को 10-10 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

  • घायलों का इलाज: 134 घायल प्रदर्शनकारियों और 57 घायल पुलिसकर्मियों के चिकित्सा उपचार का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी।

  • नुकसान का आकलन: सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया गया है कि वे आंदोलन के दौरान हुए नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। काठमांडू पोस्ट और द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।

मुख्य सचिव एकनारायण आर्यल ने कहा, "यह घोषणाएं आंदोलन की भावना को सम्मान देती हैं और देश को एकजुट करने का प्रयास हैं।"

सुशीला कार्की का जीवन और करियर: भ्रष्टाचार के खिलाफ योद्धा

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में एक किसान परिवार में हुआ। वे सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की। शुरुआत में शिक्षण कार्य किया, फिर 1979 में वकालत शुरू की।

न्यायिक करियर:

  • 22 जनवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट की अस्थायी जज बनीं।

  • 18 नवंबर 2010 को स्थायी जज।

  • 13 अप्रैल 2016 को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं, प्रधानमंत्री खड्गप्रसाद ओली की संवैधानिक परिषद की सिफारिश पर।

  • वे न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के लिए मशहूर हैं।

हालांकि, 30 अप्रैल 2017 को उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिससे वे मुख्य न्यायाधीश पद से निलंबित हो गईं। अब, 8 साल बाद, वे राजनीति में एक नई भूमिका में हैं। उनका निवास धपसी, काठमांडू में है, और उनके पति दुर्गा प्रसाद सुवेदी नेपाली कांग्रेस के नेता हैं। उनका एक पुत्र प्रसांत सुवेदी है।

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