मध्य प्रदेश: नाबालिग बच्ची को 40 हजार रुपए में बेचा, प्रदेश में बढ़ रहे मानव तस्करी के मामले

मध्य प्रदेश: नाबालिग बच्ची को 40 हजार रुपए में बेचा, प्रदेश में बढ़ रहे मानव तस्करी के मामले

भोपाल। मध्य प्रदेश में पुलिस विभाग की सख्ती के बाद भी मानव तस्करी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। खासकर ऐसे मामलों में दलित, आदिवासी समुदाय की महिलाएं और बच्चे इनका शिकार होते हैं। अब प्रदेश के सागर जिले से मानव तस्करी का मामला सामने आया है। जहाँ एक नाबालिग बच्ची को महज 40 हजार रुपयों में बेच दिया गया। नाबालिग की दूसरे जिले में शादी करवाई गई और उसका यौन शोषण किया गया। 

सागर कैंट थानाक्षेत्र से एक माह पहले लापता हुई नाबालिग को पुलिस ने छतरपुर जिले के गुगवारा गाँव से बरामद किया है। पुलिस थाने लाकर नाबालिग के बयान लिए गए। बयानों में नाबालिग को बेचने की बात सामने आई है। मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

क्या है पूरा मामला?

पुलिस के मुताबिक एक माह पहले कैंट पुलिस थाना में फरियादी पिता ने बेटी की गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। शिकायत में पिता ने पुलिस को बताया था कि उसकी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी को अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर साथ ले गया है। शिकायत मिलते ही पुलिस ने गुमशुदगी का प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच शुरू की। इसी बीच पुलिस को जांच के दौरान सूचना मिली की गुमशुदा नाबालिग बच्ची छतरपुर के गुगवारा में है। जानकारी मिलते ही पुलिस टीम गुगवारा रवाना हो गई। पुलिस ने बच्ची को रेस्क्यू किया। पुलिस टीम ने सागर लाकर नाबालिग के बयान दर्ज किए।

बयानों में नाबालिग बच्ची ने उसके साथ हुई पूरी घटना पुलिस को बताई। पुलिस के मुताबिक नाबालिग बच्ची ने पुलिस को बताया कि आरोपी हेमू उर्फ राजेश अहिरवार शादी का झांसा देकर उसे साथ ले गया था। राजेश ने दमोह ले जाकर रातभर उसे अपने घर में रखा। इसके बाद आरोपी राजेश ने अपने मौसा गोपाल के साथ छतरपुर जिले के ग्राम गुगवारा ले गया। वहां राजेश ने ब्रजलाल से 40 हजार रुपए लेकर लड़की को बेच दिया। बच्ची ने बताया कि वहां जबरन उसकी शादी करा दी और राजेश और उसका मौसा उसे वहीं छोड़कर चले गए। नाबालिग ने पुलिस को बताया कि शादी के बाद ब्रजलाल ने मेरे साथ गलत काम किया।

तीनों आरोपियों पर मामला दर्ज 

नाबालिग बच्ची को बेचने और यौन शोषण मामले में सागर की कैंट थाना पुलिस ने नाबालिग के बयानों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी हेमू उर्फ राजेश अहिरवार उम्र 23 साल निवासी ग्राम घनश्यामपुरा दमोह, गोपाल अहिरवार(40), निवासी ग्राम कैथौरा कालोनी बटियागढ़ और ब्रजलाल अहिरवार(29), निवासी गुगवारा छतरपुर को गिरफ्तार कर लिया है। 

वारदात में शामिल थी महिला 

मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि आरोपी राजेश ने अपने मौसा गोपाल और मौसी को नाबालिग का माता-पिता बनाकर ब्रजलाल से मिलवाया था। इसके बाद पैसों के लेनदेन की बात हुई। शादी कराने के बदले 40 हजार रुपए लिए थे। आरोपी राजेश ने 5 हजार रुपए मौसा को दिए थे। मामले में शामिल आरोपी की मौसी फिलहाल फरार है, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है।

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मध्यप्रदेशः सागर की ‘बसंती’ पर मानव तस्करी का आरोप, नाबालिग से करवाती थी अवैध धंधा!

वहीं इस मामले में द मूकनायक ने राज्य बाल सरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह से बातचीत की। उन्होंने बताया कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। हम इस संबंध में सागर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को पत्राचार कर जांच प्रतिवेदन मंगाएंगे। ओंकार सिंह ने कहा कि मामला पॉक्सो का है। इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच करेंगे। दोषियों पर निश्चित रूप से कार्यवाही होगी। 

पहले भी कई मामले आए सामने

अगस्त 2022 में सागर जिले में महिला द्वारा मानव तस्करी का सनसनीखेज मामला सामने आया है था। जहाँ आरोपी महिला बच्चों को अन्य राज्यों में बेच देती थी। पुलिस ने उस वक्त दो गुमशुदा बच्चियां बरामद की थी। मामले में गिरफ्तार हुईं महिला पर पूर्व में देह व्यापार से लेकर अवैध शराब तक के मामले दर्ज थे। सागर की बसंती नाम की महिला छोटे बच्चों को शिकार बना कर उनसे अवैध काम करवाती थी। साथ ही नशे की लत लगवा कर उन्हें बेच देती थी। गिरोह के तार कोलकाता से जुड़े थे। कोलकाता निवासी एक आरोपी युवक को भी सागर में गिरफ्तार किया था। 

सागर जिले के जैसीनगर थाना अंतर्गत वीरपुरा से 30 जुलाई 2022 को गुम हुई दो नाबालिग बच्चियों की गुमशुदगी की जांच में मानव तस्करी का खुलासा हुआ था। इस मामले में जैसीनगर थाना पुलिस और महिला थाना प्रभारी संगीता सिंह ने मुख्य महिला सरगना बड़ा करीला मोतीनगर निवासी 30 साल की बसंती अहिरवार को हिरासत में लिया था। जब पूछताछ शुरू हुई तो मानव तस्करी का मामला सामने आया। 

लापता बच्चियां मिलने से हो पाता है खुलासा

बच्चों के लापता होने पर जब पुलिस को कोई अन्य सुराग नहीं मिलता तो गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है। लेकिन जब लापता बच्चियां मिलती है तब मानव तस्करी जैसे घिनौने अपराधों का खुलासा होता है। प्रदेश में मानव तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं। इनमें ज्यादातर आदिवासी, दलित समुदाय की बच्चे ही शिकार बनते हैं। प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आती हैं। इसके साथ छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, और बिहार बॉर्डर के पास बसे आदिवासी इलाकों में मानव तस्करी की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं।

बच्चों पर अपराध के मामले में एमपी टॉप पर

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में प्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं। 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए हैं जो कि देश में सबसे अधिक हैं। एनसीआरबी के पिछले सालों के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में साल दर साल बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि दर्ज की है। 2011से 2021में बच्चों के खिलाफ अपराध में 337% फीसदी की वृद्धि दर्ज है। मध्य प्रदेश में 2011 में कुल मामलों की संख्या 4,383 थी जो 2021 में 19,173 हो गई है।

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