गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) — गाज़ीपुर जिले के मनिहारी ब्लॉक स्थित हरिहरपुर गांव में बुधवार को महिलाओं समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। साफ-सुथरे जलाशय को गंदे पानी के डंपिंग ज़ोन में बदलने की योजना के खिलाफ ग्रामीणों ने तालाब में सात घंटे तक खड़े रहकर 'जल सत्याग्रह' किया।
यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर दूर स्थित है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव और आसपास के इलाकों की नाली का गंदा पानी एक निर्माणाधीन नाले के ज़रिए सीधे इस तालाब में डाला जा रहा है, जिससे यह जलाशय धीरे-धीरे गंदे पानी के भंडारण क्षेत्र में बदल जाएगा।
हरिहरपुर के निवासी सिद्धार्थ राय ने बताया, "देश में एक ओर 'स्वच्छ भारत अभियान' चल रहा है, वहीं दूसरी ओर हमारे गांव का स्वच्छ और ऐतिहासिक तालाब गंदे पानी का डंपिंग ज़ोन बनाया जा रहा है। हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली योजनाओं का हम विरोध करेंगे।"
ग्रामीणों ने करीब एक सप्ताह पहले महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ 'जल सत्याग्रह' की शुरुआत की थी। लेकिन जब प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो बुधवार को सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक तालाब में खड़े रहकर विरोध दर्ज कराया गया।
गांव की महिलाओं ने बड़ी संख्या में इस आंदोलन में भाग लिया और लगातार छह घंटे से अधिक समय तक तालाब में खड़ी रहीं। इस दौरान ग्रामीणों ने भजन-कीर्तन और देवी गीतों का पाठ भी किया।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे शुक्रवार से भूख हड़ताल शुरू करेंगे। प्रदर्शन में भाग लेने वालों में नागेन्द्र चौहान, दीपक चौहान, सत्यम् चौहान, संजय राम, अमरेंद्र खरवार, सूरज, चंदन, राकेश कनौजिया, विजय और अखिलेश प्रमुख रूप से शामिल थे।
ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन इस परियोजना को तत्काल रोके और ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था करे जिससे गांव के प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान न पहुंचे।
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