इंटरनेशनल सेक्स वर्कर डे: भारत में 66 हजार करोड़ का है जिस्मफरोशी का कारोबार, 30 लाख महिलाएं चंगुल में..

भारत में सन 1526 के बाद मुगलकाल से वेश्यावृत्ति की शुरुआत हुई थी। आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक 1.33 लाख यौनकर्मी
इंटरनेशनल सेक्स वर्कर डे: भारत में 66 हजार करोड़ का है जिस्मफरोशी का कारोबार, 30 लाख महिलाएं चंगुल में..

नई दिल्ली। भारत में वेश्यावृत्ति का कारोबार लगभग 66 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। यूनाइटेड नेशन वर्क फ़ॉर एचआईवी/एड्स (UNAIDS) के मुताबिक 2016 में कुल 6 लाख 57 हजार 829 सेक्स वर्कर थीं।

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की 2021-22 रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ पांच राज्यों में ही सेक्स वर्करों की संख्या 8.25 लाख है। भारत के मार्केट में सेक्स के लिए 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की डिमांड ज्यादा रहती है। यह बात इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सोशल साइंस, हेवोकोस्कोप रिसर्च संस्था द्वारा किये गए एक सर्वे में सामने आई है। यही कारण है कि मार्केट की इस डिमांड ने मानव तस्करी को बढ़ावा दिया है। हालांकि भारत में वेश्यावृत्ति अवैध है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार इस प्रोफेशन में रहने वाले व्यक्ति को आम नागरिक की तरह ही जीने का अधिकार प्राप्त है।

कैसे शुरुआत हुई भारत में वेश्यावृत्ति ?

एक रिपोर्ट के मुताबिक मशहूर इतिहासकार वीना तलवार की रिसर्च के मुताबिक भारत में लगभग 2900 साल पहले से वेश्यावृत्ति का काम जारी है। समय के अनुसार बस इसके स्वरूप में बदलाव आया था। भारत में सन 1526 के बाद मुगलकाल से वेश्यावृत्ति की शुरुआत हुई थी। दरबार की खूबसूरती बढाने के लिए सैकड़ों महिलाओं को रखा जाता था। अकबर ने अपने समय में वेश्याओं के रहने के लिए दिल्ली से बाहर व्यवस्था की थी। रिसर्च के मुताबिक 1858 से 1877 के बीच हुई रिसर्च में लखनऊ की तवायफों की कमाई सबसे ज्यादा हुआ करती थी।

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वेश्यावृत्ति से कितनी कमाई ?

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सोशल साइंस, हेवोकोस्कोप रिसर्च संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक वेश्यावृत्ति में कमाई करने के मामले में चीन टॉप पर है। चीन इससे हर साल लगभग 5.67 लाख करोड़ की कमाई करता है। जबकि स्पेन 2.05 लाख करोड़ की कमाई के साथ दूसरे नम्बर पर है। भारत में सालाना 66 हजार करोड़ की कमाई है। बांग्लादेश में वेश्यावृत्ति लीगल है। वहां इससे लगभग 186 करोड़ की कमाई होती है। पूरे देश में इससे लगभग 14.45 लाख करोड़ की कमाई होती है।

18 साल से कम उम्र की लड़की की डिमांड ज्यादा

गुड़िया फाउंडेशन नामक संस्था के माध्यम से कम उम्र की बच्चियों को इस काले बाजार को निकालने के लिए अजीत सिंह 1988 से काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक भारत में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को बड़ी संख्या में देखा गया है। वहीं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सोशल साइंस, हेवोकोस्कोप रिसर्च संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 35% सेक्स वर्कर की उम्र 18 साल से कम है, यही कारण है कि इसके जरिये लगातार मानव तस्करी की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।

संस्था ने उठाया नाबालिग सेक्स वर्करों को बचाने, पुनर्वास का जिम्मा

गुड़िया संस्था ने अब तक 6298 लोगों को वेश्यावृत्ति के इस काले कारोबार से बाहर निकाला है। वहीं मानव तस्करी के खिलाफ कुल 3265 मुकदमे दर्ज कराए हैं। इस मामले में जमानत पर वापस बाहर आने वाले कुल 852 लोगों की जमानत रद्द करवाई है। इस तरह का काम करने के कारण अब तक अजीत सिंह पर कुल 24 हमले भी हो चुके हैं।

भारत के पांच राज्यों में सेक्स वर्करों की संख्या 8.25 लाख के करीब

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दक्षिणी प्रान्तों में 8.25 लाख महिलाए इस काम में लिप्त हैं। इनमें आधे से अधिक पांच दक्षिणी राज्यों - आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना से हैं। आंध्र प्रदेश में 1.33 लाख यौनकर्मी हैं जबकि कर्नाटक में 1.2 लाख हैं। उत्तर प्रदेश में 22,060 और नई दिल्ली में 46,787 हैं।

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