मध्य प्रदेश: सागर में चाइल्ड लाइन टीम - पुलिस ने रुकवाया बाल विवाह, ये प्रथाएं आज भी हैं व्याप्त

बाल विवाह की तैयारियां पूरी हो चुकी थी और नाबालिग लड़की की शादी की जा रही थी। लेकिन सही समय पर दखल से हो रहे बाल विवाह को पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने मौके पर पहुँच कर रुकवा दिया।
मध्य प्रदेश: सागर में चाइल्ड लाइन टीम - पुलिस ने  रुकवाया बाल विवाह, ये प्रथाएं आज भी हैं व्याप्त

भोपाल। देश में बाल विवाह पर प्रतिबंध है और इसकी रोकथाम पर सख्त कानून हैं लेकिन इसके बाद भी देश के कई हिस्सों में बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। बाल विवाह सामाजिक कुरीतियों में से एक है। किसी भी पुरुष या महिला के जीवन पर बाल विवाह का काफी गहरा प्रभाव पड़ता है।

हाल ही में मध्य प्रदेश के सागर जिले से एक मामला सामने आया है। जहाँ बाल विवाह की तैयारियां पूरी हो चुकी थी और नाबालिग लड़की की शादी की जा रही थी। लेकिन सही समय पर दखल से मकरोनिया क्षेत्र के लक्ष्मी नगर में हो रहे बाल विवाह को पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने मौके पर पहुँच कर रुकवा दिया। शादी की तैयारियां पूरी हो चुकी थी। दुल्हन के परिवार वाले बारात आने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन इसी बीच पुलिस पहुंच गई। पुलिस टीम ने परिजनों को समझाइश देकर बाल विवाह रुकवाया। 

जानकारी के अनुसार, मकरोनिया के लक्ष्मी नगर में बाल विवाह होने की सूचना चाइल्ड लाइन पर अज्ञात व्यक्ति ने दी थी। सूचना मिलते ही विशेष किशोर पुलिस इकाई, चाइल्ड लाइन और बहेरिया थाना पुलिस की टीम बाल विवाह रुकवाने के लिए रवाना हुई। टीम दुल्हन के घर पहुंची। जहां शादी की तैयारियां पूरी हो चुकी थी। यहां टेंट लगा था शादी के लिए रिश्तेदार आ चुके थे। नाबालिग दुल्हन के परिजन बारात आने का इंतजार कर रहे थे। 

लेकिन अचानक मौके पर पुलिस पहुँच गई। टीम ने बच्ची के घर पहुंच परिवार वालों से बात की। पुलिस ने  दुल्हन की उम्र से संबंधित दस्तावेज दिखाने का बोला। जिस पर परिवार वाले दस्तावेज दिखाने में आनाकानी करने लगे। बाद में वे दस्तावेज लेकर आए जिसमें दुल्हन की उम्र 17 साल करीब होना पाया गया।  

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पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने दुल्हन की उम्र शादी के लिए कानून तय उम्र से कम होने पर बाल विवाह नहीं करने की परिवार वालों को समझाइश दी। उन्हें बताया कि तय उम्र से कम उम्र में शादी करना कानूनी अपराध है। यदि आप शादी करते हैं तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। समझाइश के बाद परिवारजन शादी रोकने के लिए तैयार हो गए जिसके बाद टीम ने मौके पर पंचनामा बनाकर आयोजन रुकवाया।

आयोग ने कहा, नहीं किया जाता फॉलोअप 

इधर द मूकनायक से बातचीत करते हुए राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि बाल विवाह के मामले पूरे प्रदेश से सामने आते रहते है। इन मामलों में पुलिस परिजनों को समझाइश दी देती है। फिलहाल शादी रुकवा भी दी जाती है। लेकिन बाद में फॉलोअप नहीं लिया जाता। सिंह ने कहा इस मामले में बाल कल्याण समिति को बच्चे के बालिग होने तक फॉलोअप लेना चाहिए। कई मामलों में यह सामने आता है कि पुलिस और चाइल्ड लाइन टीम की समझाइश के बाद नाबालिगों की शादी उस समय तो रोक दी जाती है लेकिन  प्रशासन की नजर हटते ही बाल विवाह हो जाते है। उन्होंने कहा हम इस मामले में जानकारी ले रहे है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 

बाल विवाह के दुष्प्रभाव। बाल विवाह के कारण बच्चे अपने अधिकारों से वंचित रह जाते है। जल्दी शादी होने के कारण महिलाओं को कम उम्र में अपने सारे सपनों को पीछे छोड़कर घर के काम सीखने को मजबूर हो जाती हैं। ऐसे में लड़के और लड़कियों पर कई तरह की जिम्मेदारी डाल दी जाती हैं, जिसके लिए वो तैयार नहीं होते और इसके कारण उनका मानसिक एवं भावनात्मक विकास नहीं हो पाता है। इसके साथ वह शिक्षा से भी दूर हो जाते है। जिसका प्रभाव आगामी पीढ़ी पर भी पड़ता है। 

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छोटी उम्र में लड़कियों का विवाह कर दिया जाता हैं, तो इससे वे कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकती हैं। कई मामलों में देखा गया है कि कम उम्र में विवाह होने के कारण लड़कियां जल्दी गर्भवती भी हो जाती हैं। जिससे उनके स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव पड़ते है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए भोपाल की प्रसूति विज्ञानी-स्‍त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. निधि जैन ने बताया कि यदि कोई नाबालिग किसी बच्चे को जन्म दे रही है। तब बच्चा और और प्रसूता दोंनो ही कमजोर हो सकते है। जब माँ का ही शारीरिक विकास और मानसिक विकास पूरा नहीं हुआ है तो ऐसी स्थिति में बच्चा कमजोर होगा। इसके साथ ही भविष्य में माँ और बच्चे को कई बीमारियां भी हो सकती है। बच्चे के कुपोषित होने की भी आशंका रहती है। 

भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय समाज शास्त्र विभाग के शोध छात्र इम्तियाज़ खान ने द मूकनायक को बताया कि बाल विवाह समाज के लिए खतरा है। कम उम्र में हुए विवाह के कारण महिला का विकास रुक जाता है और आने वाली पीढ़ी में शिक्षा से दूर हो सकती है। इम्तियाज़ खान कहते हैं कि आज समाज में कई स्थानों पर बाल विवाह कुरीति के रूप में प्रचलित है। 

नातरा, झगड़ा कुप्रथा में होते हैं बाल विवाह

आज भी मध्य प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं जहां चोरी चुपके बाल विवाह और सगाई की प्रथा चली आ रही है, लेकिन आजकल की लड़कियां जैसे ही जवान होती है तो अपने मनपसंद के लड़के से शादी करना पसंद करती हैं। ऐसे में लड़की का पिता या पति पहली पत्नी को छोड़ने के लिए मुआवजा देता है इस प्रथा में दूसरी शादी को नातरा और मिलने वाले मुवावजे को झगड़ा कहा जाता है। खास बात यह है कि यह कोई चोरी चुपके का खेल नहीं है या खुलेआम किया जाता है। नातरा प्रथा में बच्चों का विवाह परिवार बचपन में ही कर देते है। यह प्रदेश के राजगढ़ जिले के आसपास के ग्रामीण इलाकों में आज भी संचालित है। 

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