पहली बार पीरियड आने पर 14 वर्षीय लड़की ने की आत्महत्या, जानें बच्चों को पीरियड्स की जानकारी देना क्यों है जरूरी?

पीरियड्स के बारे में गलत जानकारी बच्चों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है। जानें यह बच्चों की मेंटल हेल्थ पर क्या असर डालती है।
सांकेतिक फोटो।
सांकेतिक फोटो।

नई दिल्ली। पीरियड्स को लेकर कई धारणाएं हम बचपन से सुनते आए हैं। कई घरों में तो आज भी पीरियड्स के बारे में खुलकर बात नहीं होती है। इसे लोग शर्मनाक चीज मानते हैं। खासकर मर्दों के सामने तो कई महिलाएं इस पर बात तक नहीं करती हैं। ऐसे में ही पनपते हैं पीरियड्स से जुड़े मिथक। जैसे कि पीरियड्स में आचार नहीं खाना चाहिए या पीरियड्स में मंदिर नहीं जाना चाहिए। इन तरह ही चीजें न सिर्फ लोगों में गलत जानकारी फैलाती है, बल्कि डर भी बिठाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इन गलत जानकारी के कारण किसी की जान भी जा सकती है?

एक गंभीर मामला मुंबई में हुआ है। जहां लड़की ने पीरियड के दर्द के चलते अपनी जान ले ली।  मुंबई के मालवणी इलाके में 14 साल की एक बच्ची ने बीते 26 मार्च 2026 को आत्महत्या कर ली। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लड़की को पहली बार पीरियड आया था। इसके चलते वह काफी दर्द में थी। पुलिस के मुताबिक पीरियड की कम और गलत जानकारी के कारण ही लड़की की जान गई है।

घटना के समय लड़की के घर पर कोई भी नहीं था। इसका पता लगने पर लड़की के रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उसे सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक के रिश्तेदारों के मुताबिक वह पहली बार पीरियड आने और ज्यादा पेन होने से बेहद परेशान थी। 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी ने आशंका जताई है कि लड़की ने इसी कारण से अपनी जान ली होगी।

पुलिस ने कहा है कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर मामले की जांच की जा रही है। अधिकारी ने बताया कि पुलिस मृतक के दोस्तों से बात करेगी और उसके मानसिक तनाव के बारे में और अधिक जानने की कोशिश की जाएगी। साथ ही लड़की की ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी।

पीरियड को लेकर जागरूकता ना होने का एक और मामला

महाराष्ट्र के थाने से एक ऐसी घटना सामने आई थी। थाने जिले के उल्हासनगर शहर में 30 साल के एक सिक्योरिटी गार्ड ने अपनी 12 साल की बहन की जान ले ली थी। अपनी 12 साल की मासूम बहन की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उसने बहन को इसलिए मारा क्योंकि उसकी फ्रॉक पर लगे खून के निशान देखकर भाई को लगा कि उसकी बहन ने किसी के साथ शारिरिक संबध बनाये हैं। दूसरी ओर, उस मासूम किशोरी को अपनी सफाई में कुछ कहना ही नहीं आया क्योंकि यह उसका पहला पीरियड था और वह नासमझ अपने भीतर आये यकायक शारीरिक परिवर्तन को ना तो खुद समझ सकी ना ही किसी को बता सकी।

और भी मामले

पहली बार पीरियड आने के कारण आत्महत्या करने का ये पहला मामला नहीं है।16 मई 2019 को दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 12 साल की एक लड़की ने इसी कारण से आत्महत्या कर ली थी। उसकी बड़ी बहन ने बताया था कि वो पहली बार के पीरियड के दर्द से परेशान थी।

द मूकनायक ने दिल्ली निवासी रजनी (बदला हुआ नाम) से बात की। वह बताती है कि "मुझे स्कूल में बताया गया था कि लड़कियों के लिए पीरियड क्यों जरूरी होते हैं। यह सारी बातें मैंने घर पर मम्मी को चार-पांच दिन के बाद बताई। मम्मी को बताने में मुझे अजीब लग रहा था। मम्मी ने मुझे कभी नहीं बताया था कि पीरियड भी कुछ होता है। मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं थी। जब मुझे पीरियड शुरू हुए तो मैंने मम्मी-पापा दोनों को बताया तो पापा ने कहा कि अब तुम बड़ी हो गई हो और तुम्हें मजबूत रहना है। सब ने मेरा बहुत ध्यान रखा। मम्मी ने भी मेरा बहुत ध्यान रखा।"

गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुरभि बताती हैं- "पीरियड को लेकर अब फिर भी बात होने लगी है। पहले पीरियड्स के बारे में बोलना पाप था। मैं एक सच्ची सहेली नाम से NGO भी चलाती हूं, जिसमें हम स्कूलों में जाकर बच्चों और अध्यापक को पीरियड से जुड़ी जानकारी देते हैं। पीरियड्स के दौरान होने वाले बदलाव, सफाई, पेड का इस्तेमाल और भी बहुत सारी जानकारी हम उन बच्चों तक पहुंचाते हैं। यह काम हम आठ नौ सालों से कर रहे हैं। पीरियड्स की जानकारी हर स्कूल में दी जानी चाहिए, क्योंकि शिक्षा से ही आप जागरूकता ला सकते हैं।"

पीरियड्स के दौरान लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य में भी कई बदलाव आते हैं। गुरुग्राम के मैरिंगो एशिया अस्पताल से सलाहकार- मनोवैज्ञानिक डॉ मुनिया भट्टाचार्य बताती हैं, कि पहले पीरियड्स के दौरान भी लड़कियों की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। उनके लिए नए बदलावों को स्वीकार करना मुश्किल होता है। ऐसे में उन्हें एंग्जाइटी और स्ट्रेस जैसी समस्याएं होने लगती है। साथ ही, गलत जानकारी में आकर बच्चे डिप्रेस्ड भी होने लगते हैं। इसके कारण बच्चे में घबराहट और बैचेनी बढ़ने लगती है।

भट्टाचार्य बताती हैं लड़कियों को 8 साल की उम्र के बाद ही पीरियड्स के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इसके लिए आपको अपने कंफर्ट लेवल से निकलने की जरूरत भी होगी। बच्चे को बताएं कि महिलाओं के लिए पीरियड्स होना क्यों जरूरी है। आपको बच्चों को समझाना होगा कि पीरियड्स होना कितना नॉर्मल है। इस दौरान लड़की को क्या-क्या परेशानी होती है। साथ ही, मेंटल हेल्थ में बदलाव आना भी कितना नॉर्मल है।

सांकेतिक फोटो।
तोड़ी रूढ़ीवादिता की बेड़ियां: उत्तराखंड में बेटी के पीरियड आने पर पिता ने मनाया जश्न

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com