यूपी: वाराणसी में परिवार ने की सामूहिक आत्महत्या, सामने आया ये मामला

कथित रूप से पैसों के लेनदेन मामले में एक ही परिवार के चार लोगों ने एक साथ की आत्महत्या.
घटनास्थल पर पहुंची पुलिस
घटनास्थल पर पहुंची पुलिस

उत्तर प्रदेश। दिल्ली के बाद यूपी के वाराणसी में एग्रीमेंट सुसाइड जैसी सामूहिक आत्महत्या की घटना ने सभी को दहला दिया है। आंध्रप्रदेश से आये एक ही परिवार के चार सदस्यों ने एक धर्मशाला के कमरे में फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया। मामला पैसों के लेनदेन का बताया जा रहा है। पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नॉट भी मिला है। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक़ पैसे के लेनदेन का विवाद आंध्रा प्रदेश का ही है। इस मामले में पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस पुरे मामले की जाँच में जुटी है।

वाराणसी के दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के देवनाथपुर पांडेहवेली इलाके में आंध्रा आश्रम से संबंधित काशी कैलाश भवन धर्मशाला के कमरा नंबर एस-6 में पूरा परिवार रुका था। इस परिवार में पति-पत्नी और उनके दो बेटे थे। गुरुवार की शाम तक इन लोगों ने कमरा नहीं खोला। धर्मशाला के स्टाफ को शक हुआ। उन्होंने पुलिस को इस बारे में सूचना दी। पुलिस मौके पर जा पहुंची और धर्मशाला का वह कमरा खुलवाया। जैसे ही कमरे का दरवाजा बाहर से खुला, सभी सामने का मंजर देखकर सहम गए। कमरे में उस परिवार के चारों सदस्यों की लाशें छत में लगी खूंटी पर नायलॉन की रस्सी के सहारे लटक रही थीं। पुलिस ने तत्काल मौके पर फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वायड भी बुलाया।

पुलिस से मिली जानकरी के मुताबिक मरने वालों की पहचान कोंडा बाबू (50), लावण्या (45), राजेश (25) और जयराज (23) के रूप में हुई है। इसमें कोंडा बाबू पति, लावण्या पत्नी और उनके दोनों बेटे राजेश और जयराज शामिल थे। धर्मशाला के मैनेजिंग ट्रस्टी वीबी सुंदर शास्त्री के मुताबिक सभी लोग 3 दिसंबर की सुबह 11:30 पर वाराणसी आए थे और काशी यात्रा का बोलकर कमरा लिया था। धर्मशाला में कमरा खाली होने पर परिवार को अलॉट कर दिया गया था। इसके बाद सभी कमरे में रहने लगे। एक दिन पहले उन लोगों ने ऑफिस पहुंचकर यह बताया कि 7 दिसंबर की सुबह 7:30 बजे कमरा खाली कर देंगे।

आंध्रा से आये परिवार ने 6 दिसंबर को ही 7 दिसम्बर को निकल जाने की बात बात कहकर चेक आउट कर लिया था। जब गुरुवार की सुबह सफाई करने के लिए कर्मचारी पहुंचे तो दरवाजा नहीं खुला। स्टाफ ने उन सभी के सोने की बात सोचकर उन्हें परेशान नहीं किया। लेकिन जब शाम तक भी दरवाजा नहीं खुला तो इसकी सूचना कर्मचारी ने आफिस में दी। इसके बाद ऊपर आकर खिड़की खोलकर देखने पर पता चला कि चारों के शव फंदे के सहारे लटक रहे हैं।

वाराणसी के पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने मौके पर जाकर पड़ताल की। कमसिहंर ने द मूकनायक को बताया, "घटना बहुत ही दुखद है। एक ही परिवार के तीन पुरुष और एक महिला का शव आश्रम में कमरे के अंदर छत के सहारे लटका हुआ पाया गया। चारों लोग आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। इनके पास से तेलुगु में लिखा सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट को पढ़ने पर यह पता चला है कि परिवार का आंध्र प्रदेश में ही पैसे को लेकर विवाद था। जिसको लेकर ये काफी परेशान थे। सुसाइड नोट में कुछ लोगों पर आरोप भी लगाया गया है। पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है।"

पुलिस कमिश्नर ने आगे बताया कि मरने वालों में मां-बाप और उनके दो बेटे हैं। उन्होंने सुसाइड नोट के हवाले से बताया कि यह परिवार पिछले दो महीने से परेशान होकर घर छोड़े हुए था। सुसाइड नोट में परिवार की तरफ से यह लिखा गया है कि यह कई जगहों पर रह चुके हैं और अब इनका पैसा खत्म हो चुका है और आगे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। इसी वजह से परिवार ने बहुत ही कठोर कदम उठा लिया। पुलिस कमिश्नर ने आगे बताया कि यह जिस जगह ये काम किया करते थे आंध्र प्रदेश में, वहीं इनका पैसे को लेकर विवाद हुआ था। केस दर्ज करके नियमानुसार इस पर कार्रवाई की जाएगी।

दिल्ली के बुराड़ी काण्ड में 11 लोगों ने की थी सामूहिक आत्महत्या

दिल्ली के बुराड़ी में आज से पांच साल पहले 30 जून 2018 को एक ही परिवार के सभी 11 लोगों की आत्महत्या ने नहीं दुनियाभर के लोगों को दहला कर रख दिया था। परिवार ने ललित की अगुवाई में अनुसंधान करने की ठानी थी, लेकिन हो गया हादसा। इसके लिए भाटिया परिवार ने आत्महत्या वाली रात यानी 30 जून से पहले करीब 6 दिन तक फांसी पर लटकने की प्रैक्टिस की थी। यह भी पता चला है कि प्रैक्टिस के दौरान सभी के हाथ खुले रहते थे। वहीं, हादसे यानी 30 जून, 2018 की रात को सिर्फ ललित और उसकी पत्नी टीना के हाथ खुले थे और बाकी सबके हांथ बंधे हुए थे।

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