छत्तीसगढ़: सुकमा में दो आदिवासियों की मुठभेड़ में मौत पर क्यों मची है रार?

पुलिस बोली नक्सलियों को मार, आदिवासी महासभा का दावा- निर्दोष थे मृतक, पुलिस ने हत्या कर शव पेट्रोल से जलाए.
छत्तीसगढ़: सुकमा में दो आदिवासियों की मुठभेड़ में मौत पर क्यों मची है रार?

छत्तीसगढ़। सुकमा जिले में पांच सितंबर को हुई मुठभेड़ में दो लोगों को पुलिस ने ढेर कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि दोनों का एनकाउंटर करने के बाद पुलिस ने शव भी पेट्रोल डालकर जला दिए। वहीं कोंटा विधानसभा के पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने ताड़मेटला-दुलेड़ के जंगल में मुठभेड़ में मारे गए कथित नक्सली सोढ़ी कोसा और रवा देवा को स्थानीय ग्रामीण बताया है। वहीं पुलिस का दावा है कि रवा देवा और सोड़ी कोसा दोनों ही इनामी नक्सली थे। पूर्व विधायक ने इस घटना की निंदा करते हुए न्यायिक जांच व दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के मोरपल्ली, कुम्माड़तोग, ताममेटला गांव के जंगलों में 5 सितंबर को सुरक्षा बल ने अभियान चलाया। इस अभियान में पुलिस ने दो आदिवासियों को मार गिराया। आरोप है कि सुरक्षा बल ने अपने अभियान के दौरान तिम्मापुर गांव में संगा से तालमेटला वापस आ रहे दो बाइक सवार ग्रामीणों को मोरपल्ली गांव के गरगड़गुड़ा पारा के जंगल के पास पहले यातनाएं दीं, उसके बाद उन्हें गोली मार दी। अब इस मुठभेड़ को लेकर बस्तर संभाग में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इस मुठभेड़ पर सबसे पहले सीपीआई नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने सवाल उठाए।

एक रिपोर्ट के मुताबिक मनीष कुंजाम ने कहा कि “पांच सितंबर को मैं एलमागुंडा गांव में एक कार्यक्रम में जा रहा था। तभी सुकमा एसपी (किरन चव्हाण) का फोन आता है वो कहते हैं कि तालमेटला में मुठभेड़ चल रही है। वहां जाना उचित नहीं है। इसलिए कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है।”

मनीष कुंजाम ने बताया कि "वह चिंतागुफा तक पहुंच गए थे और यहां स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत के दौरान पता चला कि पुलिस ने गांव वालों को बीती रात से नक्सलियों के साथ मुठभेड़ चलने की जानकारी दी थी, लेकिन गांव वालों को गोलियों की आवाज सुनाई नहीं दी। उन्होंने ने बताया-'रात में मुझे पूरी घटना के बारे में पता चलता है कि रवा देवा और सोड़ी कोसा नाम के दो युवक अपने बहनोई की बाइक से आ रहे थे। बहनोई ने ही उन्हें छोटी मछली (मछली बीच) लाने के लिए पैसा दिया था। ताकि वह मछली पालन का काम शुरू कर सकें।”

रिपोर्ट के मुताबिक वापसी के दौरान युवकों को पुलिस फोर्स ने रोक लिया, अपनी गोलियों से भूंज डाला। पुलिस ने दोनों युवकों को एक-एक लाख का इनामी नक्सली बता दिया। गोली मारने के बाद उनके मोटरसाइकिल को भी छुपा दिया गया।

जवानों पर लगाया शव को जलाने का आरोप

वही रिपोर्ट में बताया गया है कि मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने दोनों युवकों पर सीधे गोली चला दी, अगर युवकों पर संदेह था उन्हें पकड़ कर पूछताछ करती या गिरफ्तार कर लेती, लेकिन अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए दो निर्दोष युवकों की पुलिस ने हत्या कर दी। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने युवकों के शवों को खुद ही जला दिया।

बस्तर के आईजी ने आरोपों का किया खंडन

इस पूरे मामले में बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने फर्जी मुठभेड़ के आरोपों का खंडन किया है। आईजी ने अपने बयान में कहा है कि मारे गए दोनों ग्रामीण नक्सली संगठन के जनमलिशिया कैडर थे और ताड़मेटला गांव के शिक्षा दूत कवासी सुक्का, और गांव के उपसरपंच माड़वी गंगा और ग्रामीण कोरसा कोसा की हत्या में शामिल थे, इसके अलावा फोर्स के भी हर मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों तक पहुंचाते थे।

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