चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने गुरुवार को एक ऐसा बयान दिया है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने दावा किया कि दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के मामले में तमिलनाडु का रिकॉर्ड देश में सबसे खराब है। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे तथ्यों से परे और राजनीति से प्रेरित बताया है।
राज्यपाल ने क्या कहा?
छात्रों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आर.एन. रवि ने कहा, "दलितों के साथ सामाजिक भेदभाव के मामले में हमारे राज्य का रिकॉर्ड सबसे चिंताजनक है, और हमें इस पर आत्ममंथन करने की जरूरत है।"
उन्होंने अख़बारों में छपी ख़बरों का ज़िक्र करते हुए कहा, "आज भी ऐसे गाँव हैं जहाँ दलित समुदाय के लोगों को कुछ ख़ास रास्तों पर चलने की मनाही है, और स्कूलों में दलित और गैर-दलित छात्रों के लिए अलग-अलग बैठने की व्यवस्था की जाती है। यह हम सभी के लिए एक सामूहिक शर्म की बात है।"
केरल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य में भी कभी यह समस्या थी, लेकिन आज वहां से भेदभाव की एक भी ख़बर नहीं आती, जबकि तमिलनाडु में यह लगभग हर दिन की बात हो गई है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे गांधी जी के आदर्शों का पालन करें और अपने जीवन में किसी भी दलित छात्र या परिवार के साथ भेदभाव न करने का प्रण लें।
कांग्रेस ने किया दावों का खंडन
राज्यपाल के इन आरोपों पर तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (TNCC) के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थगई ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राज्यपाल के बयान को "झूठा और राजनीति से प्रेरित" बताते हुए इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया।
सेल्वापेरुन्थगई ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध की दर तमिलनाडु की तुलना में कहीं ज़्यादा है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दलितों पर अत्याचार के मामले में तमिलनाडु शीर्ष 10 राज्यों की सूची में भी नहीं आता है।
उन्होंने कहा, "तमिलनाडु देश के अधिकांश राज्यों की तुलना में दलितों के लिए कहीं अधिक सुरक्षित और प्रगतिशील राज्य है। राज्यपाल को अपनी टिप्पणी तुरंत वापस लेनी चाहिए और राज्य की जनता के साथ-साथ दलित समुदाय से भी माफ़ी मांगनी चाहिए।"
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