वायनाड: पहली बार पनिया आदिवासी समुदाय का बेटा संभालेगा नगर पालिका की कमान, तोड़ीं दशकों पुराने वर्चस्व की बेड़ियाँ

वायनाड में बदला सत्ता का समीकरण: पनिया समुदाय के पी. विश्वनाथन ने सामान्य सीट से सबसे बड़ी जीत दर्ज कर तोड़ा दशकों पुराना सामाजिक और राजनीतिक वर्चस्व।
In a first in Kerala, Paniya tribal leader to head municipality.
केरल में पहली बार पनिया आदिवासी समुदाय के पी. विश्वनाथन कलपेट्टा नगर पालिका के अध्यक्ष बने। उन्होंने सामान्य सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर वायनाड में नई मिसाल पेश की है।(Ai Image)
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वायनाड: केरल के वायनाड जिले में सामाजिक बदलाव की एक नई इबारत लिखी गई है। राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पनिया आदिवासी समुदाय के किसी व्यक्ति को नगर पालिका का अध्यक्ष चुना गया है। पनिया समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से अनुसूचित जनजातियों (ST) में सबसे अधिक पिछड़े वर्गों में गिना जाता है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का चेहरा बने हैं सीपीआई (एम) के नेता पी. विश्वनाथन, जो हाल ही में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों के बाद अब कलपेट्टा नगर पालिका के अध्यक्ष (Chairperson) के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

सामान्य सीट से जीत कर पेश की मिसाल

विश्वनाथन की यह जीत सिर्फ एक पद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके मायने बहुत गहरे हैं। उन्होंने यह जीत किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि एक 'सामान्य सीट' (General Seat) से चुनाव लड़कर हासिल की है। अक्सर देखा जाता है कि अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधि आरक्षित वार्डों के जरिए ही स्थानीय निकायों में प्रवेश करते हैं, लेकिन विश्वनाथन ने सामान्य सीट से लड़कर न केवल जीत दर्ज की, बल्कि नगर पालिका के सभी पार्षदों में सबसे अधिक मतों के अंतर (Winning Margin) से जीत हासिल कर अपनी लोकप्रियता साबित की।

टूट रहा है पुराना वर्चस्व

वायनाड में यह घटनाक्रम इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि यहाँ अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पदों—चाहे वह विधानसभा सीटें हों या स्थानीय निकायों में नेतृत्व की भूमिकाएं—पर पारंपरिक रूप से कुरिचिया समुदाय का दबदबा रहा है। कुरिचिया समुदाय को जिले में अपेक्षाकृत प्रभावशाली आदिवासी समूह माना जाता है। ऐसे में, पनिया समुदाय के किसी व्यक्ति का इस स्तर पर पहुंचना सत्ता के समीकरणों में एक बड़े बदलाव का संकेत है।

संघर्ष और नेतृत्व का लंबा सफर

पी. विश्वनाथन का यह सफर रातों-रात तय नहीं हुआ है। उन्होंने सीपीआई (एम) के भीतर कई महत्वपूर्ण संगठनात्मक भूमिकाएं निभाई हैं, जिनमें पार्टी की कलपेट्टा इकाई के एरिया कमेटी सदस्य का पद शामिल है। इसके अलावा, वह डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) और पार्टी की आदिवासी शाखा 'आदिवासी क्षेमा समिति' (AKS) के भी नेता रह चुके हैं। वह वर्षों से आदिवासी समुदायों के अधिकारों और सम्मान की लड़ाई लड़ने वाले आंदोलनों से जुड़े रहे हैं।

"दूसरों के भरोसे बैठने के बजाय खुद संघर्ष करें"

अपनी इस उपलब्धि पर मीडिया से बात करते हुए विश्वनाथन ने कहा कि उनका यह पदोन्नति पनिया समुदाय के अन्य सदस्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उन्होंने एक बहुत ही भावुक और सशक्त संदेश देते हुए कहा, "तमाम बाधाओं से लड़ते हुए, हमें एक समुदाय के रूप में अपनी सीमाओं को पार करने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए। हमें अपने उत्थान के लिए दूसरों का इंतजार करने के बजाय, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खुद संघर्ष करना होगा और जो भी अवसर मिले, उसका पूरा उपयोग करना होगा।"

उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि उनके समुदाय के कई लोग आज भी आवेदन लिखने जैसे बुनियादी प्रशासनिक कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। अपनी शिक्षा के बारे में बड़ी बेबाकी से बात करते हुए उन्होंने बताया, "मैं खुद शिक्षा विभाग से दसवीं कक्षा का समकक्ष प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए 'तुल्यता' (Thulyatha) परीक्षा के परिणामों का इंतजार कर रहा हूं।" उनका मानना है कि युवा पीढ़ी के लिए अवसर तो मौजूद हैं, लेकिन अक्सर उनका पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पाता।

आंकड़ों में जीत और जनसांख्यिकी

विश्वनाथन ने कलपेट्टा नगर पालिका के वार्ड नंबर 28, एडगुनी (Edaguni) से 196 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। वहीं, नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें 17 वोट मिले, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की सरोजिनी ओदंबाथ को 11 वोट मिले।

पनिया समुदाय के भीतर लंबे समय से यह धारणा रही है कि जिले में सबसे बड़ा आदिवासी समूह होने के बावजूद उन्हें सरकारी नौकरियों, राजनीतिक नियुक्तियों या विधायी और स्थानीय प्रशासनिक निकायों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।

अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वायनाड में पनिया समुदाय की जनसंख्या 75,000 से अधिक है, जो उन्हें जिले का सबसे बड़ा आदिवासी समूह बनाती है। इसकी तुलना में, कुरिचिया और कुरुमा समुदायों की जनसंख्या लगभग 52,000 (प्रत्येक) है। जिले की कुल अनुसूचित जनजाति (ST) आबादी 1,68,690 है।

पी. विश्वनाथन की यह जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह हाशिए पर खड़े एक पूरे समुदाय के मुख्यधारा में आने की उम्मीद की किरण भी है।

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