जयपुर। राजस्थान के उदयपुर जिले के मावली में 9 वर्षीय आदिवासी मासूम बच्ची से बलात्कार के बाद निर्मम हत्या मामले में उदयपुर की पॉक्सो कोर्ट ने मुख्य आरोपी के माता - पिता को धारा 302 (हत्या) के आरोप से उन्मोचित (डिस्चार्ज) करते हुए जमानत दे दी है।
आरोपी माता पिता की जमानत के बाद आदिवासी संगठनों के साथ सर्व समाज के लोगों ने उदयपुर में प्रदर्शन कर पुलिस पर जांच में खामियां छोड़ने के आरोप लगाते हुए पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच की मांग की है।
पोक्सो न्यायालय द्वारा हत्या की धारा 302 हटाने के बाद हत्या के आरोपी कमलेश के माता-पिता पर साक्ष्य मिटाने में बेटे का सहयोग करने के लिए धारा 201, 202 के आरोपों के तहत मुकदमा चलेगा।
9 वर्षीय मासूम लड़की की हत्या के आरोपी कमलेश के पिता रामसिंह व मां किशन को न्यायालय ने धारा 302 के आरोप से उन्मोचित करते हुए शेष आरोप में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा कि मुख्य आरोपी कमलेश के माता-पिता का अपराध धारा 201, 202 काबिले जमानत है। ऐसे में जमानत देने के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर दोनों को 25-25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत देने के आदेश दिए गए।
उदयपुर जिले के मावली थाना क्षेत्र में 29 मार्च को 9 साल की बच्ची लापता हो गई थी। इस पर परिवार की और से बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट मावली पुलिस थाने में दर्ज कराई थी।
चौथे दिन एक अप्रैल को पुलिस को बच्ची के शव के टुकड़े थैलियों में भरे हुए उसी के गांव के ही एक खण्डहर नुमा घर में मिले थे। यहां से टुकड़ो में बच्ची का शव बरामद करने के बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो गांव के ही कमलेश राजपूत की भूमिका सामने आई थी।
9 वर्षीय लड़की का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद पुलिस ने उसी दिन गांव के ही कमलेश नामक युवक को हत्या और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया था।
आरोपी से पूछताछ के बाद पुलिस ने बलात्कार के बाद 9 वर्षीय मासूम की हत्या करने और साक्ष्य मिटाने में बेटे का सहयोग करने के आरोप में पुलिस ने आरोपी कमलेश की मां और बाप को भी हत्या के आरोप सहित विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया था।
जांच में पुलिस ने पाया था कि आरोपी कमलेश ने 9 साल की बच्ची को घर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया। आरोपी बच्ची की मौत होने तक उसके साथ बलात्कार करता रहा। बच्ची की मौत के बाद आरोपी ने छुरी से मासूम की लाश के 10 टुकड़े किए और थैलियों में भरकर बाथरुम में छिपा दिया। पुलिस ने जांच में माना को उस समय आरोपी के माता-पिता को इस घटना का पता चला तो उन्होंने लाश ठिकाने लगाने में बेटे की मदद की थी।
9 वर्षीय बच्ची से बलात्कार और हत्या के आरोपी कमलेश और माता-पिता के खिलाफ पुलिस ने पोक्सो कोर्ट में 306 पेज की चार्जशीट पेश की थी।
मावली थाना इलाके की रहने वाली 9 वर्षीय आदिवासी बच्ची से बलात्कार कर निर्मम तरीके से हत्या कर शव के 10 टुकड़े करने के दिल दहलाने के प्रकरण में पैरवी कर रहे पब्लिक प्रोसिक्यूटर एडवोकेट सैयद हुसैन ने बताया कि इस केस में पुलिस ने पूर्व में न्यायालय में दो बार चार्जशीट पेश की थी। तब न्यायालय ने अनुसंधान में जल्दबाजी नहीं करने की बात कहते हुए चार्जशीट वापस लौटा दी थी। इस पर पुलिस ने तीसरी बार चार्ज पेश की इसके बाद न्यायालय ने चार्जशीट स्वीकार की थी।
बेटे के साथ 9 वर्षीय आदिवासी बच्ची के बलात्कार के बाद हत्या में अपने बेटे का साथ देने वाले माता-पिता पर हत्या की धरा हटाने के पोक्सो कोर्ट के फैसले के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील करने की तैयारी में है। साथ ही इस प्रकरण की सुनवाई किसी अन्य कोर्ट में करवाने की अर्जी भी उच्च न्यायालय में लगाने को तैयारी की जा रही है।
मावली की 9 साल की आदिवासी लड़की के साथ कमलेश राजपूत द्वारा बलात्कार के बाद हत्या में बेटे का साथ देने वाले आरोपी कमलेश राजपूत के माता पिता को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार को सर्व समाज के बैनर के साथ आदिवासी संगठनों ने उदयपुर में मौन जुलूस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।
जुलूस बैंक तिराया से शुरू हुआ जो देहली गेट होते हुए जिला कलेक्ट्री पहुंचा और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन देने पहुंचे सर्व समाज के लोगों ने मावली जघन्य हत्याकांड में पुलिस जांच पर सन्देह जताते हुए पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराने की मांग की।
इस दौरान वक्ताओं ने पुलिस पर जांच में खामियां छोड़ने के आरोप भी लगाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा पुलिस की लापरवाही का नतीजा है को यहां न्यायालय ने हत्या जैसे धारा के आरोप से मुख्य आरोपी के माता पिता को बरी कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियो ने कहा कि घटना के समय भी आदिवासी संगठनों ने सर्वसमाज के साथ जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। साथ ही मावली में सर्व समाज के लोगो ने बड़ी सभा की थी। इस दौरान राज्य सरकार से परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी। लेकिन सरकार ने एक भी मांग को पूरा नहीं किया। आरोप है कि पुलिस ने इस प्रकरण में जांच में कमियां छोड़ कर आरोपियों को लाभ पहुंचाने का काम किया है।
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