कर्नाटक: एससी की तर्ज पर अब एसटी के लिए भी उठी आंतरिक आरक्षण की मांग, आयोग गठन पर जोर

एससी आरक्षण बिल की तर्ज पर आदिवासियों की हुंकार: फर्जी जाति प्रमाण पत्रों पर नकेल और एसटी कोटे में बंटवारे के लिए आयोग बनाने की उठी मांग
सिद्धारमैया, मुख्यमंत्री, कर्नाटक
सिद्धारमैया, मुख्यमंत्री, कर्नाटक
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बेंगलुरु: कर्नाटक में अनुसूचित जातियों (SC) के लिए आंतरिक आरक्षण लागू करने की सरकारी तैयारियों के बीच, अब राज्य के आदिवासी और घुमंतू समुदायों ने भी अपनी आवाज बुलंद कर दी है। मंगलवार को गांधी भवन में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में इन समुदायों के गठबंधन ने फैसला लिया है कि वे राज्य सरकार पर अनुसूचित जनजातियों (ST) के भीतर भी आंतरिक आरक्षण के लिए एक समर्पित आयोग के गठन का दबाव बनाएंगे।

पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी.एस. द्वारकानाथ ने बैठक को संबोधित करते हुए राज्य में आदिवासी प्रतिनिधित्व की जमीनी हकीकत पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य में एसटी के लिए 15 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटें आरक्षित हैं, लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश के 49 आदिवासी समुदायों में से किसी का भी सत्ता के गलियारों में कोई सार्थक या प्रभावशाली प्रतिनिधित्व नहीं है।

द्वारकानाथ ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, "ये समुदाय आज भी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से बेहद पिछड़े हैं। आंतरिक विभाजनों ने इनकी संवेदनशीलता और कमजोरी को और बढ़ा दिया है।"

नेतृत्व के संकट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इन समुदायों में एकजुटता और लीडरशिप की भारी कमी है। इनकी आबादी महज 10,000 से 50,000 के बीच है, जिस कारण अलग से संघर्ष करने की इनकी गुहार सरकार के कानों तक नहीं पहुंच पाती।

बैठक के दौरान एक गंभीर मुद्दे को उठाते हुए द्वारकानाथ ने आरोप लगाया कि शहरी क्षेत्रों के लोग आदिवासी श्रेणियों के तहत जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर रहे हैं। इस वजह से वे लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे हैं, जो वास्तव में इसके हकदार हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, "आंतरिक आरक्षण ही एकमात्र ऐसा समाधान है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सरकारी लाभ सही और पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे।"

इस बैठक में मौजूद सभी संगठनों ने इस मांग का पुरजोर समर्थन किया। इसमें कर्नाटक नोमैडिक हॉकर ट्राइब प्रोटेक्शन कमेटी, कर्नाटक स्टेट नोमैडिक ट्राइब महासभा, कर्नाटक आदिवासी रक्षण परिषद और पारधी हरना शिकारी संघ के प्रतिनिधि शामिल थे।

सरकार ला रही है नया विधेयक

दूसरी ओर, दलित वाम संगठनों के लंबे संघर्ष और बढ़ते दबाव के बाद, कर्नाटक सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। सरकार विधानसभा में 'द कर्नाटक शेड्यूल्ड कास्ट्स (सब-क्लासिफिकेशन) बिल, 2025' पेश करने की तैयारी कर रही है। अधिकारियों के मुताबिक, इस विधेयक का उद्देश्य तीन समूहों में विभाजित 101 अनुसूचित जातियों के बीच आंतरिक आरक्षण को कानूनी मान्यता प्रदान करना है।

इसी तर्ज पर अब आदिवासी समुदाय भी अपने लिए न्याय और समान अवसरों की मांग कर रहे हैं।

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