ST दर्जे की मांग पर कुर्मी समाज का 'रेल रोको' आंदोलन, झारखंड में थम गए ट्रेनों के पहिए

हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य लाइन बुरी तरह प्रभावित, कई ट्रेनें हुईं रद्द और डायवर्ट, जानें आंदोलन को लेकर क्या है प्रशासन की तैयारी और किन नेताओं ने दिया समर्थन।
Kurmi agitation: Rail blockade in Jharkhand, demand for ST status, many trains cancelled.
झारखंड में कुर्मी समाज का 'रेल रोको' आंदोलन, ST दर्जे की मांग, कई ट्रेनें रद्द | Kurmi ProtestPic- thehansindia.com
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रांची: झारखंड में शनिवार का दिन रेलवे यात्रियों के लिए भारी मुश्किलों भरा रहा। अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की अपनी पुरानी मांग को लेकर कुर्मी समुदाय के हज़ारों लोग रेलवे पटरियों पर उतर आए। राज्य भर में 15 से ज़्यादा जगहों पर एक साथ शुरू हुए इस 'रेल रोको' आंदोलन ने हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य लाइन समेत कई महत्वपूर्ण मार्गों पर ट्रेनों की आवाजाही को पूरी तरह ठप कर दिया।

कई ट्रेनें रद्द, कुछ के बदले गए रास्ते

इस व्यापक विरोध प्रदर्शन के कारण रेलवे प्रशासन को आनन-फानन में कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा, कुछ के मार्ग बदलने पड़े और कई ट्रेनों के समय में फेरबदल करना पड़ा।

  • धनबाद मंडल ने हटिया-बर्धमान मेमू (13504) और हटिया-खड़गपुर मेमू (18036) को रद्द कर दिया।

  • धनबाद-अलाप्पुझा एक्सप्रेस (13351) को सुबह 11:35 बजे की बजाय शाम 6:35 बजे के लिए पुनर्निर्धारित किया गया।

  • रांची-छपरा एक्सप्रेस (18613) को बदले हुए मार्ग, यानी रांची-टोरी रूट से चलाया गया।

पारसनाथ (गिरिडीह), चंद्रपुरा (बोकारो) और राय (रांची) जैसे स्टेशनों पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

सुबह 4 बजे से ही पटरियों पर डटे प्रदर्शनकारी

आंदोलन की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारी सुबह 4 बजे से ही अपने पारंपरिक परिधानों में और ढोल-नगाड़ों के साथ स्टेशनों पर जुटने लगे थे। पुलिस प्रशासन द्वारा की गई बैरिकेडिंग भी उन्हें रोकने में नाकाम रही। रांची के राय, मुरी, टाटीसिलवे और मेसरा स्टेशनों के अलावा गिरिडीह, चक्रधरपुर, जामताड़ा, धनबाद और बोकारो में भी पटरियों पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा देखा गया। इस बीच, धनबाद के प्रधानखुंटा रेलवे स्टेशन पर उस वक्त झड़प हो गई जब सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को ट्रैक से हटाने का प्रयास किया।

तीन राज्यों में बड़े आंदोलन की थी तैयारी

इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुर्मी संगठनों ने पहले ही 20 सितंबर को झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के 100 स्टेशनों पर रेल यातायात बाधित करने की घोषणा की थी, जिसमें अकेले झारखंड के 40 स्टेशन शामिल थे। आयोजकों ने इसे एक "ऐतिहासिक प्रदर्शन" बताते हुए कहा कि गांव-गांव जाकर अभियान चलाकर इसके लिए समर्थन जुटाया गया था।

प्रशासन की पैनी नज़र, नेताओं का मिला समर्थन

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF), राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) और राज्य पुलिस के जवानों को भारी संख्या में तैनात किया गया है। सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों से भी हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और हुए नुकसान की भरपाई भी उन्हीं से की जाएगी।

इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिलता दिख रहा है। आजसू पार्टी के विधायक जयराम महतो ने एक वीडियो संदेश जारी कर कुर्मी आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष सिर्फ आदिवासी दर्जे का नहीं, बल्कि कुरमाली भाषा को मान्यता दिलाने और भूमि अधिकारों की रक्षा का भी है। वहीं, गिरिडीह से आजसू सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने खुद रामगढ़ जिले के हेसालोंग रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए रेलवे ट्रैक को जाम किया।

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