ऑस्कर 2026 की दौड़ में ‘होमबाउंड’ की धमाकेदार एंट्री: दोस्ती, जज़्बात और समाज की हकीकत को छूती नीरज घेवान की फिल्म, जानिए क्यों है हर किसी की जुबां पर चर्चा!

ऑस्कर की ओर कदम: दोस्ती, जज़्बात और सामाजिक सच्चाई से भरी ‘होमबाउंड’ ने जीता भारत का दिल और बनी अंतरराष्ट्रीय मंच की आवाज।
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नीरज घेवान की 'होमबाउंड' बनी ऑस्कर 2026 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि— जानें कहानी, कलाकार और चर्चा।
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नई दिल्ली: नीरज घेवान द्वारा निर्देशित फिल्म ‘होमबाउंड’ को भारत की तरफ से ऑस्कर 2026 के लिए आधिकारिक इंट्री के लिए चुना गया है। यह खबर शुक्रवार, 19 सितम्बर को सामने आई। फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इसका ऐलान किया।

फिल्म का परिचय

‘होमबाउंड’ एक हिंदी ड्रामा फिल्म है जिसे नीरज घेवान ने लिखा और निर्देशित किया है। इसका निर्माण करण जौहर, अदार पूनावाला, अपूर्व मेहता और सोमेन मिश्रा ने धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले किया है। फिल्म में मशहूर कलाकारों इशान खट्टर, विशाल जठवा और जाह्नवी कपूर मुख्य भूमिका में हैं। मार्टिन स्कॉर्सेसे ने एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के रूप में नाम दर्ज कराया है।

कहानी

यह फिल्म दो बचपन के दोस्तों की कहानी है, जो उत्तर भारत के एक छोटे गाँव से हैं। दोनों गरीब परिवार के हैं और पुलिस की नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक दोस्त चंदन (विशाल जठवा) है, जिसकी जाति सामाजिक व्यवस्था में नीचे है, दूसरा शोएब (इशान खट्टर) एक मुसलमान है जिसे समाज में बहुसंख्यकों से नफरत और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। दोनों पुलिस की भर्ती परीक्षा देते हैं, जहाँ चंदन परीक्षा में पास हो जाता है जबकि शोएब असफल रहा। चंदन को सुधा (जाह्नवी कपूर) से प्यार हो जाता है लेकिन मजबूरियों में उनका रिश्ता टूट जाता है। लॉकडाउन और महामारी के कठिन समय में दोनों के जीवन में बदलाव आता है और उनका बिछड़ना दर्शकों को भावुक कर देता है।

सामाजिक सरोकार

‘होमबाउंड’ सिर्फ दोस्ती की कहानी नहीं है बल्कि यह जातिगत भेदभाव, धार्मिक संघर्ष और महामारी के दौरान हुए प्रवासी मजदूरों का संघर्ष भी दिखाती है। फिल्म में समाज के वंचित वर्ग की मजबूरी और आशा दोनों दिखती हैं। निर्देशक नीरज घेवान ने दलितों व अल्पसंख्यकों की जीवन की सच्चाई को बहुत संवेदनशील तरीके से दर्शाया है। फिल्म की प्रेरणा New York Times के आलेख 'Taking Amrit Home' से ली गई है।

फिल्म बनाने वाली टीम

फिल्म का स्क्रीनप्ले नीरज घेवान द्वारा लिखा गया है, वहीं कहानी में बशारत पीर, सुमित रॉय और वरुण ग्रोवर का भी योगदान है। संवाद नीरज घेवान, वरुण ग्रोवर व श्रीधर दुबे ने लिखे हैं।

प्रमुख कलाकार

  • इशान खट्टर (शोएब)

  • विशाल जठवा (चंदन)

  • जाह्नवी कपूर (सुधा)
    इनके साथ कई सहयोगी कलाकार हैं जो गांव के हालात और पारिवारिक रिश्तों को बखूबी निभाते हैं।

फिल्म की उपलब्धियां

‘होमबाउंड’ को 2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में Un Certain Regard सेक्शन में दिखाया गया था, जहाँ इसे 9 मिनट लंबी स्टैंडिंग ओवेशन मिली थी। टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (TIFF) में भी इसकी सराहना हुई, जहां यह इंटरनेशनल पीपल्स चॉइस अवॉर्ड के लिए दूसरी रनर-अप रही। फिल्म का IMDB रेटिंग 7.3/10 है।

ऑस्कर के लिए चयन

‘होमबाउंड’ को 24 भाषाओं की फिल्मों के बीच चुना गया। चयन समिति के अध्यक्ष एन. चंद्रा के मुताबिक, इस फिल्म की संवेदना व सामाजिक संदेश ने सबका ध्यान खींचा। यह 98वें अकादमी अवार्ड्स के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।

2026 में ऑस्कर का आयोजन मार्च में होगा और 15 फिल्में दिसंबर में शॉर्टलिस्ट हो जाएंगी। जनवरी 2026 में 5 फाइनल नॉमिनी चुने जाएंगे।

आलोचकों की राय

समालोचक इसे बहुत वास्तविक और संवेदनशील फिल्म मान रहे हैं। फिल्म की धीमी गति को नीरज घेवान के किरदारों की गहराई और भावनाओं ने विश्वसनीय बना दिया है। दिखावे की बजाय, फिल्म शांति के साथ समाज की सच्ची तस्वीर दिखाती है।

इशान खट्टर और विशाल जठवा की एक्टिंग को खासतौर पर सराहा गया है। जाह्नवी कपूर का किरदार सुधा भी रिश्तों में नई परत जोड़ता है।

फिल्म का महत्व

‘होमबाउंड’ सामाजिक मुद्दों, दोस्ती और आशा को दर्शाती है। यह फिल्म उन लोगों की कहानी है जो अपने हक, सम्मान और जीवन की बेहतरी के लिए चुनौतियों से लड़ते हैं।

फिल्म निर्देशक नीरज घेवान का कहना है- “यह कहानी हमारे देश की मिट्टी और लोगों का जश्न है। मुझे गर्व है कि यह फिल्म भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए चुनी गई है”।

नीरज घेवान की ‘होमबाउंड’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह समाज का आईना है। इसमें दोस्ती, जाति, धर्म, संघर्ष, महामारी का असर और आशा का जुनून है। भारत की इस पैनी आवाज ने कला के मंच पर अपनी पहचान बनाई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘होमबाउंड’ ऑस्कर में किस मुकाम तक पहुंचेगी।

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