खरगोन – मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक आदिवासी आरक्षक ने रिजर्व इंस्पेक्टर यानी वरिष्ठ रक्षित निरीक्षक (आरआई) पर उनके पालतू कुत्ते के गायब होने के बाद बेरहमी से पिटाई करने का आरोप लगाया है। 26 अगस्त को लिखित में दी गई शिकायत में पुलिस बल के भीतर सत्ता के दुरुपयोग और जातिगत भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए गए हैं जो निचले स्तर के कर्मचारियों, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के साथ दुर्व्यवहार की ओर इशारा करते हैं।
खरगोन के निवासी राहुल चौहान जिला रिजर्व पुलिस (डीआरपी) लाइन में आरक्षक के रूप में कार्यरत हैं। अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से संबंधित और अनुकंपा के आधार पर नियुक्त चौहान का दावा है कि उन्हें रक्षित निरीक्षक के बंगले पर उनके बार-बार इनकार करने के बावजूद , निजी काम करने के लिए मजबूर किया गया जिसमें बच्चे की देखभाल और कुत्ते की देखरेख शामिल थी।
मामले में चौहान की एक विडियो को शेयर करते हुए पूर्व सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण सुभाषचन्द्र यादव कहा , " क्या अब मप्र में पुलिस आरक्षक बंगले पर बच्चे एवं कुत्ते भी संभालेंगे? अगर कुत्ता गुम हो जाएगा तो आरक्षक को बेरहमी से पीटा जाएगा ? मामला खरगोन का है जहां आदिवासी समुदाय के राहुल चौहान जो कि आरआई सौरभ के बंगले पर पदस्थ था सिर्फ कुत्ता गुम होने की वजह से उसके साथ बेल्ट से मारपीट कर जातिसूचक गालियां दी गई, डीजीपी महोदय इस मामले को संज्ञान में लेकर आरोपी को तत्काल सस्पेंड कर एफआईआर दर्ज करवाएं । यह सिर्फ राहुल चौहान पर हमला नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज का अपमान है।"
शिकायत के अनुसार यह उत्पीड़न 8 अगस्त से शुरू हुआ। चौहान का आरोप है कि रक्षित निरीक्षक सौरभ कुशवाह ने उन्हें "बंगला ड्यूटी" सौंपी, जिसमें अधिकारी के बच्चे और पालतू कुत्ते की देखभाल जैसे कार्य शामिल थे, जो उनकी आधिकारिक पुलिस जिम्मेदारियों से पूरी तरह असंबंधित थे।
मामला 23 अगस्त की रात को और गंभीर हो गया। चौहान ने बताया कि उस दिन वे बंगले पर ड्यूटी पर थे और रात 10:00 बजे के करीब रक्षित निरीक्षक को सूचित करने और मुख्य गेट बंद करने के बाद घर चले गए। लेकिन रात लगभग 1:20 बजे, उन्होंने रक्षित निरीक्षक की गाड़ी को अपने घर की ओर आते देखा जिसमें कुशवाह के साथ एक सुबेदार, ड्राइवर किशन, ‘स्टिक मैन’ राकेश और आरक्षक लक्की बार्डे मौजूद थे।
चौहान का कहना है कि रक्षित निरीक्षक ने उनका मोबाइल फोन छीन लिया, उन्हें जबरन गाड़ी में बिठाया और बंगले पर ले गए। वहां अन्य कर्मचारियों को मुख्य गेट के बाहर भेज दिया गया, और चौहान को पीछे के एक कमरे में ले जाया गया, जहां कुशवाह ने कथित तौर पर उन्हें बेल्ट से बेरहमी से पीटा। चौहान ने अपनी शिकायत में विस्तार से बताया, "वह बार-बार पूछते रहे कि कुत्ता कहां है और मेरी कोई बात सुने बिना मुझे मारते रहे।"
पिटाई के बाद चौहान को सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) लखन मेहर, सुबेदार दीपेंद्र सुर्वनकार, आरक्षक बादल, प्रधान आरक्षक छगन कुशवाह और ड्राइवर किशन द्वारा खरगोन जिला अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उनका दावा है कि मेडिकल जांच केवल शराब के सेवन तक सीमित थी, और उनके शरीर पर लगी चोटों की जांच नहीं की गई। "मुझे डॉक्टर से ठीक से बात करने की अनुमति नहीं दी गई।"
अस्पताल के बाद चौहान को फिर से बंगले पर ले जाया गया। वहां रक्षित निरीक्षक की पत्नी ने कथित तौर पर उन्हें अपमानित करते हुए "नीच जाति का आदिवासी" कहा और चप्पल से मारने की धमकी दी। उन्होंने कथित तौर पर कहा, "मेरा कुत्ता ढूंढकर दे, नहीं तो मैं तुम्हारी नौकरी खत्म कर दूंगी। अपनी पुलिसगिरी को किनारे रख, तुम्हारी औकात बस दो कौड़ी की है।"
लगभग सुबह 4:00 बजे, चौहान को क्वार्टर गार्ड प्रभारी एएसआई लखन मेहर और संतरी चेतन जाट ने मेहर की गाड़ी से घर छोड़ा। अगली सुबह 24 अगस्त को चौहान सुबह करीब 10:40 बजे डीआरपी लाइन पहुंचे। इसके तुरंत बाद रक्षित निरीक्षक वहां आए और उन्हें अपने चैंबर में ले गए, जहां उन्होंने कथित तौर पर चौहान के साथ बदतमीजी की और उन पर झूठे आरोप लगाए। बाद में चौहान को फिर से बंगले पर बुलाया गया, जहां उनकी पत्नी के सामने भी उनकी पिटाई की गई और गालियां दी गईं। मजबूर दंपति ने वादा किया कि वे किसी भी तरह कुत्ता ढूंढकर दे देंगे। इसके बाद ही चौहान का मोबाइल फोन वापस किया गया।
चौहान ने अपनी शिकायत में जोर दिया कि उन्होंने पहले भी बंगला ड्यूटी से इनकार किया था, लेकिन उन पर दबाव डाला गया और घरेलू काम, कुत्ते की देखरेख और बच्चे की देखभाल जैसे कार्यों के लिए मजबूर किया गया। अब रक्षित निरीक्षक और उनकी पत्नी कथित तौर पर उन्हें शिकायत करने पर बर्खास्त करने की धमकी दे रहे हैं कि "तुझे जिसके पास जाना है, जा, तू मेरा कुछ नहीं कर सकता"।एक सुबेदार ने भी यही बात दोहराई कि शिकायत करने से कुछ नहीं होगा।
26 अगस्त को चौहान व्यक्तिगत रूप से पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचे। उनका कहना है कि एसपी ने उनकी शिकायत को खारिज करते हुए कहा, "तुम शराब के नशे में थे; माफी पत्र लिखकर माफी मांग लो। अगर माफी मांग लेते हो, तो मैं तुम्हारे खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करूंगा।"
न्याय की मांग करते हुए चौहान ने कहा "एक एसटी व्यक्ति और अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त होने के नाते, मेरा शोषण और अपमान किया गया है"। रक्षित निरीक्षक ने सौरभ कुशवाह और उनकी पत्नी के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है जिसमें जातिगत अपमान और शारीरिक हमले का आरोप है।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) खरगोन को संबोधित शिकायत की प्रतियां निमाड़ रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक (डीआईजी), इंदौर ग्रामीण जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), भोपाल में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को प्रति भेजी गई हैं।
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