उदयपुर हाईकोर्ट बेंच की मांग: आदिवासियों को न्याय के लिए एडवोकेट्स के आन्दोलन को राजनीतिक पार्टियों का समर्थन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जोर देकर कहा कि जोधपुर उच्च न्यायालय का सफर और वहां बार-बार कोर्ट में हाजिरी देना इस क्षेत्र के आदिवासियों की वित्तीय क्षमता से बाहर है, जिसके कारण वे न्याय से वंचित रह जाते हैं।
उदयपुर बार एसोसिएशन के सदस्यगण     पिछले तीन दिनों से अपनी मांग को लेकर रैली, उग्र धरना- प्रदर्शन और सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कर रहे हैं।
उदयपुर बार एसोसिएशन के सदस्यगण पिछले तीन दिनों से अपनी मांग को लेकर रैली, उग्र धरना- प्रदर्शन और सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कर रहे हैं।
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उदयपुर- मेवाड़-वागड़ क्षेत्र के आम नागरिकों और विशेष रूप से आदिवासी समुदाय को न्याय दिलाने की लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है। उदयपुर में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की चार दशक पुरानी मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उदयपुर जिला परिषद ने अपना पूर्ण समर्थन दे दिया है। इससे पूर्व भाजपा और कांग्रेस के नेतागण भी आंदोलनरत वकीलों को अपना समर्थन दे चुके हैं। उदयपुर बार एसोसिएशन के सदस्यगण पिछले तीन दिनों से अपनी मांग को लेकर रैली, धरना प्रदर्शन और सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कर रहे हैं। डिविजनल कमीश्नर ऑफिस के सामने दो दिनों से अधिवक्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। बीकानेर में हाईकोर्ट की बेन्च जाने की सुगबुगाहट के बाद उदयपुर के वकीलों ने अपने आन्दोलन को तेज कर दिया है।

शनिवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव हिम्मत चांगवाल ने संयोजक रमेश नंदवाना और जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्र भान सिंह शक्तावत को एक समर्थन पत्र सौंपकर इस आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता जताई। इस मौके पर जिला सचिवमंडल सदस्य सुरेश मीणा भी मौजूद थे।

समर्थन पत्र में पार्टी ने स्पष्ट कहा कि उदयपुर में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना न केवल जरूरी, बल्कि इस आदिवासी बहुल क्षेत्र के गरीब लोगों के लिए न्याय तक पहुंच का एकमात्र साधन है। पार्टी ने जोर देकर कहा कि जोधपुर उच्च न्यायालय का सफर और वहां बार-बार कोर्ट में हाजिरी देना इस क्षेत्र के आदिवासियों की वित्तीय क्षमता से बाहर है, जिसके कारण वे न्याय से वंचित रह जाते हैं।

इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि दूर-दराज के पहाड़ी और जंगली इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए जोधपुर की यात्रा करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। यह मांग लगातार चार दशकों से उठाई जा रही है, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल की सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया कि यहां के जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाने में विफल रहे हैं। न तो विधानसभा में और न ही संसद में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया। इस जायज मांग को लगातार नजरअंदाज करके इस पूरे क्षेत्र के साथ अन्याय किया जा रहा है।

पार्टी ने एक तुलनात्मक तर्क देते हुए सरकार के रवैये पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जोधपुर के नजदीक बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच बनाने पर सरकार विचार कर रही है, लेकिन दक्षिण राजस्थान के इस दूरदराज और आदिवासी बहुल क्षेत्र की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है।

हिम्मत चांगवाल ने धरना स्थल पर जाकर अधिवक्ताओं को संबोधित किया और कहा कि अब इस मांग को लेकर कोई और विकल्प नहीं बचा है, सिवाय एक लगातार और अनिश्चितकालीन आंदोलन के। उन्होंने अधिवक्ताओं से अपील की कि यह आंदोलन तब तक जारी रहना चाहिए जब तक सरकार इस पर ठोस निर्णय नहीं ले लेती।

चांगवाल ने आश्वासन दिया, "यह सिर्फ वकीलों की लड़ाई नहीं, बल्कि इस पूरे क्षेत्र के नागरिकों का संघर्ष है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलने को तैयार है। न्याय की आसान पहुंच हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और उदयपुर में बेंच की स्थापना ही इसकी गारंटी है।"

उदयपुर बार एसोसिएशन के सदस्यगण     पिछले तीन दिनों से अपनी मांग को लेकर रैली, उग्र धरना- प्रदर्शन और सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कर रहे हैं।
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उदयपुर बार एसोसिएशन के सदस्यगण     पिछले तीन दिनों से अपनी मांग को लेकर रैली, उग्र धरना- प्रदर्शन और सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कर रहे हैं।
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