मध्य प्रदेश: रैंप पर उतरे ट्रांसजेंडर्स ने की वोट करने की अपील, इधर समुदाय के हजारों लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल ही नहीं!

अनुमान के मुताबिक प्रदेश में करीब 35 हजार ट्रांसजेंडर है। वहीं मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी मतदाता सूची में अन्य मतदाता (थर्ड जेंडर) 1373 हैं।
मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए ट्रांसजेंडर्स का फैशन शो
मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए ट्रांसजेंडर्स का फैशन शोफोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

भोपाल। शहर में पहली बार ट्रांसजेंडर्स का फैशन शो एक खास मकसद से आयोजित किया गया। फ़ैशन शो में रैम्प वॉक कर रहे प्रतिभागी ट्रांसजेंडर्स के हाथों में तख्तियां थी, जिन पर मतदान जागरूकता के स्लोगन लिखे थे। यह फैशन शो शनिवार को 10 नंबर मार्केट स्थित राग भोपाली परिसर में हुआ था, जिसका आयोजन निर्वाचन आयोग ने किया था। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के हजारों ट्रांसजेंडर्स के नाम अब भी मतदाता सूची में शामिल नहीं हुए हैं। इस कारण एक बड़ी संख्या में किन्नर समुदाय वोट नहीं कर रहा है.

वोटिंग परसेंटेज को बढ़ाने और मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए ट्रांसजेंडर्स समुदाय के मॉडल्स ने रैंप वॉक किया है। इस मौके पर किन्नर समाज की गुरु सुरैया ने लोगों से वोट डालने की अपील मंच से की। उन्होंने कहा, "सभी काम छोड़कर पहले मतदान करें।" सुरैया शो की शो-स्टॉपर भी रहीं। रैंप वॉक में नानू विश्वास, काजल ठाकुर, काव्या, सोना, रितिका, बिजली, चांदनी, अन्नू, सिम्मी, नेहा व प्रिया ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत सुरैया और भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने दीप प्रज्वलन से की। इसके बाद मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2019 डॉ. रेनू यादव और सुरैया ने रैंप वॉक कर लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद ट्रांसजेंडर समुदाय से संजना सिंह ने वंदे मातरम् पर तिरंगा लहराते हुए रैंप वॉक किया।

कार्यक्रम में कोरियोग्राफी मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2019 डॉ. रेनू यादव और यूनिवर्सल वूमन इंडिया शो की डायरेक्टर अपेक्षा डबराल भी मौजूद रहीं। इस मौके पर कलेक्टर भोपाल कौशलेंद्र विक्रम सिंह, अपर कलेक्टर रितुराज व निर्वाचन आयोग की स्टेट आइकॉन संजना सिंह मौजूद रहे। सहायक नोडल अधिकारी रितेश शर्मा ने बताया कि एक ही मंच पर फैशन मॉडल और ट्रांसजेंडर्स ने साथ-साथ वॉक किए। इस वॉक के जरिए हम जनता को लोकतंत्र में सबकी हिस्सेदारी, समावेशी व सुगम मतदान का संदेश देने चाहते हैं।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए ट्रांसजेंडर संजना सिंह ने बताया कि, ट्रांसजेंडर्स समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निर्वाचन आयोग लगातार प्रयासरत है। संजना ने कहा, "समाज को लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सा लेना चाहिए, मैं अपील करती हूं कि 7 मई को पूरा भोपाल वोट करे।"

35 हजार में सिर्फ 1373 वोटर्स!

मध्य प्रदेश में एक ओर निर्वाचन आयोग थर्ड जेंडर को मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास और दावे कर रहा है। लेकिन अभी भी हजारों ट्रांसजेंडर्स वोट नहीं करते क्योंकि उनका नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं. अनुमान के मुताबिक प्रदेश में करीब 35 हजार ट्रांसजेंडर है। वहीं मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी मतदाता सूची में अन्य मतदाता (थर्ड जेंडर) एक हजार 373 हैं। जबकि ट्रांसजेंडर्स की संख्या प्रदेश में 35 हजार से भी ज्यादा है। इनमें हज़ारों की संख्या में ऐसे भी हैं जिनके आधार कार्ड अभी तक नहीं बन पाए हैं। 

मध्य प्रदेश के सागर की ट्रांसजेंडर निशा ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए बताया कि, वर्तमान में पहचान पत्र नहीं होने के कारण उन्हें समस्याएं हो रही हैं। पहचान पत्र न होने से बैंक में उनका खाता तक नहीं खुल पाया है। निशा ने परिवार के द्वारा दिए गए नाम को गुप्त रखते हुए कहा, "जिस परिवार ने 11 वर्ष की उम्र में छोड़ दिया तो उनके दिए नाम को भूल चुकी हूँ। न मेरे पास आधार कार्ड है, और न ही मतदाता सूची में मेरा नाम है. पिछले 6 वर्षों से मैं भोपाल के एक किन्नर डेरे में रहती हूं, इस डेरे के ज्यादातर किन्नरों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं।" 

भोपाल में अब तक बने सिर्फ 70 ट्रांसजेंडर सर्टिफिकेट

सामाजिक न्याय विभाग द्वारा ट्रांसजेंडर को सेल्फ आइडेंटिटी जेंडर सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। इसके लिए विभाग ने सभी जिला मुख्यालयों पर यह प्रमाणपत्र बनाने के लिए व्यवस्था की है। यह प्रमाणपत्र बाद में आधार अन्य दस्तावेजों से नाम परिवर्तित करने के उपयोग में लिया जा सकता है। वोटर लिस्ट में भी इस सर्टिफिकेट से नाम जोड़ा जा सकता है। द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए सामाजिक न्याय विभाग के जॉइंट डाययरेक्टर आरके सिंह ने बताया कि ऑनलाइन परिक्रिया के माध्यम से आवेदन लिए जाते हैं इसके बाद जांच उपरांत प्रमाणपत्र जारी करते हैं।

उन्होंने बताया कि, फिलहाल भोपाल में 70 लोगों के सर्टिफिकेट्स बन गए हैं। आवेदन में आधार कार्ड, समग्र आईडी या वोटर कार्ड होना जरूरी होता है।

बता दें कि छह महीनों में सिर्फ 70 सर्टिफिकेट ही बने हैं। जबकि भोपाल में ही करीब 350 ट्रांसजेंडर हैं। इन आंकड़ों से यह समझा जा सकता है कि जब प्रदेश की राजधानी में यह स्थिति है, तो प्रदेश के दूरदराज के अंचलों में क्या होगा?

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