दिल्ली: पांच हजार दलित उद्यमियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए एमओयू

भारत के सबसे बड़े दलित उद्योग निकाय और स्वयंसेवी संगठन ने समझौते पर किया हस्ताक्षर, यह साझेदारी दलितों के नेतृत्व वाले एसएमई को ऋण सहायता, प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करेगी.
बीवायएसटी और डीआईसीसीआई आसानी से स्थापना और व्यवसाय चलाने की सुविधा के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 4 लाख के ऋण के साथ 250 दलित युवाओं को क्रेडिट लिंकेज और सलाह सहायता भी प्रदान करेंगे।
बीवायएसटी और डीआईसीसीआई आसानी से स्थापना और व्यवसाय चलाने की सुविधा के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 4 लाख के ऋण के साथ 250 दलित युवाओं को क्रेडिट लिंकेज और सलाह सहायता भी प्रदान करेंगे।

नई दिल्ली। भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (बीवायएसटी) और दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डीआईसीसीआई) ने पांच हजार दलित उद्यमियों को रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध कराने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इनमें 20 प्रतिशत महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है।

इस साझेदारी के माध्यम से, बीवायएसटी और डीआईसीसीआई एक हजार दलित युवा उद्यमियों को परामर्श देंगे। इन युवाओं को उद्यमिता, बैंकिंग के तरीकों, ग्राहक के साथ संबंध, बुक कीपिंग, परियोजना की तैयारी और बिक्री से जुड़े सॉफ्ट स्किल आदि की बुनियादी अवधारणाओं पर बीवायएसटी के मेंटर और मेंटर क्लीनिकों के नेटवर्क के ज़रिये परामर्श दिया जाएगा।

मिली जानकारी के मुताबिक़ यह नि:शुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम (एंट्रेप्रेन्योर ऑनलाइन लर्निंग-ईओएल) 2-3 दिन तक चलेगा। इस कार्यक्रम के जरिये यह उद्यमी अपने आईडिया को और अधिक बेहतर बनाने और ठोस व्यावसायिक योजनाओं में बदलने में मदद करेगा।

बीवायएसटी और डीआईसीसीआई आसानी से स्थापना और व्यवसाय चलाने की सुविधा के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 4 लाख के ऋण के साथ 250 दलित युवाओं को क्रेडिट लिंकेज और सलाह सहायता भी प्रदान करेंगे। बीवाईएसटी के संस्थागत ऋण भागीदारों जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी), इंडियन बैंक, आईडीबीआई, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से प्रदान की जाएगी।

डीआईसीसीआई के बड़े सपने देखने वाले दलित उद्यमी सदस्यों को सस्टेनिंग एंट्रेप्रेन्योरशिप एंड ग्रीन बिज़नेस प्रोग्राम के तहत भी प्रशिक्षण और समर्थन मिलेगा, जिसके तहत (ईएसजी) पर्यावरण, सामाजिक, लैंगिक और संचालन से जुड़े पहलुओं की बुनियादी समझ और इस समझ को व्यावसाय से जोड़ने के तरीके भी सिखाए जाते हैं। इन उद्यमियों का न्यूनतम टर्नओवर 10-20 लाख के बीच होता है और ये प्रत्यक्ष रूप से न्यूनतम 8-10 जॉब पैदा करते हैं।

भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की संस्थापक एवं मैनेजिंग ट्रस्टी,लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन ने बताया, “दलित समुदाय को अभी भी भेदभाव के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें उच्च वेतन वाली नौकरियों तथा व्यावसायिक अवसरों की तलाश में बाधा आती है। पूंजी, संसाधनों तक सीमित पहुंच और परामर्श समर्थन जैसी मुश्किलें बनी रहती हैं, जो उनकी सफलता में बाधा डालती हैं। बैंकिंग और कॉर्पोरेट माहौल में जाति-आधारित भेदभाव स्पष्ट है, जिससे अवसरों तक न्यायसंगत पहुंच को सुविधाजनक बनाना और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। समावेशी अर्थव्यवस्था के पोषण के लिए जातिगत पूर्वग्रहों का उन्मूलन महत्वपूर्ण है।

लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन ने आगे कहा -'मैंने अपने पिता,आर वेंकटरमन से (पूर्व राष्ट्रपति) और डॉ. अम्बेडकर का कथन सुना था, " यदि आप सम्मानजनक जीवन जीने में विश्वास करते हैं, तो आप स्व-सहायता में विश्वास करते हैं जो अपने-आप में सबसे अच्छी मदद है।“ यह कथन मुझे बेहद पसंद आया। उच्च शिक्षा संस्थानों में सकारात्मक पहल (आरक्षण) को शामिल कर, डॉ. अम्बेडकर ने यह सुनिश्चित किया कि दलित युवाओं की पीढ़ियां आजीविका के क्षेत्र में अधिक समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनें।

जब मैंने 1992 में भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की स्थापना की, तभी से मेरे लिए, डॉ. अम्बेडकर का यह कथन व्यक्तिगत रूप से, मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है। इस संस्था का लक्ष्य है, भारत के वंचित युवाओं को जॉब ढूंढने के बजाय जॉब क्रिएटर बनने में मदद करना। यह साझेदारी, भारत में दलित उद्यमिता को सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दृढ़ करती है।“

डीआईसीसीआई के संस्थापक अध्यक्ष, पद्मश्री डॉ. मिलिंद कांबले ने कहा कि डीआईसीसीआई विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण पर काम कर रहा है, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के सशक्तिकरण के लिए उनके सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण को शामिल किया गया है।

बड़े और छोटे दोनों किस्म के प्रतिस्पर्धी विनिर्माण उद्यमों की स्थापना तथा इन्हें बनाए रखने और शेष विश्व के लिए मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए ज़रूरी है कि दलित उद्यमियों को समर्थन दिया जाये, मज़बूती प्रदान की जाए और सशक्त बनाया जाए और बीवाईएसटी के साथ यह साझेदारी वहनीय समावेशी विकास के लिए अनुसूचित जाति उद्यमिता की महत्वपूर्ण क्षमता का उपयोग कर आर्थिक विकास को गति दे सकती है।

इसके अतिरिक्त, बीवायएसटी मेंटर प्रशिक्षण और मूल्यांकन, मेंटर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग, मेंटर पीयर लर्निंग, मेंटर सर्टिफिकेशन और वेबिनार, द्विमासिक नेटवर्किंग मीट, मेंटर चैप्टर प्रोग्राम के ज़रिये मेंटर अप स्किलिंग के माध्यम से डीआईसीसीआई के सदस्यों को मेंटर विकास मान्यता प्रदान करेगा।

बीवायएसटी शैक्षणिक संस्थानों और इन्क्यूबेशन केंद्रों में एक उद्यमिता परितंत्र के सह-निर्माण में डीआईसीसीआई की मदद करेगा। बीवाईएसटी और डीआईसीसीआई, बी2बी, बी2सी, बी2जी जुड़ाव, सरकारों तथा उद्योगों के साथ नीति निर्धारण, व्यापार व्यापार मेलों में भाग लेने और सरकारी अनुसूचित जाति/ जनजाति योजनाओं के साथ ताल-मेल पर गोष्ठी और कार्यशालाओं के आयोजन के संबंध में भी मिलकर काम करेंगे।

डीआईसीसीआई के अध्यक्ष, पद्मश्री रवि नर्रा ने अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “डीआईसीसीआई ने इच्छुक और मौजूदा अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति उद्यमियों की पहचान करने के लिए 5 स्थानों (पुणे, दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, भोपाल जयपुर) में बिजनेस फैसिलिटेशन सेंटर (बीएफसी) की स्थापना की है ताकि उन्हें एक उच्च पेशेवर उद्यमशील परितंत्र के दायरे में लाया जा सके और सफलता के लिए उनकी मदद की जा सके।

बीवाईएसटी के साथ यह साझेदारी, मेंटरिंग क्लीनिक के ज़रिये उद्यमशीलता को बढ़ावा देगी और हर कदम पर सहायता प्रदान करेगी और इस तरह बीवाईएसटी और डीआईसीसीआई अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों के सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए तत्पर हैं।

बीवायएसटी और डीआईसीसीआई आसानी से स्थापना और व्यवसाय चलाने की सुविधा के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 4 लाख के ऋण के साथ 250 दलित युवाओं को क्रेडिट लिंकेज और सलाह सहायता भी प्रदान करेंगे।
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बीवायएसटी और डीआईसीसीआई आसानी से स्थापना और व्यवसाय चलाने की सुविधा के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 4 लाख के ऋण के साथ 250 दलित युवाओं को क्रेडिट लिंकेज और सलाह सहायता भी प्रदान करेंगे।
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