चेन्नई, 7 अगस्त — लोकप्रिय तमिल यूट्यूबर्स गोपी और सुधाकर को एक व्यंग्यात्मक वीडियो ‘सोसाइटी पावंगल’ (समाज के पाप) को लेकर भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यह वीडियो अप्रत्यक्ष रूप से एक दलित युवक 'कविन' की हत्या पर आधारित है, जिसे कथित रूप से एक उच्च जाति की महिला से प्रेम संबंध के चलते मार दिया गया।
वीडियो में दोनों यूट्यूबर्स ने समाज में व्याप्त जातिगत पाखंड पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि कैसे कुछ समूह प्राचीन संस्कृति और जाति गर्व को बढ़ावा देते हैं, लेकिन जब जातिगत हिंसा होती है, तो वही समाज चुप्पी साध लेता है।
वीडियो के सामने आते ही कुछ जाति-विशेष समूहों में नाराज़गी फैल गई। उच्च जाति से ताल्लुक रखने वाले 30 वकीलों के एक समूह ने वीडियो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और यूट्यूब चैनल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
फिल्म निर्माता ए.एम. चौधरी ने भी वीडियो निर्माताओं की कड़ी आलोचना की। उन्होंने एक वायरल बयान में गोपी और सुधाकर को "कुत्ता" तक कह दिया और भविष्य में समाज से जुड़े मुद्दों पर बोलने से मना किया।
यह पूरा विवाद उस समय सामने आया है जब 27 जुलाई को तिरुनेलवेली के एक निजी अस्पताल के पास कविन नाम के आईटी प्रोफेशनल की बेरहमी से हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, यह मामला ऑनर किलिंग का हो सकता है।
कविन का प्रेम संबंध उसकी स्कूल की पूर्व साथी से था, जो एक अस्पताल में काम करती है और एक उच्च जाति से संबंध रखती है। परिवार के विरोध के बावजूद कविन ने उससे विवाह करने की इच्छा जताई थी। घटना के दिन जब वह अस्पताल के पास अपनी प्रेमिका से मिलने पहुंचा, तब कथित रूप से लड़की के भाई सुरजीत ने उसे रोका। कहासुनी के बाद सुरजीत ने पास रखी दरांती से कविन पर हमला कर दिया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। यह घटना अस्पताल से महज 200 मीटर की दूरी पर हुई।
गोपी और सुधाकर का वीडियो इसी सामाजिक सच्चाई को उजागर करने की कोशिश करता है। लेकिन अब उन्हें मिल रहे विरोध ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जातिगत विशेषाधिकार और सामाजिक असमानता पर बोलने के जोखिम को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
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