भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के तत्वावधान में बुधवार को राजधानी भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में "सामाजिक न्याय सम्मेलन" का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन सामाजिक न्याय, संविधानिक अधिकारों और दलित-आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर पूरी तरह केंद्रित रहा।
इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने की।
कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में हरीश चौधरी (प्रदेश प्रभारी) जीतू पटवारी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, उमंग सिंघार (नेता प्रतिपक्ष) सहित कांग्रेस के कई विधायक, पूर्व सांसद, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और प्रदेशभर से आए अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकर्ता शामिल हुए।
इस सम्मेलन में दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और वंचित समुदायों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र में रखा गया। वक्ताओं ने जाति आधारित जनगणना को तत्काल लागू करने की मांग की, ताकि समाज के सबसे कमजोर तबकों की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आंकलन हो सके। यह जनगणना नीतिगत फैसलों की दिशा तय करने में सहायक होगी। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों को आरक्षण देने की मांग भी जोर-शोर से उठाई गई ताकि इन तबकों को समान अवसर मिल सके। निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों को मुफ्त शिक्षा देने की मांग को भी प्रमुखता दी गई, जिससे शिक्षा में बराबरी का अवसर सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता जताई गई।
सम्मेलन में विशेष रूप से मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण बहाल करने की मांग की गई, जिसे लंबे समय से अटका दिया गया है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जा रही भर्तियों को लेकर भी सवाल उठाए गए, क्योंकि इससे आरक्षण नीति का उल्लंघन होता है और कमजोर तबकों को सरकारी नौकरियों में वाजिब प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता। दलितों और आदिवासियों पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ सरकार की निष्क्रियता की कड़ी आलोचना की गई और कहा गया कि प्रशासन की उदासीनता इन घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, महिलाओं और बेटियों के साथ हो रहे दुष्कर्म के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से शीघ्र न्याय और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके और समाज में डर का वातावरण बने।
राजेंद्र पाल गौतम ने अपने संबोधन में कहा, "देश में सामाजिक न्याय की नींव कमजोर की जा रही है। संविधान के मूल मूल्यों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। कांग्रेस का अनुसूचित जाति विभाग इस लड़ाई को जन आंदोलन में बदलेगा।"
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि "दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की लड़ाई सिर्फ कागजों में नहीं, बल्कि ज़मीन पर लड़ी जाएगी। 2028 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अनुसूचित जाति विभाग निर्णायक भूमिका में रहेगा।"
वहीं, प्रदीप अहिरवार ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर बात करते हुए कहा कि "यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के लिए चलाए जा रहे संघर्ष को तेज करने का प्रशिक्षण शिविर है। हम संविधान और कानून के जरिए अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।"
सम्मेलन में प्रदेश भर से अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकर्ताओं की बड़ी भागीदारी देखी गई। युवाओं, अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उत्साही भागीदारी ने यह साबित किया कि संगठन की जमीनी पकड़ मजबूत हो रही है।
कांग्रेस नेताओं ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में गांव-गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर ऐसे जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक संविधानिक अधिकारों और सामाजिक न्याय की बात पहुंचे।
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