सुप्रीम कोर्ट कैंटीन ने नौ दिन के लिए केवल नवरात्रि-विशेष भोजन परोसने का फैसला किया है, जिसमें मांसाहारी भोजन, प्याज, लहसुन, दालें और अनाज शामिल नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट कैंटीन ने नौ दिन के लिए केवल नवरात्रि-विशेष भोजन परोसने का फैसला किया है, जिसमें मांसाहारी भोजन, प्याज, लहसुन, दालें और अनाज शामिल नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट कैंटीन में पहली बार नवरात्रि मेनू लागू: अधिवक्ताओं ने कहा खानपान पर प्रतिबन्ध ठीक नहीं

वकीलों ने SCBA और SCAORA से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और कैंटीन से सामान्य मेनू बहाल करने का अनुरोध करें
Published on

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने नवरात्रि के दौरान कोर्ट कैंटीन के मेनू में बदलाव को लेकर चिंता जताई है। कैंटीन ने नौ दिन के इस पर्व के लिए केवल नवरात्रि-विशेष भोजन परोसने का फैसला किया है, जिसमें मांसाहारी भोजन, प्याज, लहसुन, दालें और अनाज शामिल नहीं हैं।

वकीलों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के अध्यक्षों को पत्र लिखकर इस फैसले को पलटने की मांग की है, जिसे वे अभूतपूर्व और भविष्य के लिए संभावित रूप से समस्याग्रस्त मानते हैं।

पत्र में कहा गया है, "सुप्रीम कोर्ट में वकील लंबे समय से नवरात्रि पर्व मना रहे हैं। वे बिना किसी परेशानी के नौ दिनों के लिए अपने घर से विशेष भोजन लेकर आते थे। पहली बार इस साल सुप्रीम कोर्ट कैंटीन ने घोषणा की है कि वह केवल नवरात्रि का भोजन परोसेगी। यह न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि भविष्य के लिए एक गलत उदाहरण भी स्थापित करेगा।"

वकीलों ने अपने पत्र में यह भी कहा कि वे अपने सहयोगियों द्वारा नवरात्रि का पालन करने का सम्मान करते हैं, लेकिन यह दूसरों पर नहीं थोपा जाना चाहिए, जो अपने दैनिक भोजन के लिए कैंटीन पर निर्भर हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय भारत की विविध और बहुलतावादी परंपराओं के खिलाफ है और यदि इसे अनुमति दी गई, तो भविष्य में और भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

पत्र में चेतावनी दी गई है, "कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए मांसाहारी भोजन या प्याज-लहसुन वाले भोजन को न परोसना हमारी बहुलतावादी परंपराओं के अनुरूप नहीं है और इससे एक-दूसरे के प्रति सम्मान की कमी पैदा होगी। यदि इस तरह के प्रतिबंधों की अनुमति दी गई, तो भविष्य में और भी कई तरह के प्रतिबंधों का रास्ता खुल सकता है।"

वकीलों ने SCBA (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ) और SCAORA ( सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ) से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और कैंटीन से सामान्य मेनू बहाल करने का अनुरोध करें, साथ ही उन लोगों के लिए नवरात्रि मेनू का विकल्प बनाए रखें जो यह त्योहार मना रहे हैं।

इसी तरह राजस्थान के उदयपुर में हिन्दू संगठनों ने गरबा आयोजकों को पत्र जारी कर नवरात्रि में खेले जाने वाले डांडियों में फ़िल्मी गानों को बजाने में पूर्णतया रोक लगाने के लिए कहा है।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com