हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस में जुलाई 2024 में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में अपनों को खोने वाले लोगों ने हादसे की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा 'भोले बाबा' उर्फ सूरजपाल को क्लीनचिट दिए जाने का विरोध किया है। पीड़ितों ने कहा कि 'बाबा' को क्लीनचिट दी गई है, जो गलत है। उन्होंने अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए कहा कि वे मामले में कुछ नहीं कर सकते।
हाथरस सत्संग में मां, पत्नी और बेटी को खोने वाले विनोद कुमार ने कहा, "मैंने इस सत्संग हादसे में अपनी पत्नी, मां और बेटी को खोया था। अब हम इस मामले में क्या कर सकते हैं। जो होना था, वह तो हो चुका है। अब हम इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकते हैं और न ही कुछ कह सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "हम ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं हैं। हमने तो अपनों को खोया है। हमें जो नुकसान होना था, वह हो चुका है। अब हम क्या करें, कौन दोषी है और कौन नहीं, इसका फैसला तो वही लोग करेंगे।"
सत्संग में अपनी बहू को खोने वाली किरण देवी ने कहा कि 'बाबा' को क्लीनचिट दे देना पूरी तरह से गलत है। हमने अपने गांव से बहुत लोगों को खोया है। हमारे गांव से कई महिलाएं उस सत्संग में हिस्सा लेने गई थीं। लेकिन, अब जिस तरह से इस सत्संग में हमने अपनों को खोया है, उसे कभी नहीं भूल पाएंगे।
सत्संग आयोजकों के अधिवक्ता मुकेश चौहान ने कहा कि आयोग की तरफ से जांच की गई। इसमें कई लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। लोगों ने बताया कि 'बाबा' का कोई दोष नहीं था। किसी ने अफवाह उड़ाई थी, जिसके बाद भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। इस मामले में कई लोग जेल में हैं। अभी उन्हें निर्दोष साबित करने का मुकदमा लड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हाथरस भगदड़ हादसे के मामले में न्यायिक आयोग ने 'भोले बाबा' उर्फ सूरजपाल को क्लीनचिट दे दी है। शासन ने इस हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था, जिसका नेतृत्व हाई कोर्ट के रिटायर जज ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने किया। यह आयोग 2 जुलाई 2024 को हुए हादसे की जांच कर रहा था, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई थी।
(With inputs from IANS)
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