बेटे का एडमिशन नहीं करवा पाए, पत्नी को 12 साल से वेतन नहीं मिला — केरल में पिता की आत्महत्या ने हिला दिया सिस्टम!

वित्तीय तंगी से जूझ रहे एक पिता ने बेटे को इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला न दिला पाने के कारण जान दी, पत्नी 12 साल से वेतनविहीन
आत्महत्या
आत्महत्या (सांकेतिक तस्वीर)
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कोच्चि। केरल के पथानामथिट्टा जिले में एक 47 वर्षीय व्यक्ति ने कथित तौर पर लंबे समय से चल रहे वित्तीय संकट के कारण आत्महत्या कर ली। स्थानीय अधिकारियों और रिश्तेदारों ने सोमवार को बताया कि वो अपने हालात की वजह से बेटे को इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए जरूरी राशि नहीं जुटा पाया था और इससे बहुत आहत था।

अधिकारियों के अनुसार, मृतक की पहचान कोच्चि से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में रन्नी निवासी वी.टी. शिजो के रूप में हुई है। शिजो रविवार शाम को जिले के मूंगमपारा वन क्षेत्र में फंदे से लटके पाए गए।

कथित तौर बेटे को तमिलनाडु के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले दिलाने की इच्छा रखता था लेकिन पैसे का इंतजाम नहीं कर पाया था।

शिजो की पत्नी, लेखा रवींद्रन एक स्कूल में शिक्षिका है लेकिन उसे भी 12 साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है जिससे परिवार वित्तीय संकट से जूझ रहा था।

परिवार का कहना है कि केरल उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को वेतन जारी करने का निर्देश दिया था लेकिन कथित नौकरशाही देरी और जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से कार्रवाई न करने के कारण परिवार तक पैसा नहीं पहुंच पाया।

कथित तौर पर, स्कूल प्रबंधन ने लेखा का वेतन जारी करने के लिए जिला शिक्षा कार्यालय से संपर्क किया, लेकिन उनकी पूछताछ का कोई जवाब नहीं मिला।

एक रिश्तेदार ने सोमवार को पत्रकारों को बताया, "वह बेहद तनाव में था क्योंकि परिवार तमिलनाडु के इरोड में अपने बेटे के कॉलेज में दाखिले के लिए जरूरी पैसे नहीं जुटा पा रहा था।"

यह ताजा मामला केरल में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्याओं के एक चिंताजनक पैटर्न को दर्शाता है। हाल के वर्षों में, राज्य में कई ऐसी ही त्रासदियां हुई हैं, जिनमें ऋण वसूली और कृषि ऋण से जुड़ी घटनाएं भी शामिल हैं।

पिछले साल, तिरुवनंतपुरम के वक्कम में एक ही परिवार के चार लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को इस त्रासदी के पीछे आर्थिक तंगी और भारी कर्ज का संदेह था।

इसी तरह, अलप्पुझा के एक किसान ने बढ़ते कर्ज और किसानों को मिलने वाले समर्थन की कमी को जिम्मेदार ठहराते हुए आत्महत्या कर ली। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसी घटनाएं राज्य में कई परिवारों के सामने लगातार आ रही आर्थिक चुनौतियों को उजागर करती हैं।

शिजो की पत्नी, जो एक सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल में शिक्षिका थीं, एक दशक से ज्यादा समय से वेतन से महरूम थीं। इस मामले ने लोक प्रशासन प्रणाली की दक्षता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

शिजो की मौत ने प्रशासनिक विफलताओं की तत्काल और गहन जांच की मांग को जन्म दिया है, जिससे परिवार की आर्थिक तंगी और बढ़ गई।

मृतक त्यागराजन का पुत्र था, जो किसान संगठन, कर्षका संघम के जिला समिति सदस्य थे।

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