राजस्थान: SMS Hospital के नर्सिंग विभाग में 'मीणा' कार्मिकों की संख्या सीमित करने की डिमांड पर अजाक ने जताई नाराजगी, जानें पूरा मामला

वर्तमान राजस्थान में SC/ST वर्ग की आबादी जनसंख्या का प्रतिशत क्रमशः 18% एवं 14% के करीब है जबकि शिकायत पत्र में ST वर्ग की आबादी 5% बताते हुए इस वर्ग के कार्मिको को एसएमएस में 5% तक सीमित करने का आग्रह किया है।
अजाक की ओर से भेजे ज्ञापन में कहा गया कि समता आन्दोलन समिति द्वारा मांग सामाजिक समरसता को कमजोर करती हैं और समाज में विभिन्न वर्गों के मध्य विभाजन को बढ़ावा देती हैं।
अजाक की ओर से भेजे ज्ञापन में कहा गया कि समता आन्दोलन समिति द्वारा मांग सामाजिक समरसता को कमजोर करती हैं और समाज में विभिन्न वर्गों के मध्य विभाजन को बढ़ावा देती हैं। (SMS Hospital OPD)
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जयपुर- अनुसूचित जनजाति मीणा समुदाय के अधिकारों और संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध उठाई गई एक विवादास्पद मांग ने राजस्थान में सामाजिक न्याय और समानता की बहस को फिर से गर्मा दिया है। समता आंदोलन समिति, जयपुर द्वारा राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को प्रेषित एक ज्ञापन में प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (एसएमएस) के नर्सिंग विभाग में मीणा समुदाय (एसटी) के कर्मचारियों की संख्या को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। इस मांग को असंवैधानिक और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत बताते हुए डॉ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन (अजाक) ने इसका पुरजोर विरोध किया है।

अजाक के अध्यक्ष श्रीराम चोर्डिया ने इस मांग को संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का सीधा उल्लंघन बताया, जो सामाजिक समानता और अवसर की समानता की गारंटी देते हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण का प्रावधान सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया है और ऐसी मांगें संवैधानिक मूल्यों के साथ-साथ सामाजिक न्याय को भी कमजोर करती हैं। चोर्डिया ने आगे कहा कि समता आंदोलन समिति की यह मांग पक्षपातपूर्ण है, क्योंकि यह केवल मीणा समुदाय को ही लक्षित करती है, जबकि सवर्ण समुदाय का प्रतिनिधित्व विभिन्न उच्च पदों पर काफी अधिक है।

अजाक की ओर से मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को भेजे ज्ञापन में कहा गया कि समता आन्दोलन समिति द्वारा उपरोक्त मांग सामाजिक समरसता को कमजोर करती हैं और समाज में विभिन्न वर्गों के मध्य विभाजन को बढ़ावा देती हैं। यह मांग न केवल मीणा समुदाय, बल्कि सभी SC/ST वर्गों के अधिकारों पर हमला है। ऐसी मांगें करना सामाजिक एकता और समानता के लिए हानिकारक हैं।

पत्र में बताया गया कि समिति के द्वारा पिछले कई वर्षों से निरंतर SC/ST वर्गों के कार्मिकों के सेवा संबंधी प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध नौकरियों में आरक्षण के प्रावधान एवं पदोन्नति में आरक्षण आदि के संबंध में जातीय द्वेषता, भेदभाव एवं प्रतिशोध की भावना से जानबूझकर आधारहीन एवं अनर्गल शिकायत की जा रही है जिससे उन वर्गों के कार्मिकों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है जो किसी भी सभ्य समाज के लिये अच्छी बात नहीं है।

वर्तमान राजस्थान में SC/ST वर्ग की आबादी जनसंख्या का प्रतिशत क्रमशः 18% एवं 14% के करीब है जबकि शिकायत पत्र में ST वर्ग की आबादी 5% बताते हुए इस वर्ग के कार्मिको को एसएमएस में 5% तक सीमित करने का आग्रह किया है जो सरासर झूठ एवं तथ्यों से परे है।

चोर्डिया ने आगे बताया कि एसएमएस में SC/ST वर्ग के सभी पदस्थापित कार्मिक कड़ी मेहनत एवं लगन व निष्ठापूर्वक से अपनी ड्यूटी कर रहे है। मीणा समाज के पदस्थापित कार्मिकों के संबंध में आम जनता में किसी भी प्रकार की शिकायतों के बारे में कोई जानकारी प्रकाश में नहीं आई है अपितु शिकायतकर्ता द्वारा मीणा समाज को बदनाम करने एवं राज्य सरकार को गुमराह करने की बदनियत से झूठी आधारहीन शिकायत कराकर समाज में द्वेषता फैलाकर सामाजिक सौहार्दपूर्ण वातावरण को दूषित कर अनावश्यक सामाजिक समरसता को खराब करना चाहते है।

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