झारखंड: आदिवासी सेंगेल अभियान के तहत शुक्रवार को यूनेस्को द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के शुभ अवसर पर झारखंड में संताली भाषा को प्रथम राजभाषा की मांग को लेकर जैना मोड़ स्थित तिलका मुर्मू चौक से नयामोड़, स्थित बिरसा मुंडा चौक होकर उपायुक्त कार्यालय तक संकल्प के साथ संताली प्रथम राजभाषा बाईक रैली प्रदर्शन किया गया। जिसका नेतृत्व सेंगेल बोकारो जिला अध्यक्ष सह बोकारो जोनल हेड सुखदेव मुर्मू ने किया।
इससे पहले सभी सेंगेल के नेतागण ने शहीद तिलका मुर्मू चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित किया। वहां से बाईक रैली रवाना करते हुए शहीद बिरसा मुंडा चौक पर भी उनके चित्र में भी माल्यार्पण कर उपायुक्त कार्यालय तक बाईक रैली किया। तत्पाश्चत सेंगेल के सात प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम उपायुक्त जाधव विजया नारायण राव के मार्फत ज्ञापन पत्र सौंपा।
21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। 21 फरवरी 1952 को बंगला भाषा के लिए आंदोलनरत विधार्थियों को ढाका विश्वविद्यालय, तब पूर्वी पाकिस्तान में पुलिस प्रशासन द्वारा गोलियों से भून दिया गया था और अनेक भाषा प्रेमी आंदोलनकारी विधार्थी शहीद हो गये थे। जो उर्दू की जगह बंगला भाषा की मान्यता के लिए संघर्षरत थे। उन्हीं की स्मृति में यूनस्को ने 1999 में यह प्रस्ताव पारित किया कि 21 फरवरी की तारीख को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रुप में मनाया जाए। तत्पाश्चत संयुक्त राष्ट्र ने इसको मान्यता प्रदान किया।
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की परंपरा अब सर्वत्र हो रहा है। आज दुनिया की लगभग 7000 भाषाओं में से 40% भाषाएं विलुप्ति की कगार पर खड़ी हैं जिसमें आदिवासी भाषाएं खतरे में पंहुच चुके हैं। चूंकि इनको भारत देश और राज्यों में कोई विशेष तवज्जो नहीं दी गई है। सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति आदिवासी प्रदेश झारखंड की जहां सर्वाधिक संताली भाषा बोली जाती है, बावजूद संताली भाषा को झारखंड प्रदेश में राजभाषा का दर्जा प्रदान नहीं किया है।
आदिवासी सेंगेल अभियान ने मांग है कि, सर्वाधिक बड़ी और राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त आदिवासी भाषा- संताली को अनुच्छेद-345 के तहत झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए तथा बाकि झारखंडी आदिवासी भाषाओं (हो, मुंडा, खड़िया और कुड़ुख) को समृद्ध, संवर्द्धन और संरक्षण किया जाए। दूसरी तरफ आदिवासी समाज को भी खुद अपनी भाषाओं को बचाने, बढ़ाने और समृद्ध करने के सभी उपायों को सार्थक बनाना होगा। चूंकि, आदिवासी के लिए उनकी हासा (जमीन) और भाषा ही लाइफ लाईन (जीवन रेखा) है।
आदिवासी समाज को विदेशी भाषा, संस्कृति और धर्मों से सावधान होने की जरुरत है। संताली भाषा को 22 दिसंबर 2003 को आठवीं अनूसूचि में शामिल करने के महान उपलब्धि में संताली भाषा मोर्चा का योगदान ऐतिहासिक रहा है। जिसका नेतृत्व सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने किया था,आज भी निरंतर उन्हीं के नेतृत्व में सरना धर्म कोड और संताली राजभाषा की आंदोलन जारी है।
आशा है केवल वोट बैंक के नजरीए से चीजों को न देखा जाए बल्कि उनके महत्व को प्राथमिकता प्रदान किया जाए और अविलंब संताली भाषा को प्रथम राजभाषा बनाने की सार्थक कार्रवाई की जाए। तभी वीर शहीद सिदो मुर्मू और बिरसा मुंडा के सपनों को "आबुआ दिशोम आबुआ राज" की परिकल्पना स्थापित हो सकता है।
ज्ञापन पत्र सौंपने वाले सात प्रतिनिधि मंडल का नाम केन्द्रीय संयोजक हराधन मार्डी, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा, जयराम सोरेन, सुगदा किस्कू, सेंगेल महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष ललिता सोरेन आदि।
बाईक रैली में बोकारो जिला संयोजक गोपीनाथ मुर्मू, पेटरवार सेंगेल विडियो विजय मरांडी, कालीचरण किस्कू, संजय टुडू, राजेश मुर्मू, भुटेल टुडू, करमच़द मुर्मू, उपेन्द्र हेम्बरम, विजय मार्डी, बुटान बेसरा, कृष्णा किस्कू, नमिता टुडू, सोनी मुर्मू, जगदीश हांसदा, जागेश्वर मुर्मू, विशेश्वर मुर्मू, हरीशचंद्र मुर्मू, लालचंद टुडू, मोहन सोरेन, हरीनारायण मुर्मू, सूरजमनी सोरेन, पद्मा सोरेन, संजय बास्के, पानमती बास्के आदि महिला पुरूष शामिल थे।
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