अंबेडकरनगर, उत्तर प्रदेश — बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति बारिश में नृत्य करता नजर आया। पहली नज़र में यह दृश्य किसी मनोरंजन का हिस्सा लग सकता था, लेकिन जैसे ही इस व्यक्ति की पहचान हुई, वीडियो के पीछे छिपी एक सच्चाई सामने आई।
वायरल वीडियो में दिखने वाले व्यक्ति कोई साधारण इंसान नहीं, बल्कि 1992-93 बैच के संभावित एमबीबीएस डॉक्टर राशिद बताए जा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के निवासी हैं। एक समय था जब डॉ. राशिद हजारों मरीज़ों के लिए उम्मीद की किरण हुआ करते थे। उनकी डॉक्टरी केवल पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम थी — कम पैसों में इलाज, गरीबों को मुफ्त चिकित्सा, और आधी रात को मरीज़ों के घर पहुंचना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था।
समय का पहिया घूमा और एक गहरे मानसिक आघात ने डॉक्टर राशिद की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया। पिछले कुछ वर्षों से वे गंभीर मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। न उनके हाथ में अब स्टेथोस्कोप है, न आंखों में वही आत्मविश्वास। वह अक्सर खुद से बातें करते हैं, और उनकी हालत देखकर यह यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता है कि ये वही डॉक्टर राशिद हैं जिनका नाम कभी सम्मान से लिया जाता था।
सबसे दर्दनाक बात यह है कि वे आज लगभग अकेले हैं। कोई स्थायी इलाज नहीं, कोई सरकारी मदद नहीं, और न ही पारिवारिक सहारा — एक चिकित्सक जो कभी जीवन देने का माध्यम था, आज समाज और अपनों की उपेक्षा का शिकार है।
वायरल वीडियो को देखने के बाद अंबेडकरनगर के समाजसेवी बरकत अली की संवेदना जागी। उन्होंने न केवल डॉक्टर राशिद की सुध ली, बल्कि उनके इलाज की पूरी जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर उठा ली। बरकत अली ने डॉक्टर राशिद को महामाया राजकीय मेडिकल कॉलेज, अंबेडकरनगर में भर्ती करवाया है, जहां अब उनका इलाज चल रहा है।
बरकत अली खुद उनकी दवाइयों से लेकर देखभाल तक हर ज़रूरत का ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने साबित किया कि इंसानियत अब भी ज़िंदा है, और एक इंसान भी बदलाव की मिसाल बन सकता है — न कोई प्रचार, न कोई राजनीतिक उद्देश्य, सिर्फ मदद का जज़्बा।
बरकत अली ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सरकार की ओर से हरसंभव मदद की जाएगी। इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी। साथ ही, डॉक्टरों की एक टीम डॉक्टर राशिद के इलाज में विशेष ध्यान दे रही है, क्योंकि मरीज स्वयं एक डॉक्टर रह चुके हैं।
डॉ. राशिद की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। दुर्भाग्यवश, हमारे समाज में मानसिक बीमारी को अभी भी एक टैबू माना जाता है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम समाज के रूप में अधिक जागरूक और संवेदनशील बनें।
बरकत अली जैसे लोग हमें दिखाते हैं कि एक व्यक्ति भी इंसानियत की लौ को जलाए रख सकता है। उन्होंने न केवल एक बीमार व्यक्ति की मदद की, बल्कि पूरे समाज को आईना दिखाया है।
नोट: डॉ. राशिद के MBBS होने की पुष्टि The Mooknayak नहीं करता है।
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