मंडल अधूरा क्यों? आजमगढ़ में सामाजिक न्याय पर विचार गोष्ठी, जातिगत जनगणना और आरक्षण पर उठे तीखे सवाल

आजमगढ़ में मंडल दिवस पर सामाजिक न्याय आंदोलन की गोष्ठी में आरक्षण, जातिगत जनगणना और मतदाता पहचान जैसे मुद्दों पर उठे तीखे सवाल, वक्ताओं ने बहुजन समाज को एकजुट होने का दिया संदेश।
मंडल दिवस 2025: आजमगढ़ में आरक्षण और जातिगत जनगणना पर सामाजिक न्याय आंदोलन की गोष्ठी
मंडल दिवस 2025: आजमगढ़ में आरक्षण और जातिगत जनगणना पर सामाजिक न्याय आंदोलन की गोष्ठी
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गोसाईं की बाजार (आजमगढ़): राष्ट्रीय ओबीसी दिवस और मंडल दिवस के अवसर पर सामाजिक न्याय आंदोलन द्वारा गोसाईं की बाजार, आजमगढ़ में एक महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम का विषय था – "मण्डल अधूरा क्यों? जातिगत जनगणना, मतदाता और नागरिकता तथा आरक्षण का सवाल।" इस अवसर पर वक्ताओं ने सामाजिक न्याय, आरक्षण व्यवस्था, जातिगत जनगणना और मतदाता पहचान से जुड़े गंभीर मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।

वक्ताओं ने उठाए आरक्षण की अधूरी प्रक्रिया पर सवाल

गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि 7 अगस्त 1990 को मंडल आयोग की सिफारिशों के तहत पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू हुआ था, लेकिन आज 35 वर्षों के बाद भी पिछड़ी जातियों को इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पाया है। क्रीमी लेयर की बाध्यता और 50 प्रतिशत आरक्षण की संवैधानिक सीमा को हटाए बिना सच्चा सामाजिक न्याय संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार जातिगत जनगणना की बात तो करती है, लेकिन बिहार जैसे राज्यों में जिस तरह मतदाता सूचियों से नाम काटे जा रहे हैं, उसका सीधा नुकसान दलितों और पिछड़ों को होगा। यह एक सुनियोजित प्रयास है जिससे बहुजन समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी को सीमित किया जा रहा है।

वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि बहुजन समाज को बांटने की कोशिशें हो रही हैं
वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि बहुजन समाज को बांटने की कोशिशें हो रही हैं

"आरक्षण पर सवाल करने वालों को देना होगा जवाब"

गोष्ठी में यह भी कहा गया कि जो लोग आरक्षण पर सवाल उठाते हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि जन्म और जाति के आधार पर सदियों से वंचित 85 प्रतिशत आबादी को न्याय कैसे मिलेगा? महिला आरक्षण में कोटे में कोटा और निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था को लागू किए बिना समावेशी विकास संभव नहीं है।

वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि बहुजन समाज को बांटने की कोशिशें हो रही हैं—कभी पिछड़ों में कोटे में कोटा, तो कभी दलितों के बीच उपवर्गीकरण के जरिए। यह समाज को कमजोर करने की साजिश है जिसे समझना और उसका प्रतिरोध करना जरूरी है।

गोष्ठी को संबोधित करते किसान नेता राजीव यादव
गोष्ठी को संबोधित करते किसान नेता राजीव यादव

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने रखे विचार

गोष्ठी को किसान नेता राजीव यादव, सत्यम प्रजापति, किसान एकता समिति के महेंद्र यादव, रामदुलार राम, कामरेड बसंत, वरुण कुमार, हरेंद्र और कवि श्याम नारायण ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेंद्र यादव ने किया, जबकि अध्यक्षता रामसूरत यादव ने की।

गोष्ठी में अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता

कार्यक्रम में शामिल प्रमुख प्रतिभागियों में डॉ. आर. पी. प्रजापति, राम शब्द राम, श्याम सुंदर मौर्य, विनोद यादव, नंदलाल यादव, इलियास, इरशाद, जयराम, हरिराम बीडीसी, रमेश कुमार, अवधेश यादव, जयहिंद राम, और दुर्गा यादव आदि उपस्थित रहे।

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