चुनाव आयोग पर टूटता भरोसा! बिहार के दलित मतदाता क्या सोच रहे हैं?

NACDAOR के सर्वे में बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए 58% से अधिक दलित मतदाताओं ने अपनी चिंता जताई, वहीं 27% से ज्यादा ने चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं जताया।
बिहार के 27% दलित मतदाताओं को चुनाव आयोग पर नहीं है भरोसा, NACDAOR सर्वे में खुलासा
बिहार के 27% दलित मतदाताओं को चुनाव आयोग पर नहीं है भरोसा, NACDAOR सर्वे में खुलासा
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पटना: बिहार में 27.4% से अधिक दलित मतदाताओं का कहना है कि उन्हें भारत निर्वाचन आयोग (ECI) पर "कोई भरोसा नहीं" है। यह बात एक नए सर्वेक्षण में सामने आई है, जिसे आगामी विधानसभा चुनावों से पहले नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशन्स (NACDAOR) ने जारी किया है। सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि राज्य में 58% से अधिक अनुसूचित जाति (SC) मतदाता बेरोजगारी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं।

द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्वे 10 जून से 4 जुलाई के बीच किया गया और इसमें बिहार के विभिन्न हिस्सों से कुल 18,581 अनुसूचित जाति के मतदाताओं की राय ली गई। NACDAOR के चेयरमैन अशोक भारती ने बताया कि 2022 में हुए बिहार जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार राज्य की 19.65% आबादी अनुसूचित जातियों से संबंधित है।

मतदाता सूची से नाम कटने का डर

सर्वे के दौरान ही चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया था। इसके चलते सर्वे के बीच में एक नया सवाल जोड़ा गया — "क्या आपको डर है कि नई मतदाता सूची में आपका नाम हट सकता है?" इस प्रश्न का उत्तर देने वाले लगभग 8,500 लोगों में से 71% से अधिक ने "हां" कहा, जबकि 23.4% ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई डर नहीं है। वहीं 5% से थोड़ा अधिक लोगों ने अपनी कोई राय नहीं दी।

चुनाव आयोग पर भरोसे की कमी

जब प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष तरीके से काम करता है, तो 27.4% ने "नहीं" कहा, जबकि 51% ने "हां" कहा। वहीं 21% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें इसके बारे में पता नहीं है।

इस सर्वेक्षण में कुल 11 सवाल पूछे गए, जिनमें शामिल थे — राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पसंदीदा नेता कौन है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार का काम कैसा है, और जातिगत जनगणना का श्रेय किसे दिया जाना चाहिए आदि।

राष्ट्रीय स्तर पर सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी

सर्वेक्षण में पाया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 47.5% दलित मतदाताओं के लिए सबसे पसंदीदा राष्ट्रीय नेता हैं। 40.3% लोगों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पसंद किया, जबकि 12% ने अन्य नेताओं के नाम बताए।

राज्य सरकार के प्रदर्शन को लेकर राय बंटी हुई दिखी। जहां 48% उत्तरदाताओं ने नीतीश कुमार सरकार के काम को “खराब” बताया, वहीं 45% ने इसे “अच्छा” माना।

जातिगत जनगणना का श्रेय किसे?

"आप जातिगत जनगणना का श्रेय किसे देना चाहेंगे?" इस सवाल पर 33.15% मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी, 30.81% ने राहुल गांधी, और 27.57% ने तेजस्वी यादव का नाम लिया। वहीं करीब 8% ने अन्य नेताओं का नाम लिया।

“दलितों द्वारा, दलितों के लिए सर्वे”

सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर बात करते हुए अशोक भारती ने कहा, “बहुत सारे लोग अनुसूचित जातियों पर सर्वे करते हैं, लेकिन ज़मीन पर आकर हमसे बात कोई नहीं करता। यह सर्वे दलितों का, दलितों के द्वारा किया गया है।”

उन्होंने बताया कि NACDAOR ने बिहार के छह क्षेत्रों — कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल, भोजपुर, चंपारण और मगध-पाटलिपुत्र — के 49 विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के मतदाताओं से बातचीत करने के लिए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया था।

आपको बता दें कि, यह सर्वे राजनीतिक परामर्श संस्था The Convergent Media के सहयोग से किया गया। इससे पहले NACDAOR ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले एक सर्वेक्षण किया था।

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