भंते ज्ञानेश्वर महास्थवीर का निधन: बाबा साहेब के धम्म गुरु के थे उत्तराधिकारी; मायावती-चंद्रशेखर ने कहा- 'अपूरणीय क्षति'

90 वर्ष की आयु में लखनऊ में ली अंतिम सांस, वे बाबा साहेब के धम्म गुरु भदन्त चन्द्रमणि के उत्तराधिकारी थे। बसपा सुप्रीमो और आसपा प्रमुख ने X पर जताया शोक।
Gyaneshwar Mahasthavir ji, President, Kushinagar Bhikkhu Sangha.
भंते ज्ञानेश्वर का निधन: मायावती और चंद्रशेखर ने जताया शोक, जानें कौन थे वेफोटो साभार- (X)
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नई दिल्ली/लखनऊ: बौद्ध जगत और मानव समाज के लिए शुक्रवार, 31 अक्टूबर को एक अत्यंत दुखद खबर सामने आई। कुशीनगर भिक्खु संघ के अध्यक्ष पूज्य भदन्त ज्ञानेश्वर महास्थवीर जी का देहावसान हो गया है। वे लगभग 90 वर्ष के थे। भदन्त ज्ञानेश्वर जी, परमपूज्य बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के धम्मदीक्षा गुरु पूज्य भदन्त चन्द्रमणि महास्थवीर के उत्तराधिकारी थे।

उनके निधन पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद समेत कई प्रमुख हस्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

मायावती: 'बौद्ध जगत व मानव समाज के लिए अपूरणीय क्षति'

बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सुबह 9:17 बजे एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने भदन्त जी के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए लिखा, "परमपूज्य बोधिसत्व बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के धम्मदीक्षा गुरु पूज्य भदन्त चन्द्रमणि महास्थवीर के सुयोग्य उत्तराधिकारी पूज्य भदन्त ज्ञानेश्र महास्थवीर जी... का देहावसान हो गया है।"

मायावती ने इसे न केवल बौद्ध जगत के लिए बल्कि संपूर्ण मानव समाज के लिए "अपूरणीय क्षति" बताया। उन्होंने भदन्त जी के सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान को "अनुकरणीय" बताते हुए अपनी व पार्टी की तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

चंद्रशेखर आज़ाद: 'कल ही हुई थी बात, मन व्यथित है'

भीम आर्मी के संस्थापक और आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने भी 10:25 बजे एक्स पर पोस्ट कर अपना दुख साझा किया। उन्होंने एक व्यक्तिगत जानकारी देते हुए बताया कि उनका निधन कितना अप्रत्याशित था।

आज़ाद ने लिखा, "कल ही मेरी मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ में बात हुई थी — साथी कह रहे थे कि ‘पहले से अब कुछ आराम है।’ यह सोचकर मन व्यथित है कि आज वे हमारे बीच नहीं रहे।"

उन्होंने भंते ज्ञानेश्वर जी को "करुणा, शील और समानता का जीवंत प्रतीक" बताया, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन बुद्ध, धम्म और संघ की सेवा में समर्पित कर दिया। आज़ाद ने लिखा, "उनके चले जाने से बौद्ध समाज ही नहीं, बल्कि समूचा मानव समाज एक प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व से वंचित हो गया है... यह क्षति हम सबकी सामूहिक क्षति है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है।"

भदन्त ज्ञानेश्वर महास्थवीर के निधन से देश-विदेश में फैले उनके लाखों अनुयायियों और श्रद्धालुओं में शोक की लहर है। दोनों प्रमुख नेताओं ने उनके अनुयायियों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है।

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