बाराबंकी: पुलिस पर रिश्वत और उत्पीड़न का आरोप लगाकर भीम आर्मी पदाधिकारी ने की आत्महत्या, चंद्रशेखर आज़ाद ने उठाई न्याय की मांग

सुसाइड नोट में इंस्पेक्टर और दरोगा पर लगाए गंभीर आरोप, चंद्रशेखर आज़ाद ने की ₹50 लाख मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग।
Bhim Army official commits suicide, accusing police of bribery and harassment
रिश्वत न देने पर पुलिस ने दी धमकी तो भीम आर्मी नेता ने लगा ली फांसीफोटो साभार- @BhimArmyChief
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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश। जिले के जैदपुर थाना क्षेत्र के मऊथरी गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां कथित तौर पर पुलिस उत्पीड़न से तंग आकर भीम आर्मी के एक स्थानीय पदाधिकारी ने आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान अशोक कुमार के रूप में हुई है, जो भीम आर्मी में तहसील न्याय पंचायत अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। उनका शव बुधवार सुबह गांव के बाहर एक पेड़ से लटका मिला।

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने इस मुद्दे को उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से तत्काल न्याय की गुहार लगाई।

क्या है पूरा मामला?

चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा करने वाले अशोक कुमार को पुलिस द्वारा कथित रूप से एक झूठे मामले में परेशान किया जा रहा था। आरोप है कि मामला रफा-दफा करने के एवज में उनसे ₹75,000 की रिश्वत मांगी गई थी। पैसे न देने पर उन्हें नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट जैसे गंभीर कानून के तहत फंसाने की धमकी दी जा रही थी।

बताया जा रहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर अशोक कुमार यह रकम चुकाने में असमर्थ थे। उन्होंने अपनी जमीन बेचने की भी कोशिश की, लेकिन कोई तत्काल खरीदार नहीं मिला। लगातार हो रहे उत्पीड़न, अपमान और झूठे मुकदमे के डर से वह गहरे मानसिक तनाव में थे।

सुसाइड नोट में पुलिसकर्मियों पर सीधा आरोप

आरोप है कि इसी मानसिक प्रताड़ना के चलते अशोक कुमार ने 1 अक्टूबर की रात फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। मरने से पहले, उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा और कई लोगों को व्हाट्सएप पर संदेश भी भेजे, जिसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए जैदपुर थाने के संतोष इंस्पेक्टर और निर्मल दरोगा समेत अन्य को जिम्मेदार ठहराया है।

FIR दर्ज करने में आनाकानी का आरोप

परिवार वालों का आरोप है कि जब वे इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुंचे, तो पुलिस ने आनाकानी शुरू कर दी। उन पर कथित तौर पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि अगर वे शिकायत से आरोपी पुलिसकर्मियों के नाम हटा दें, तभी उनकी प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जाएगी।

चंद्रशेखर आज़ाद ने सरकार से की ये 4 मांगें

सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग करते हुए इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त किया और सरकार के सामने चार प्रमुख मांगें रखी हैं:

  1. मामले में शामिल सभी आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त धाराओं में तत्काल FIR दर्ज की जाए।

  2. दोषी पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए।

  3. पीड़ित परिवार को कम से कम ₹50 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।

  4. मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया जाए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए।

इस घटना के बाद दलित-बहुजन समाज और स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित परिवार को कब तक न्याय मिल पाता है।

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