नागपुर- ऐतिहासिक 'धम्मचक्र प्रवर्तन दिन' के आयोजन में अब दो ही सप्ताह शेष हैं, और इसी बीच पवित्र दीक्षा भूमि स्मारक पर आधारभूत सुविधाओं के संकट को लेकर अंबेडकर परिवार ने नागपुर जिला प्रशासन के नाम एक जरूरी अपील जारी की है। हालिया भारी बारिश के कारण उत्पन्न हालात से लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा खतरे में पड़ गई है।
जिला कलेक्टर को संबोधित एक पत्र में वंचित बहुजन आघाडी और बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रकाश यशवंत अंबेडकर और कार्यकारी अध्यक्ष भीमराव यशवंत अंबेडकर ने "गंभीर बुनियादी ढाँचागत और लॉजिस्टिक चुनौतियों" पर चिंता जताई है, जो आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं।
पत्र की शुरुआत में दीक्षा भूमि के गहन ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाई गई है। 14 अक्टूबर, 1956 को यहीं पर डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने अपने 3,80,000 से अधिक अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। यह ऐतिहासिक घटना भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान और जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त मोड़ का प्रतीक है।
हर साल इस दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दीक्षा भूमि पर एकत्रित होकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और समता, करुणा एवं अहिंसा के सिद्धांतों पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। इस वर्ष भी भारी संख्या में लोगों के जुटने की उम्मीद है।
पत्र में हालात सुधारने के लिए नौ सूत्रीय जरूरी मांगों की सूची प्रस्तुत की गई है:
1. मुख्य कार्यक्रम स्थल, जहाँ हजारों लोग एकत्रित होते हैं और रात्रि विश्राम करते हैं, अभी जलभराव और कीचड़ से पटा हुआ है। प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि कम से कम 300 ट्रकों में बजरी या चुरा पत्थर बिछाकर इलाके को सुरक्षित और पहुँच योग्य बनाया जाए।
2. अम्बेडकर ने लिखा है कि परिसर के पिछले हिस्से में जहाँ हजारों लोग ठहरते हैं, वहां अभी तक अधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं किया गया है। उन्होंने तत्काल स्थल निरीक्षण की मांग की है।
3. अचानक होने वाली बारिश और रात्रि विश्राम के दौरान मेहमानों की सुरक्षा के लिए बड़े, वाटरप्रूफ शामियानों और अस्थायी आश्रयों की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है।
4. सभी प्रमुख स्थानों पर साफ और पहुँच योग्य चल-शौचालयों की पर्याप्त संख्या में तैनाती एक अहम मांग है।
5. नागपुर नगर निगम द्वारा आपातकालीन आवास के लिए निर्दिष्ट स्कूलों के बाहर स्पष्ट सूचना बोर्ड लगाए जाएँ, जिन पर जिम्मेदार गार्ड/कर्मचारी का नाम और त्वरित सहायता के लिए दो-तीन संपर्क व्यक्तियों के नंबर अंकित हों।
6. प्रशासन से अनुरोध है कि सभी प्रमुख स्थलों पर समर्पित अधिकारी और गार्ड तैनात किए जाएँ, जिनके नाम और संपर्क नंबर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों। भीड़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त पुलिस बल की मांग भी की गई है।
7. पुस्तक स्टॉलों के लिए निर्धारित जगह भी जलभराव की शिकार है। इस जगह को भी बजरी से समतल करने का अनुरोध किया गया है ताकि स्टॉल लग सकें।
8. नागपुर रेलवे स्टेशन, अजनी स्टेशन, मोर भवन बस स्टॉप जैसे प्रमुख स्थानों पर मराठी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में दिशा-निर्देशक बोर्ड लगाए जाएँ, जो दीक्षा भूमि का रास्ता बताएँ और चिकित्सा, भोजन, आवास, शौचालय आदि आवश्यक सेवाओं की जानकारी दें।
9. रेलवे स्टेशनों, बस स्टॉप और हवाई अड्डे से दीक्षा भूमि तक visitors के लिए विशेष निःशुल्क या रियायती शटल बसों की व्यवस्था की जाए।
पत्र के अंत में इस बात पर जोर दिया गया है कि ये कदम सिर्फ सुविधा के लिए नहीं, बल्कि इस "राष्ट्रीय और आध्यात्मिक आयोजन की गरिमा और महत्व" को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। प्रकाश और भीमराव अंबेडकर ने प्रशासन पर भरोसा जताते हुए "तत्काल ध्यान" और "बिना देरी किए आवश्यक कार्रवाई" शुरू करने का आग्रह किया है।
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