भोपाल। मध्य प्रदेश में मासूम बच्चियों के खिलाफ हो रहे अपराधों की भयावहता एक बार फिर सामने आई है। धार जिले के सरदारपुरा क्षेत्र में एक साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की वीभत्स घटना ने समाज को झकझोर दिया है। घटना 9 अप्रैल की रात की है, जब एक शादी समारोह में शामिल होने आई उज्जैन जिले की महिला की बच्ची को एक अज्ञात दरिंदे ने अपना शिकार बना लिया।
बताया जा रहा है कि बच्ची को उसके माता-पिता चटाई पर सुलाकर पास ही बर्तन और कपड़े धोने के लिए पानी लेने गए थे। जब वे लौटे तो बच्ची जोर-जोर से रो रही थी। उसके कपड़े फटे हुए थे और प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। परिजन तुरंत बच्ची को लेकर राजगढ़ के एक निजी अस्पताल पहुंचे, जहां से उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे इंदौर रेफर कर दिया गया।
घटना की सूचना मिलते ही सरदारपुर थाना पुलिस सक्रिय हुई। गुरुवार को अज्ञात आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट एवं गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। एसडीओपी विश्वदीप सिंह परिहार ने बताया कि अस्पताल से सूचना मिलने के बाद महिला पुलिस अधिकारी ने पीड़िता के परिजनों के बयान दर्ज किए हैं और इलाके में रहने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है। फिलहाल आरोपी फरार है और उसकी तलाश के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं।
धारा 6, पॉक्सो अधिनियम: यदि पीड़िता की आयु 12 वर्ष से कम है और उसके साथ दुष्कर्म होता है, तो दोषी को आजन्म कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त, पीड़िता को मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है।
मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने 'द मूकनायक' से बातचीत में इस घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए कहा कि आयोग ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस से जांच प्रतिवेदन मांगा गया है और बच्ची की स्थिति पर भी नजर रखी जा रही है।
यह घटना कोई इकलौती नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।
2022 में बच्चों के खिलाफ अपराध:
1,62,449 मामले दर्ज हुए, जो 2021 के मुकाबले 8.7% अधिक हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराध:
4,45,256 मामले, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4% अधिक हैं।
भोपाल में 2022 में दर्ज मामले:
अकेले राजधानी भोपाल में 758 मामलों में बच्चियों को निशाना बनाया गया।
सरकार भले ही महिला और बाल सुरक्षा के लिए योजनाएं चला रही हो, लेकिन इस तरह की घटनाएं यह सवाल खड़ा कर रही हैं कि क्या ज़मीनी स्तर पर ये योजनाएं प्रभावी हैं? एक साल की बच्ची तक सुरक्षित नहीं है, यह संकेत देता है कि अपराधियों में कानून का डर खत्म होता जा रहा है।
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