भोपाल। मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में शिवपुरी जिले में 5 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना ने एक बार फिर महिला और बाल सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी है।
शिवपुरी जिले के दिनारा थाना क्षेत्र में शनिवार दोपहर करीब 1 बजे यह दर्दनाक घटना हुई। 5 साल की बच्ची अपने घर के पास खेल रही थी, तभी पड़ोस में रहने वाला 16 वर्षीय नाबालिग आरोपी उसे बहला-फुसलाकर एक सुनसान मकान में ले गया और दुष्कर्म किया। जब बच्ची काफी देर तक घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। काफी खोजबीन के बाद वे उसे घर के पास एक खाली पड़े मकान में लहूलुहान हालत में बेहोश पाया।
परिजन तत्काल उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई। बच्ची का इलाज जारी है और पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है।
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी एक शादी समारोह में गया था, जहां उसने शराब पी थी। नशे की हालत में लौटने के बाद उसने बच्ची को बहाने से सुनसान मकान में ले जाकर इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। जब बच्ची की घर में तलाश शुरू हुई, तब इस घटना का खुलासा हुआ।
सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। आरोपी से पूछताछ जारी है और पुलिस यह जांच कर रही है कि कहीं उसके खिलाफ पहले भी कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है।
शिवपुरी की यह घटना प्रदेश में बढ़ते अपराधों का ताजा उदाहरण है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश पहले से ही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में देश में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।
- 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के 4,28,278 मामलों से 4% अधिक हैं।
- बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,62,449 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के 1,49,404 मामलों से 8.7% अधिक हैं।
- मध्यप्रदेश में ही 2022 में 758 अपराध सिर्फ भोपाल में दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकतर मामलों में बच्चियों को शिकार बनाया गया।
इस तरह की घटनाएं यह भी उजागर करती हैं कि अपराधी अक्सर पीड़ित के करीबी होते हैं। कई मामलों में, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, या जान-पहचान के लोगों द्वारा ही बच्चों को शिकार बनाया जाता है। कोचिंग संस्थान, स्कूल, और अन्य सार्वजनिक स्थान जो पहले सुरक्षित माने जाते थे, अब असुरक्षित साबित हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अपराधों की संख्या बढ़ने के पीछे कई कारण हैं:-
नशे की बढ़ती लत: कई मामलों में देखा गया है कि अपराधी शराब या नशे की हालत में वारदात को अंजाम देते हैं।
सख्त कानूनों के बावजूद अपराधियों का बेखौफ होना: भारत में POCSO एक्ट और दुष्कर्म मामलों के लिए सख्त कानून मौजूद हैं, लेकिन न्याय प्रक्रिया की धीमी गति के कारण अपराधियों में कोई डर नहीं है।
परिवारों और बच्चों में जागरूकता की कमी: कई बार बच्चे अपने साथ हो रही गलत घटनाओं को पहचान नहीं पाते, जिससे अपराधी आसानी से शिकार बना लेते हैं।
भारत में नाबालिगों के साथ यौन अपराधों को रोकने के लिए POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट 2012 लागू किया गया है। इस कानून के तहत, दोषियों को कठोर सजा और कुछ मामलों में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। फिर भी, इन अपराधों पर लगाम नहीं लग पाई है।
हालांकि, इस कानून के बावजूद अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हो पा रही है। अदालतों में मुकदमों के लंबित रहने और पुलिस जांच की धीमी प्रक्रिया के कारण कई मामलों में पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने में वर्षों लग जाते हैं।
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