बचपन में यौन हिंसा का शिकार होते हैं लाखों बच्चे, 'द लैंसेट' की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

‘द लैंसेट’ की नई रिपोर्ट में हुआ खुलासा—बचपन में यौन हिंसा के शिकार होते हैं करोड़ों बच्चे, 204 देशों के डेटा का विश्लेषण
‘द लैंसेट’ की नई रिपोर्ट में खुलासा
‘द लैंसेट’ की नई रिपोर्ट में खुलासा
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नई दिल्ली। दुनिया भर में 20 साल और उससे ज़्यादा उम्र के लगभग हर पांच में से एक महिला और हर सात में से एक पुरुष ने 15 साल की उम्र तक या उससे पहले यौन हिंसा का सामना किया है। यह जानकारी 'द लैंसेट' नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में दी गई है।

यह शोध अमेरिका के वॉशिंगटन विश्वविद्यालय की ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई)’ द्वारा किया गया है। इसमें पाया गया कि 67 प्रतिशत महिलाओं और 72 प्रतिशत पुरुषों के साथ पहली बार यौन शोषण बचपन में हुआ, जब वे 18 साल से छोटे थे।

करीब 42 प्रतिशत महिलाएं और 48 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि उनके साथ पहली बार यौन हिंसा 16 साल की उम्र से पहले हुई। और भी चिंताजनक बात यह है कि 8 प्रतिशत महिलाएं और 14 प्रतिशत पुरुषों को 12 साल से पहले ही यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा।

इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका और आईएचएमई की प्रोफेसर डॉ. एम्मानुएला गाकिडू ने कहा,"बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा एक गंभीर मानवाधिकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। दुनिया इसे रोकने में नाकाम हो रही है। इतनी छोटी उम्र में इतने बच्चों का शोषण होना बहुत ही चिंताजनक है। सभी देशों को मिलकर जल्द से जल्द कड़े कानून, सही नीतियां और प्रभावी कार्य प्रणालियां बनानी होंगी।"

यह अध्ययन ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ नामक शोध पर आधारित है, जिसमें 1990 से 2023 तक 204 देशों और इलाकों के आंकड़े जुटाए गए हैं।

आईएचएमई की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लुइसा फ्लोर ने बताया,"बचपन में यौन हिंसा का शिकार हुए लोगों में डिप्रेशन, चिंता, नशे की लत, यौन संक्रमण और यहां तक कि अस्थमा जैसी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। यह हिंसा उनके सामाजिक व्यवहार, पढ़ाई और भविष्य की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करती है। इसलिए इसे रोकने और पीड़ितों की मदद के लिए मजबूत कदम उठाना जरूरी है।"

अध्ययन में यह भी सामने आया कि कई देशों में यौन हिंसा से जुड़ा सही डाटा नहीं मिलता और आंकड़े जुटाने के तरीके भी अलग-अलग हैं। खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में इस दिशा में काम करने की जरूरत है।

अगर हम बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा पर निगरानी के लिए एक समान और बेहतर प्रणाली बनाएं, तो यह समझने में मदद मिलेगी कि लोग ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट क्यों नहीं करते और किस तरह की सहायता उन्हें मिलनी चाहिए। इससे बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहतर नीतियां बन सकेंगी।

(With inputs from IANS)

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