भाजपा के आईटी सेल पदाधिकारियों ने साथ मिलकर किया था बीएचयू की छात्रा से गैंगरेप, खुले ये राज..

60 दिनों तक पुलिस खोजती रही. वाराणसी के भाजपा महानगर अध्यक्ष ने कहा बहुत ही गंदा कृत्य किया, पार्टी से होगा निष्कासित.
गैंगरेप के आरोपी भाजपा IT सेल के पदाधिकारी
गैंगरेप के आरोपी भाजपा IT सेल के पदाधिकारीग्राफिक- द मूकनायक

उत्तर प्रदेश। वाराणसी जिले में स्थित बीएचयू के आईआईटी कैम्पस में बीते 1 नवम्बर को एक छात्रा का अपरहण कर चाकू की नोंक पर कपड़े उतरवाकर गैंगरेप करने वाला और कोई नहीं बल्कि सत्ताधारी पार्टी भाजपा का आईटी संयोजक कुणाल पांडेय निकला। कुणाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था। आरोपी घटना के 60 दिन बाद तक पुलिस को छकाता रहा।

सूत्रों का कहना है कि पार्टी से जुड़े होने के कारण पुलिस भी उस पर हाथ डालने से डर रही थी। इस कारण पर्याप्त साक्ष्यों के एकत्रित होने का इन्तजार कर रही थी। पर्याप्त साक्ष्य इकट्ठा होने के बाद पुलिस ने 30 दिसंबर की देर रात कुणाल पांडेय को उसके साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस आगे की कार्रवाई करने में जुटी है। वहीं इस मामले में वाराणसी भाजपा के महानगर अध्यक्ष ने कुणाल पांडेय के इस आचरण को देखते हुए द मूकनायक से बताया कि आरोपी युवक को पार्टी से निकालने की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस इस मामले में अपना काम कर रही है। पार्टी अपना काम करेगी।

जानिए क्या थी पूरी घटना?

वाराणसी के बीएचयू आईआईटी कैम्पस के 1 नवंबर की आधी रात करीब 1:30 बजे आईआईटी बीएचयू में दोस्त के साथ जा रही छात्रा से गैंगरेप का मामला सामने आया था। इतना ही नहीं, गन पॉइंट पर आरोपियों ने छात्रा के कपड़े उतरवाकर वीडियो भी बनाए थे। इसके बाद कई दिनों तक कैंपस में भारी विरोध-प्रदर्शन हुआ था। फिलहाल, आरोपियों की पहचान बृज इंक्लेव कॉलोनी सुंदरपुर के कुणाल पांडेय, BJP महानगर के आईटी सेल का संयोजक, जिवधीपुर बजरडीहा के आनंद उर्फ अभिषेक चौहान, बीजेपी वाराणसी महानगर आईटी सेल का कार्य समिति सदस्य और बजरडीहा के सक्षम पटेल बीजेपी वाराणसी महानगर के आईटी सेल के सह -संयोजक के रूप में हुई है।

उस दिन को याद करते हुए छात्रा ने द मूकनायक को बताया, "मैं 1 नवंबर की रात 1:30 बजे अपने हॉस्टल से किसी जरूरी काम के लिए बाहर निकली। कैंपस के गांधी स्मृति चौराहे के पास मुझे मेरा दोस्त मिला। हम दोनों साथ में जा रहे थे कि रास्ते में कर्मन बाबा मंदिर से करीब 300 मीटर दूर पीछे से एक बुलेट आई। उस पर 3 लड़के सवार थे। उन लोगों ने बाइक खड़ी करके मुझे और मेरे दोस्त को रोक लिया। इसके बाद उन लोगों ने हमें अलग कर दिया। मेरा मुंह दबाकर मुझे एक कोने में ले गए। वहां पहले मुझे किस किया, उसके बाद कपड़े उतरवाए। मेरा वीडियो बनाया और फोटो खींची।"

"मैं जब बचाव के लिए चिल्लाई तो मुझे मारने की धमकी दी। करीब 10-15 मिनट तक मुझे अपने कब्जे में रखा और फिर छोड़ दिया। मैं अपने हॉस्टल की ओर भागी तो पीछे से बाइक की आवाज आने लगी। डर के मारे एक प्रोफेसर के आवास में घुस गई। वहां पर 20 मिनट तक रुकी और प्रोफेसर को आवाज दी। प्रोफेसर ने मुझे गेट तक छोड़ा। उसके बाद पार्लियामेंट सिक्योरिटी कमेटी के राहुल राठौर मुझे आईआईटी बीएचयू पेट्रोलिंग गार्ड के पास लेकर पहुंचे। जहां से मैं अपने हॉस्टल तक सुरक्षित आ पाई। तीनों आरोपियों में से एक मोटा, दूसरा पतला और तीसरा मीडियम हाइट का था," पीड़िता ने द मूकनायक को बताया.

बीएचयू कैंपस में 11 घंटे तक चला था विरोध-प्रदर्शन

गौरतलब है कि वारदात के बाद 2 नवंबर की सुबह छात्रा ने लंका थाने में शिकायती पत्र दिया था। जैसे ही छात्रों को घटना के बारे में पता चला, करीब 2500 छात्रों ने राजपूताना हॉस्टल के सामने प्रोटेस्ट किया। इसके बाद विरोध की हवा पूरे कैंपस में फैल गई थी। देखते ही देखते भारी संख्या में छात्र विरोध में शामिल हो गए थे। स्टूडेंट्स ने विरोध करते हुए पूरा कैंपस बंद करा दिया था। क्लास और लैब में रिसर्च का काम भी बंद कर दिया गया था। पूरे कैंपस में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई थी। 11 घंटे छात्रों का धरना चला था। इसके बाद पुलिस और आईआईटी बीएचयू के डायरेक्टर ने छात्रों के साथ बैठक की थी। उन्हें भरोसा दिया था कि 7 दिन में सभी आरोपी सलाखों के पीछे होंगे। ऐसी सजा मिलेगी कि उनकी सातों पुश्तें याद रखेंगी। इसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन खत्म किया था। प्रशासन ने आईटी बीएचयू और बीएचयू के बीच दीवार बनाने का फैसला किया था। हालांकि, बाद में दीवार बनाने के फैसले को वापस ले लिया था।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने मांगी केस कि पूरी विस्तृत रिपोर्ट 

इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री ऑफिस यानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन से पूरे केस की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद केस में पहली कार्रवाई करते हुए पुलिस कमिश्नर ने थाना प्रभारी लंका अश्विनी पांडेय को लाइन हाजिर करते हुए पुलिस लाइन भेज दिया गया था। जबकि सीएम योगी ने भी कमिश्नर कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर से फोन पर बात की थी। उन्हें आईआईटी प्रशासन के साथ बात कर छात्र-छात्राओं के लिए कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था करने को कहा था।

100 से ज्यादा सीसीटीवी खंगाले गए थे। जबकि आरोपियों की गिरफ्तारी और पूरे केस में क्राइम ब्रांच, सर्विलांस सेल, साइबर सेल सहित आठ टीमें लगाई गईं थी। तब जाकर 60 दिन सभी आरोपी हुए।

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