UP: नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सज़ा, आरोपी ने खुद को बताया था ट्रांसजेंडर

आरोपी, जिसने खुद को ट्रांसजेंडर बताया था, अदालत के आदेश पर कराए गए जेंडर टेस्ट में पुरुष साबित हुआ। यह सबूत उसके दोषी ठहराने में निर्णायक साबित हुआ।
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सांकेतिक तस्वीरफोटो साभार- इंटरनेट
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बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की विशेष पोक्सो अदालत ने 2022 में आठ वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के मामले में 30 वर्षीय व्यक्ति को 20 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है। आरोपी, जिसने खुद को ट्रांसजेंडर बताया था, अदालत के आदेश पर कराए गए जेंडर टेस्ट में पुरुष साबित हुआ। यह सबूत उसके दोषी ठहराने में निर्णायक साबित हुआ।

यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता की मां ने 9 अप्रैल 2022 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि 27 मार्च को उनकी बेटी आरोपी की चाची के घर दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच टीवी देखने गई थी। इस दौरान आरोपी ने उसे अपने घर बुला लिया। जब वह लौटी, तो वह उसके निजी अंगों से खून बह रहे थे। तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया और 10 से 12 दिनों तक उसका इलाज चला।

पुलिस ने 22 जून 2022 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद, 24 अगस्त 2023 को बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया कि आरोपी "ट्रांसजेंडर है, महिलाओं के कपड़े पहनता है और महिला की तरह जीवन व्यतीत करता है।" आरोपी ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह "जन्म से महिला ट्रांसजेंडर है और दुष्कर्म नहीं कर सकता।"

इस दावे के जवाब में, अदालत ने जेंडर टेस्ट कराने का आदेश दिया। जेल प्रशासन ने 18 सितंबर 2023 को लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में यह परीक्षण कराया। रिपोर्ट में आरोपी को पुरुष साबित किया गया। अभियोजन पक्ष ने 27 सितंबर 2023 को अदालत में यह रिपोर्ट पेश की।

अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी) राजीव कुमार ने कहा, "आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376एबी (12 वर्ष से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म), 506 (आपराधिक धमकी) और पोक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।"

फैसला सुनाते हुए, न्यायाधीश उमाशंकर काहार ने लड़की की गवाही और चिकित्सीय साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया। सोमवार को उन्होंने आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई। अदालत ने दोषी पर 12,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिया जाएगा।

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