राजस्थान: मौखिक आदेश से भ्रष्टाचार पर पर्दापोशी की कवायद!

राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए सरकारी कर्मचारियों की सूचना चार्जशीट फाइल होने तक नहीं देने के मौखिक निर्देश जारी किए।
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भ्रष्टाचारसांकेतिक चित्र

जयपुर। रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़ में आने वाले अधिकारी व कार्मिकों के नाम व फोटो से पहचान उजागर नहीं करने का लिखित फरमान जारी कर बैकफुट पर आई राज्य की एसीबी भ्रष्टाचारियों की पर्दापोशी के नए-नए तरीके ढूंढने में लगी है। हालांकि इस बार भ्रष्टाचारी पर की गई कर्रवाई को सार्वजनिक नहीं करने की मौखिक निर्देश जारी किए गए हैं।

ज्ञात रहे कि मीडिया में फजीहत के साथ ही हर तरफ से विरोध के बाद एसीबी ने भ्रष्टाचारी की फोटो व नाम से पहचान उजागर नहीं करने के लिखित आदेश को वापस ले लिया था, लेकिन अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने कथित तौर पर अपनी टीम के लोगों को भ्रष्टाचार के दर्ज मामले में भ्रष्टाचारी के खिलाफ की गई कार्रवाई को चार्जशीट दाखिल होने से पहले सार्वजनिक नहीं करने का मौखिक फरमान सुना दिया है।

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मीडिया रिपोर्ट की माने तो यह भी लिखित आदेश की तरह ही काला फरमान है, जो भ्रष्टाचारियों को पोषण देने में सहायक सिद्ध होगा। हालांकि मीडिया को दिए बयान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी कह चुके हैं कि अनुसंधान के चलते कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक करना उचित नहीं है। न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करने के साथ जानकारी सार्वजनिक करना सही है।

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सीएम की भ्रष्टाचाए में जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल

एक तरफ मुख्यमंत्री हर जगह राजस्थान में भ्रष्टाचार की जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने की बात कहकर अपनी पीठ अपने हाथ थपथपाते नजर आ रहे हैं। सीएम अशोक गहलोत किसी भी कार्यक्रम में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने की बात कहना नहीं भूलते। दूसरी तरफ राज्य में हर दिन सरकारी मशीनरी से जुड़े छोटे-बड़े अधिकारी कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ में आ रहे हैं। इस पर सीएम कहते हैं कि जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ही लगातार भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई हो रही हैं।

2 करोड़ की रिश्वत मांग कर परेशान करने के मामले में एसओजी की लेडी अफसर दिव्या मित्तल की गिरफ्तारी देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह संयोग ही रहा होगा कि एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने दिव्या मित्तल की गिरफ्तारी से ठीक पहले भ्रष्टाचारियों के नाम व फोटो सार्वजनिक नहीं करने का लिखित आदेश दिया था। हालांकि इस आदेश को बाद में वापस कर लिया गया।

अजमेर में कार्यरत एसओजी की एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ने 2 वर्ष पूर्व जयपुर व अजमेर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से 16 करोड़ रुपए से अधिक कीमत की नशीली दवाएं पकड़ी थीं। आरोप है कि नशीली दवाओं से जुड़े कारोबार के मास्टरमाइंड पर लेडी अफसर मित्तल 2 साल से निगाहें जमाएं बैठी थीं। दलाल की मार्फत रिश्वत की बात हुई। शिकायत पर एसीबी ने जाल बिछाया और पकड़ी गईं।

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भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना देंगे कांग्रेस विधायक

सीएम गहलोत भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने की बात कह रहे हैं। वहीं सांगोद विधायक भरतसिंह कुंदनपुर भ्रष्टाचार पर अपनी ही सरकार को घेरने की तैयारी में है। कांग्रेस से विधायक भरतसिंह 23 जनवरी को सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ बारा जिले में धरना देने वाले हैं। यह बात विधायक ने झालावाड़ जिले में लोगों से सम्पर्क के दौरान मीडिया से कही।

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अब जनता दरबार में

विधायक भरतसिंह कहते हैं कि "लोग डरते हैं, इसलिए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोलते, लेकिन मैं चुप नहीं बैठूंगा। 23 जनवरी को बारां में विरोध प्रदर्शन करूँगा।" उन्होंने कहा कि वह कई बार भ्रष्टाचार की शिकायत विधानसभा के पटल पर रख चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब जिस दिन 23 जनवरी को विधान सभा सत्र शुरू होगा तो बारा जिला मुख्यालय पर जनता दरबार में अपनी बात रखेंगे।

विधायक कहते हैं कि वह कांग्रेस पार्टी से बगावत नहीं कर रहे हैं। वह तो मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल कर रहे हैं। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी तो कांग्रेस और ज्यादा मजबूत होगी।

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लोक सेवक के बारे में जानना कानूनी अधिकार

उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ व आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट हरिप्रसाद योगी ने एसीबी के लिखित व मौखिक आदेशों पर द मूकनायक से बात की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोक सेवक जनता के प्रति जवाबदेह होता है। ऐसे में लोक सेवक के द्वारा किए गए कार्य के बारे में जनता को जानकारी रखने का अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 भी यही कहता है। लोक सेवक कहा गया। रात को कहा रुका। कौन-कौन से उसने काम किए। यह सब जानकारी आम नागरिक सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त करने का अधिकार रखता है।

योगी कहते हैं कि जब किसी लोकसेवक ने भ्रष्टाचार किया तो उसकी जानकारी सार्वजनिक करने में कहा दिक्कत है। उसकी निजी जानकारी तो कोई ले नहीं रहा है।

आदेश के दूसरे पहलू पर भी द मूकनायक ने एडवोकेट हरिप्रसाद योगी से बात की "कई बार भ्रष्टाचार में पकड़ा गया लोक सेवक न्यायिक प्रक्रिया के बाद निर्दोष भी साबित हो जाता है तो उस लोकसेवक की सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है। हालांकि इस तरह के मामले एक प्रतिशत भी नहीं मिलते।"

योगी आगे कहते हैं, कि कुछ न कुछ किया होगा तब ही किसी लोकसेवक का नाम भ्रष्टाचार में आता है। ऐसे में उसके बारे में मीडिया में सार्वजनिक करना मेरे नजरिए से गलत नहीं है।

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